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अभिनेत्री यौन उत्पीड़न मामला: मामले को दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका खारिज

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Published : Oct 21, 2022, 6:18 PM IST

केरल की अभिनेत्री के द्वारा यौन उत्पीड़न के एक मामले को दूसरी निचली अदालतों में ट्रांसफर करने के अनुरोध करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया. यह फैसला जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने सुनाया.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में पीड़िता द्वारा दायर वह याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी, जिसमें उसने मामले को दूसरी निचली अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था. इस मामले में अभिनेता दिलीप एक आरोपी हैं. पीड़िता ने आरोप लगाया था कि मामले के आठवें आरोपी दिलीप के निचली अदालत की न्यायाधीश और उनके पति के साथ करीबी संबंध हैं.

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (justices Ajay Rastogi) और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार (justices CT Ravikumar) की पीठ ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) पूर्वाग्रह के मुद्दे पर पहले ही फैसला कर चुका है. याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने 22 सितंबर को कहा था कि उसका दृढ़ विचार है कि निष्पक्ष सुनवाई में संभावित हस्तक्षेप के बारे में उसकी आशंका उचित नहीं है.

उच्च न्यायालय ने कहा था, 'संभवतः, इस मामले में विभिन्न समाचार चैनलों द्वारा की गई चर्चाओं और बहसों ने मामले की सुनवाई के बारे में कुछ गलत धारणाएं उत्पन्न की है और इसने परोक्ष तौर पर याचिकाकर्ता सहित बड़े पैमाने पर आम जनता को प्रभावित किया है.' उच्च न्यायालय ने कहा था, 'हालांकि मुझे लगता है कि याचिकाकर्ता ने यह याचिका नेकनीयती के साथ दायर की है, मेरे पास यह मानने के सभी कारण हैं कि वह मीडिया द्वारा बनाई गई ऐसी गलत धारणाओं और आक्षेपों की पीड़ित है.'

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यदि मामले को दूसरी अदालत को नहीं सौंपा गया तो उसे न्याय नहीं मिलेगा और सुनवाई निष्पक्ष नहीं होगी. उल्लेखनीय है कि पीड़िता की याचिका पर उच्च न्यायालय ने 2018 में मुकदमे के लिए एक महिला न्यायाधीश के साथ एक विशेष अदालत का गठन किया था. पीड़िता ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब विशेष लोक अभियोजक मुकदमे को आगे बढ़ाने में असमर्थ थे और दिलीप की ओर से गवाहों को प्रभावित करने और धमकाने के बार-बार और लगातार प्रयास किए गए.

पीड़िता ने कहा था कि जब न्यायाधीश को एक विशेष अदालत से प्रधान सत्र न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया था, तब मामले को भी उसकी अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था. पीड़िता ने दावा किया था कि एक प्रशासनिक आदेश के जरिये मामले का स्थानांतरण विधिसम्मत नहीं था. पीड़िता, एक अभिनेत्री है जिसने तमिल और तेलुगु फिल्मों में काम किया है. उसका कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था और आरोपियों द्वारा कार के अंदर दो घंटे तक उससे छेड़छाड़ की गई थी, जो 17 फरवरी, 2017 की रात को जबरन वाहन में घुस गए थे और बाद में एक व्यस्त इलाके में फरार हो गए थे. अभियोजन पक्ष के अनुसार, अभिनेत्री को ब्लैकमेल करने के लिए आरोपी द्वारा पूरे कृत्य को फिल्माया गया था. इस मामले में 10 आरोपी हैं.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने केरल टेक यूनिवर्सिटी के कुलपति की नियुक्ति रद्द की

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में पीड़िता द्वारा दायर वह याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी, जिसमें उसने मामले को दूसरी निचली अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था. इस मामले में अभिनेता दिलीप एक आरोपी हैं. पीड़िता ने आरोप लगाया था कि मामले के आठवें आरोपी दिलीप के निचली अदालत की न्यायाधीश और उनके पति के साथ करीबी संबंध हैं.

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (justices Ajay Rastogi) और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार (justices CT Ravikumar) की पीठ ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) पूर्वाग्रह के मुद्दे पर पहले ही फैसला कर चुका है. याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने 22 सितंबर को कहा था कि उसका दृढ़ विचार है कि निष्पक्ष सुनवाई में संभावित हस्तक्षेप के बारे में उसकी आशंका उचित नहीं है.

उच्च न्यायालय ने कहा था, 'संभवतः, इस मामले में विभिन्न समाचार चैनलों द्वारा की गई चर्चाओं और बहसों ने मामले की सुनवाई के बारे में कुछ गलत धारणाएं उत्पन्न की है और इसने परोक्ष तौर पर याचिकाकर्ता सहित बड़े पैमाने पर आम जनता को प्रभावित किया है.' उच्च न्यायालय ने कहा था, 'हालांकि मुझे लगता है कि याचिकाकर्ता ने यह याचिका नेकनीयती के साथ दायर की है, मेरे पास यह मानने के सभी कारण हैं कि वह मीडिया द्वारा बनाई गई ऐसी गलत धारणाओं और आक्षेपों की पीड़ित है.'

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यदि मामले को दूसरी अदालत को नहीं सौंपा गया तो उसे न्याय नहीं मिलेगा और सुनवाई निष्पक्ष नहीं होगी. उल्लेखनीय है कि पीड़िता की याचिका पर उच्च न्यायालय ने 2018 में मुकदमे के लिए एक महिला न्यायाधीश के साथ एक विशेष अदालत का गठन किया था. पीड़िता ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब विशेष लोक अभियोजक मुकदमे को आगे बढ़ाने में असमर्थ थे और दिलीप की ओर से गवाहों को प्रभावित करने और धमकाने के बार-बार और लगातार प्रयास किए गए.

पीड़िता ने कहा था कि जब न्यायाधीश को एक विशेष अदालत से प्रधान सत्र न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया था, तब मामले को भी उसकी अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था. पीड़िता ने दावा किया था कि एक प्रशासनिक आदेश के जरिये मामले का स्थानांतरण विधिसम्मत नहीं था. पीड़िता, एक अभिनेत्री है जिसने तमिल और तेलुगु फिल्मों में काम किया है. उसका कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था और आरोपियों द्वारा कार के अंदर दो घंटे तक उससे छेड़छाड़ की गई थी, जो 17 फरवरी, 2017 की रात को जबरन वाहन में घुस गए थे और बाद में एक व्यस्त इलाके में फरार हो गए थे. अभियोजन पक्ष के अनुसार, अभिनेत्री को ब्लैकमेल करने के लिए आरोपी द्वारा पूरे कृत्य को फिल्माया गया था. इस मामले में 10 आरोपी हैं.

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(पीटीआई-भाषा)

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