रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. वहीं, केदारनाथ धाम की यात्रा का आगाज 25 अप्रैल से होगा. ऐसे में केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू होने महज हफ्ते भर का समय बचा हुआ है. मौसम की बेरुखी के कारण इस बार यात्रा को लेकर व्यवस्था बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यात्रा से जुड़े विभाग केदारनगरी में व्यवस्थाएं बनाने में जुटे हुए हैं. हालांकि अभी व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने में काफी समय लगेगा. ऐसे में शुरुआती चरण की यात्रा अव्यवस्थाओं के बीच हो सकती है.
केदारनाथ पैदल मार्ग पर अव्यवस्था: गौरीकुंड-केदारनाथ 18 किमी पैदल मार्ग पर जगह-जगह अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं. पैदल मार्ग के रामबाड़ा से कुछ दूरी पर पिछली बरसात में ध्वस्त हुई पुलिया के स्थान पर आज तक नई पुलिया का निर्माण नहीं हो पाया है. इस कारण तीर्थयात्रियों को इस स्थान पर जान हथेली पर रखकर सफर तय करना पड़ सकता है. खासकर घोड़े-खच्चर स्वामियों को यहां पर दिक्कतें हो सकती हैं. इसके साथ ही अभी तक कई जगहों पर रेन शेल्टर का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है.
घोड़े-खच्चर व्यवसाय से जुड़े हैं नेपाली: बता दें कि केदारनाथ यात्रा के बेस गौरीकुंड से बाबा केदारनाथ की 18 किमी पैदल यात्रा शुरू होती है. यहां से भक्त घोड़े-खच्चर, डंडी-कंडी व पालकी के सहारे केदारनाथ धाम की यात्रा करते है. गौरीकुंड को मिनी नेपाल के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस स्थान पर ज्यादा संख्या में होटल व्यवसाय में नेपाल मूल के लोग हैं, जो सदियों से यहां पर रहकर होटल, घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी व पालकी का व्यवसाय करते हैं. कपाट खुलने को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह देखा जा रहा है.
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घोड़ों खच्चरों के लिए प्रीपेड काउंटर: इसके साथ ही गौरीकुंड से कुछ दूरी पर घोड़ा-खच्चरों के लिए प्रीपेड काउंटर भी लगा हुआ है. यहां से तीर्थयात्री घोड़े-खच्चरों का किराया देकर बाबा केदारनाथ की यात्रा कर सकते हैं. प्रशासन की ओर से इस बार घोड़े-खच्चरों के मालिक और हाॅकरों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी, जिससे पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों के साथ कोई अप्रिय घटना घटित ना हो.
पशुओं के लिए गर्म पानी की व्यवस्था: गौरीकुंड से निकलने के बाद पैदल पड़ाव पर 4 किमी दूरी तय करने के बाद सबसे पहले जंगलचट्टी स्थान पड़ता है. यहां पर स्थानीय लोगों ने दुकानें खोली हैं. साथ ही यहां पर इस बार पशु पालन विभाग ने घोड़े-खच्चरों के लिए गर्म पानी की व्यवस्था की है. तीर्थयात्रियों के लिए भी गर्म पानी की व्यवस्था की गयी है. वैसे मवेशियों के लिए यात्रा मार्ग पर जगह-जगह गर्म पानी की व्यवस्था की गयी है.
यात्रा मार्ग में स्वास्थ्य व्यवस्था: केदारनाथ यात्रा में तीर्थयात्रियों को स्वास्थ्य को बेहतर सुविधाएं देने के लिए जगह-जगह स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं. इन स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशासन ने सभी प्रकार की सुविधाएं देने के दावे किए हैं. ताकि कोई अप्रिय घटना घटने पर शीघ्र तीर्थ यात्री का इलाज किया जा सके. अभी तक स्वास्थ्य विभाग की टीम इन स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं पहुंची हैं.
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यात्रियों को ग्लेशियर के बीच से गुजरना होगा: केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचोली से आगे दो से तीन स्थानों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर बने हुए हैं. जिनको काटकर प्रशासन ने रास्ता तैयार किया है. यहां पर एक स्थान पर 10 से 15 फीट तो दूसरे स्थान 20 से 25 फीट तक ऊंचे ग्लेशियर देखे जा सकते हैं. प्रथम चरण की केदारनाथ यात्रा शुरू होने पर तीर्थयात्रियों को इन ग्लेशियर से होकर गुजरना पड़ेगा. हालांकि, श्रद्धालुओं के लिए यह सफर रोमांच भरा रहेगा, लेकिन इन ग्लेशियरों के टूटने का भी खतरा बना रहता है. ऐसे में तीर्थ यात्रियों को सावधानी बरतने की खास आवश्यकता है.
लॉटरी के माध्यम से दुकान आवंटन: केदारनाथ यात्रा मार्ग के लिनचोली से लेकर बेस कैंप तक स्थानीय लोगों को लाॅटरी के माध्यम से टेंट, ढाबा और स्वयं सहायता समूह को रोजगार को लेकर जगह आवंटित की जाती हैं, लेकिन इस बार लोगों के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है. पिछले वर्ष जिन लोगों को दुकानें लाॅटरी के माध्यम से मिली, वे अब उस स्थान को छोड़ने को तैयार नहीं हैं. साथ ही जो आपदा प्रभावित हैं, उन्हें भी अब तक रोजगार नहीं मिल पाया है. इसके साथ ही स्वास्थ्य और पेयजल की समस्या अभी तक दुरुस्त नहीं हो पायी है. जिससे रोजगार शुरू करने वाले लोगों को सामने दिक्कतें बनी हुई हैं.
मौसम साफ होने से निर्माण कार्यों में तेजी: केदारनाथ धाम में इन दिनों मौसम साफ है. मौसम साफ रहने के चलते पुनर्निर्माण कार्यों में भी तेजी देखने को मिल रही है. जबकि इन निर्माण कार्यों के चलते यात्रा तैयारियों में दिक्कत हो रही है. इस बार मार्च माह में बर्फबारी नहीं हुई और अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में जमकर बर्फबारी होने के बाद पुनर्निर्माण कार्य देरी से शुरू हुए. ऊपर से केदारनाथ यात्रा भी इस बार दो सप्ताह पहले से शुरू हो रही है. जिस कारण केदारनाथ मंदिर मार्ग पर जीर्ण-शीर्ण भवनों को तोड़ने के बाद अव्यवस्था फैल गयी है. इन भवनों को तोड़ने के बाद नए भवनों का निर्माण, इन्हीं स्थानों पर किया जाएगा. ये भवन 2013 की आपदा के बाद से जीर्ण-शीर्ण हालत में थे. जिन्हें अब ध्वस्त कर दिया गया है. इसके अलावा धाम में अन्य कार्यों को भी किया जा रहा है.
बदरी-केदार मंदिर समिति तैयारियों में जुटी: केदारनाथ धाम में यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर श्री बदरी-केदार मंदिर समिति भी तैयारियां में जुट गई है. मंदिर समिति की ओर से केदारनाथ मंदिर की साफ-सफाई का कार्य किया जा रहा है. इसके साथ ही बाबा केदारनाथ की डोली के स्वागत को लेकर भी तैयारियां की जा रही हैं. मंदिर से पुराने फूलों को निकालकर नये फूलों को लगाया जाएगा.
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केदारनाथ धाम में ITBP जवानों की तैनाती: केदारनाथ धाम में आईटीबीपी के जवान भी तैनात हैं, जो शीतकाल में भी बाबा की सुरक्षा में डटे रहे. अब इनके सामने यात्रा सीजन में तीर्थयात्रियों को बेहतर ढंग से दर्शन कराने का जिम्मा है. साथ ही धाम में तीर्थयात्रियों की सेवा में भी आईटीबीपी के जवान हर समय तत्पर रहते हैं. जहां शीतकाल में केदारनाथ धाम में रहना मुश्किल हो जाता है, वहीं इन जवानों ने धाम की सुरक्षा करते हुए अपनी ड्यूटी का निर्वहन किया है.
अब तक पेयजल और स्वास्थ्य की व्यवस्था नहीं: केदारनाथ धाम में अभी भी स्वास्थ्य और पेयजल को लेकर कोई कार्य नहीं किया गया है. जबकि रहने के लिए प्रशासन की ओर से टेंट नहीं लगाए गए हैं. इस बार जीएमवीएन की ओर से 200 टेंट लगाकर 2 हजार तीर्थयात्रियों की धाम में रहने की व्यवस्था की जानी है, लेकिन धाम में अभी तक इन टेंटों को लगाए जाने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में शुरूआती चरण की यात्रा में श्रद्धालुओं को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है.