नई दिल्ली : दिल्ली के मंडी हाउस में बुधवार को कई छात्र संघों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की. सामाजिक कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य सभा में कृषि कानून को लेकर होने वाली चर्चा 'बेकार' है. कानून लागू करने से पहले ऐसा होना चाहिए था.
ईटीवी भारत से बात करते हुए अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ (एआईपीडब्ल्यूए) की सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि 'संसद में कृषि कानूनों पर अब चर्चा करना निरर्थक है. उन्होंने ध्वनि मत से कृषि कानूनों को पारित किया है. कानून पारित करने से पहले इस पर चर्चा करनी चाहिए थी.'
उन्होंने कहा कि ' मुझे नहीं लगता कि अब चर्चा करने का कोई मतलब है. उन्हें पहले कानून वापस लेने चाहिए फिर चर्चा के बाद कानूनों को पारित करना चाहिए. आप ये नहीं कह सकते कि ये कर दिया है अब इस पर चर्चा करते हैं.'
कृष्णन ने दावा किया कि विवादास्पद कृषि कानून कॉरपोरेट्स के पक्ष में है इससे उपभोक्ताओं को खाने-पीने की चीजों के लिए ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे. इसका असर गरीबों को मिलने वाले राशन पर भी पड़ेगा.
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इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों के किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन जारी रखा.