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Kerala Bjp Tactics : ईसाई मतों को आकर्षित करने केरल में भाजपा बनाएगी नई 'राजनीतिक पार्टी'

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Published : Apr 20, 2023, 6:54 PM IST

केरल में भाजपा ने ईसाई वोटों को हासिल करने के लिए नई रणनीति बनाई है. इसी के तहत जॉनी नेल्लोर (Johnny Nellore) के नेतृत्व में एक नई राजनाति पार्टी बनाकर मध्य केरल में वोटों में सेंध लगाने का प्रयास करेगी. पढ़ें पूरी खबर...

Johnny Nellore will form Kisan Party
जॉनी नेल्लोर किसान पार्टी बनाएंगे

त्रिवेंद्रम: भाजपा के केंद्रीय और राज्य के नेताओं ने केरल में पार्टी के पक्ष में ईसाई वोटों को करने की रणनीति अपनाई है. इसके अंतर्गत पार्टी उन ईसाई समुदाय के सदस्यों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है जो पूर्व में भाजपा में शामिल होने के इच्छुक नहीं थे. इसी कड़ी में यूडीएफ की सहयोगी केरल कांग्रेस छोड़ने वाले जॉनी नेल्लोर (Johnny Nellore) के नेतृत्व में एक नई राजनीतिक पार्टी बनाकर मध्य केरल में ईसाई, किसानों को आकर्षित करने का भाजपा प्रयास कर रही है.

केरल कांग्रेस (जे) एक स्थानीय पार्टी है, इसे भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले गठबंधन का सहयोगी बनाना चाहती है. इसके अलावा भाजपा का ध्यान किसानों के मुद्दों को सामने लाने के साथ ही मध्य केरल के उच्च श्रेणी और निम्न श्रेणी के क्षेत्रों में उनके उत्पादों की कीमतों में गिरावट को उजागर करना शामिल है. पार्टी को लगता है कि इस कदम से वे ईसाई वोटों को आकर्षित कर सकते हैं. वहीं जो लोग सीधे भाजपा में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं वे इस वैकल्पिक मंच से जुड़ सकते हैं. साथ ही भविष्य में इस पार्टी का भाजपा में विलय करने का लक्ष्य बना रही है.

थालास्सेरी में रोमन कैथोलिक चर्च के एक आर्क बिशप, मार जोसेफ पामप्लानी के एक बयान ने भाजपा के राज्य नेतृत्व को इस संदर्भ में विश्वास दिलाया था कि उनके पास अभी राज्य में कोई सांसद और विधायक नहीं है. कुछ सप्ताह पहले कन्नूर में एक कैथोलिक किसान सम्मेलन में एक विरोध सभा को संबोधित करते हुए, बिशप ने कहा था कि अगर केंद्र की भाजपा सरकार रबर के समर्थन मूल्य को 150 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति किलोग्राम करने के लिए तैयार है, तो वे भाजपा की मदद करेंगे. इसके बाद ईस्टर के अवसर पर राज्य भर में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा चर्चों का दौरा किया गया था.

इतना ही नहीं उन्होंने जिला स्तर बिशप से भी मुलाकात की थी. हालांकि इससे पहले भी बीजेपी नेताओं ने बिशप से मुलाकात की थी और विभिन्न अवसरों पर मंच साझा किया था. वहीं कुछ ईसाई पादरियों ने लव जिहाद जैसे मुद्दों सहित भाजपा के कुछ रुखों का समर्थन किया था. लेकिन चर्चों में जाना अपनी तरह का पहला अनुभव था. वजह कुछ और नहीं बल्कि बिशप जोसफ पामप्लानी का बयान बहुत स्पष्ट और सीधा था, यह सत्तारूढ़ सीपीएम और कांग्रेस के लिए एक चेतावनी भी थी. इस सकारात्मक संकेत का उपयोग करने के लिए भाजपा ने गृह यात्रा की योजना बनाई और उसे क्रियान्वित किया.

वहीं किसान पार्टी की घोषणा के लिए यह बेहतर समय नहीं था, इसको महसूस करते हुए भाजपा नेतृत्व का केरल कांग्रेस के अधिक असंतुष्ट नेताओं को इसमें शामिल करने के लिए टॉरगेट करना है. अगर भाजपा इस कदम में सफल हो जाती है तो कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनावों में पठानमथिट्टा, इडुक्की, कोट्टायम, मवेलिक्कारा, चलाकुडी और कन्नूर निर्वाचन क्षेत्रों में झटका लगेगा. भविष्य में, यह कदम सीपीएम के लिए भी एक झटका देने वाला होगा, जो केरल-कांग्रेस (एम) के समर्थन से पठानमथिट्टा, कोट्टायम और इडुक्की जैसे जिलों में प्रभावी होने की कोशिश कर रही है.

ये भी पढ़ें - पहले पिता और अब भाई ने अनिल एंटनी को कोसा, कहा- यूज करके करी पत्ते की तरह फेंक देगी भाजपा

त्रिवेंद्रम: भाजपा के केंद्रीय और राज्य के नेताओं ने केरल में पार्टी के पक्ष में ईसाई वोटों को करने की रणनीति अपनाई है. इसके अंतर्गत पार्टी उन ईसाई समुदाय के सदस्यों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है जो पूर्व में भाजपा में शामिल होने के इच्छुक नहीं थे. इसी कड़ी में यूडीएफ की सहयोगी केरल कांग्रेस छोड़ने वाले जॉनी नेल्लोर (Johnny Nellore) के नेतृत्व में एक नई राजनीतिक पार्टी बनाकर मध्य केरल में ईसाई, किसानों को आकर्षित करने का भाजपा प्रयास कर रही है.

केरल कांग्रेस (जे) एक स्थानीय पार्टी है, इसे भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले गठबंधन का सहयोगी बनाना चाहती है. इसके अलावा भाजपा का ध्यान किसानों के मुद्दों को सामने लाने के साथ ही मध्य केरल के उच्च श्रेणी और निम्न श्रेणी के क्षेत्रों में उनके उत्पादों की कीमतों में गिरावट को उजागर करना शामिल है. पार्टी को लगता है कि इस कदम से वे ईसाई वोटों को आकर्षित कर सकते हैं. वहीं जो लोग सीधे भाजपा में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं वे इस वैकल्पिक मंच से जुड़ सकते हैं. साथ ही भविष्य में इस पार्टी का भाजपा में विलय करने का लक्ष्य बना रही है.

थालास्सेरी में रोमन कैथोलिक चर्च के एक आर्क बिशप, मार जोसेफ पामप्लानी के एक बयान ने भाजपा के राज्य नेतृत्व को इस संदर्भ में विश्वास दिलाया था कि उनके पास अभी राज्य में कोई सांसद और विधायक नहीं है. कुछ सप्ताह पहले कन्नूर में एक कैथोलिक किसान सम्मेलन में एक विरोध सभा को संबोधित करते हुए, बिशप ने कहा था कि अगर केंद्र की भाजपा सरकार रबर के समर्थन मूल्य को 150 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति किलोग्राम करने के लिए तैयार है, तो वे भाजपा की मदद करेंगे. इसके बाद ईस्टर के अवसर पर राज्य भर में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा चर्चों का दौरा किया गया था.

इतना ही नहीं उन्होंने जिला स्तर बिशप से भी मुलाकात की थी. हालांकि इससे पहले भी बीजेपी नेताओं ने बिशप से मुलाकात की थी और विभिन्न अवसरों पर मंच साझा किया था. वहीं कुछ ईसाई पादरियों ने लव जिहाद जैसे मुद्दों सहित भाजपा के कुछ रुखों का समर्थन किया था. लेकिन चर्चों में जाना अपनी तरह का पहला अनुभव था. वजह कुछ और नहीं बल्कि बिशप जोसफ पामप्लानी का बयान बहुत स्पष्ट और सीधा था, यह सत्तारूढ़ सीपीएम और कांग्रेस के लिए एक चेतावनी भी थी. इस सकारात्मक संकेत का उपयोग करने के लिए भाजपा ने गृह यात्रा की योजना बनाई और उसे क्रियान्वित किया.

वहीं किसान पार्टी की घोषणा के लिए यह बेहतर समय नहीं था, इसको महसूस करते हुए भाजपा नेतृत्व का केरल कांग्रेस के अधिक असंतुष्ट नेताओं को इसमें शामिल करने के लिए टॉरगेट करना है. अगर भाजपा इस कदम में सफल हो जाती है तो कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनावों में पठानमथिट्टा, इडुक्की, कोट्टायम, मवेलिक्कारा, चलाकुडी और कन्नूर निर्वाचन क्षेत्रों में झटका लगेगा. भविष्य में, यह कदम सीपीएम के लिए भी एक झटका देने वाला होगा, जो केरल-कांग्रेस (एम) के समर्थन से पठानमथिट्टा, कोट्टायम और इडुक्की जैसे जिलों में प्रभावी होने की कोशिश कर रही है.

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