नई दिल्ली : दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (lg vk saxena) के द्वारा दिल्ली में रहने वाले प्रवासी कश्मीरी परिवारों की मासिक राहत राशि में बढ़ोतरी को कश्मीरी पंडित ने इसे चुनाव को ध्यान में रखकर उठाया कदम बताया है. कश्मीरी कार्यकर्ता सुशील पंडित ने इस कदम को सनकी और चुनाव को ध्यान में रखते हुए उठाया गया बताया है. बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने बुधवार को ही राष्ट्रीय राजधानी में कश्मीरी प्रवासियों के लिए दी जाने वाली मासिक राहत राशि को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 27 हजार रुपये प्रतिमाह करने को मंजूरी दे दी है. इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए सुशील पंडित ने कहा कि यह एक राजनीतिक कदम है. चुनाव को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है. हमारे लिए कुछ नहीं किया गयाहै. हम इस सरकार से बेहद निराश हैं, लेकिन वे जो कुछ भी करते हैं वह स्वागत योग्य है.
सुशील पंडित से जब पूछा गया कि क्या यह कदम यह दर्शाता है कि सरकार कश्मीरी पंडितों की वापसी के बारे में कोई कदम नहीं उठा रही है. इस पर उनका कहना था कि ये टुकड़े-टुकड़े, मनमौजी, छिटपुट कार्रवाई हैं जो वे करते हैं, लेकिन एक इच्छा के रूप में भी अगर कुछ भी हमारे लोगों को लाभ पहुंचाता है तो मैं इसके लिए खुश हूं. लेकिन यह उदासीनता,पूर्ण अरुचि और कभी-कभी हमारे हितों के खिलाफ शत्रुता की भरपाई नहीं करता है.
इसी तरह, एक अन्य कश्मीरी पंडित अखिल भारतीय कश्मीरी समाज के अध्यक्ष डॉ. रमेश रैना ने इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि हम इस कदम का स्वागत करते हैं. यह बहुत देर के बाद आखिरकार किया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में रहने वाले कई कश्मीरी प्रवासी गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं और उन्हें दी गई राहत राशि बहुत कम थी, इससे उन्हें वास्तव में मदद मिलेगी. यह पूछे जाने पर कि क्या यह कदम यह दर्शाता है कि सरकार कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के सवाल से पीछे हट रही है, उनका कहना था कि ये दो अलग-अलग चीजें हैं. आप इसकी तुलना नहीं कर सकते. कश्मीर की स्थिति को देखें. कश्मीरी पंडितों को अभी भी परेशान किया जा रहा है, मारे गए और वहां कश्मीरी पंडित विरोधी भावना है. जब तक हमें पूरी सुरक्षा और सामाजिक स्वीकृति नहीं मिलती, हम वापस नहीं लौट सकते.
इससे पहले वर्ष 2007 में राहत राशि पांच हजार रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये प्रतिमाह की गई थी. दिल्ली में रहने वाले प्रवासी कश्मीरियों के लिए मासिक राहत राशि सबसे पहले वर्ष 1995 में प्रति परिवार पांच हजार रुपये तय की गई थी. बता दें कि आतंकवाद प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए केंद्र सरकार की सुरक्षा संबंधी व्यय (राहत और पुनर्वास) योजना के तहत कश्मीरी प्रवासियों को एएमआर प्रदान किया जाता है. वर्तमान में राष्ट्रीय राजधान में लगभग दो हजार परिवारों को एएमआर का भुगतान किया जा रहा है. इस पर मासिक खर्च 2.5 करोड़ रुपये आता है.
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