वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी कहे कहे जाने वाली काशी में भक्त और भगवान का अलग ही प्रेम देखने को मिलता है. बनारस से ऐसे ही तस्वीर निकल के सामने आई है, जो भगवान और भक्त के प्रेम को लेकर एक बार फिर चर्चा का विषय बनी हुई है. भीषण गर्मी से मानव के साथ जीव-जंतु भी परेशान हैं. उनका हाल भी बहुत बुरा है. ऐसे में काशी में भगवान को भी गर्मी लग रही है. ऐसा अनुभव उनके भक्त कर रहे हैं.
वाराणसी में विभिन्न मंदिरों में भक्तों के भाव देखने को मिल रहे हैं. कहीं पर भगवान को घड़े में जल चढ़ाया जा रहा है तो कहीं भगवान के गर्भगृह में ऐसी लगाया गया है. किसी ने कूलर की व्यवस्था की है तो कोई भगवान को समय-समय पर पेय पदार्थ, लस्सी, बेल का शरबत, जामुन का शरबत और विभिन्न प्रकार के ठंडे पदार्थ का भोग लगा रहा है. भगवान को दो टाइम स्नान तो कराया ही जा रहा है, उसके साथ भगवान को सूती वस्त्र भी पहनाया जा रहा है.
कहते हैं कि भगवान भाव के भूखे होते हैं. इसलिए जब भक्तों को गर्मी लगती है तो भक्त को यह महसूस होता है कि हमारे भगवान को भी गर्मी लग रही होगी. यही वजह है कि जब भक्त को ठंड महसूस होती है तो उसे लगता है हमारे भगवान को भी ठंड लग रही होगी. इसलिए भक्त इस तरह के जतन करता है.
वाराणसी में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. इसी बीच 43 से 45 डिग्री के बीच में पारा लगातार बना हुआ है. ऐसे में प्रसिद्ध बड़ा गणेश मंदिर लोहटिया में भगवान के लिए एसी लगाया गया है, ताकि भगवान को गर्मी न लगे. इसी तरह बनारस के कुछ मंदिरों में कूलर की व्यवस्था की गई है. वहीं, बहुत जगह भगवान शिव को लगातार ठंडे मिट्टी के घड़े से जल अर्पण किया जा रहा है. दुर्ग विनायक गणेश, बड़ा गणेश मंदिर, त्रिदेव मंदिर, बटुक भैरव मंदिर और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में एसी की व्यवस्था की गई है. वहीं, बहुत से मंदिरों में पंखे और फव्वारा लगाया गया है.
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