ETV Bharat / bharat

क्या है काशी के जंगमवाड़ी मठ का कर्नाटक कनेक्शन, जिसके जरिये बीजेपी लिंगायत वोटरों को साध रही है

भारत आस्था के डोर से बंधा है. इस डोर का एक सिरा उत्तर भारत में तो दूसरा सिरा दक्षिण भारत में है. वाराणसी का जंगमवाड़ी मठ इसका उदाहरण है, जो वीरशैव लिंगायतों से जुड़ा है. जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तो काशी का जंगमवाड़ी मठ और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है.

kashi jangamwadi math Lingayat voters
kashi jangamwadi math Lingayat voters
author img

By

Published : Apr 29, 2023, 1:03 PM IST

Updated : Apr 29, 2023, 3:56 PM IST

वाराणसी : धर्म नगरी काशी अति प्राचीन नगरी है. इस प्राचीन शहर बनारस में ऐसे कई मठ और मंदिर हैं, जो उत्तर और दक्षिण भारत को आस्था की डोर से जोड़ते हैं. इन मठों की मौजूदगी आज से नहीं बल्कि कई शताब्दी पहले से हैं. ये मठ धर्म और आस्था का केंद्र हैं. साथ ही राजनीतिक दृष्टि से भी ये मठ काफी महत्वपूर्ण हैं. आठवीं सदी में स्थापित जंगमवाड़ी मठ का सीधा संबंध दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक से जुड़ा है, जहां कुछ दिनों बाद विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने वाली है. वीरशैव परंपरा के अधीन संचालित होने वाले इस मठ में लिंगायत समुदाय का बड़ा कनेक्शन है. कर्नाटक, आंध्रप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र में लिंगायत समुदाय के वोटर्स की बड़ी संख्या में मौजूदगी है. काशी का जंगमवाड़ी मठ सीधे तौर पर लाखों वोटर को प्रभावित कर सकता है.

kashi jangamwadi math Lingayat
काशी के जंगमबाड़ी मठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार हाजिरी लगा चुके हैं.


काशी के जंगमवाड़ी मठ में 86 जगद्गुरुओं की वंशावली मौजूद है. वर्तमान में इस पीठ पर जगद्गुरु श्री चंद्रशेखर शिवाचार्य महास्वामी स्थापित हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि लिंगायत समुदाय के लिए मठ बहुत महत्वपूर्ण है. शायद यही वजह है कि 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उसके पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा समेत कर्नाटक से जुड़े कई बड़े नेता इस मठ में आकर माथा टेकते रहे हैं. मठ में प्रबंधन संभाल रहे कर्नाटक के निवासी प्रभु स्वामी का कहना है कि यह मठ ज्ञानपीठ के रूप में स्थापित किया गया है. जिसके पांच अलग-अलग केंद्र है वाराणसी के अलावा उज्जैन, केदारनाथ, बद्रीनाथ, श्रीशैलम और कर्नाटक में इस मठ का मुख्य केंद्र माना जाता है. पांच अलग-अलग पीठ पर पांच अलग-अलग जगतगुरु विराजमान हैं.

kashi jangamwadi math Lingayat
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस भी काशी के जंगमबाड़ी मठ में आ चुके हैं.
प्रभु स्वामी का कहना है कि वीरशैव का तात्पर्य एक ही जगह स्थित लिंग से माना जाता है और यह लिंग इस समुदाय से जुड़े लोग अपने गले में धारण करते हैं. इसकी तीनों प्रहर की पूजा भी संपन्न की जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि काशी के जंगमबाड़ी मठ में भगवान शिव पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु बड़ी तादाद में पहुंचते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं में सबसे बड़ी संख्या कर्नाटक के भक्तों की होती है. दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और फिर आंध्र प्रदेश शामिल है.
काशी के जंगमवाड़ी मठ का कर्नाटक कनेक्शन
kashi jangamwadi math Lingayat voters
काशी के जंगमबाड़ी मठ के शतमानोत्सव में येदियुरप्पा ने शिरकत की थी.

जंगमवाड़ी मठ की ताकत का असर है कि लिंगायत समुदाय से आने वाले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस मठ में बराबर आते रहते हैं. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का बहुत बड़ा वोट बैंक है. लिंगायत वोटरों को इस मठ के जरिए साधना बहुत ही आसान होता है. कांग्रेस पार्टी 1990 से ही लिंगायत समुदाय की नाराजगी झेल रही है. जिसके कारण हर राजनीतिक दल लिंगायत समुदाय के वोट बैंक को सीधे तौर पर साधना चाहता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई कद्दावर नेता बनारस के इस मठ में हाजिरी लगाते रहे हैं. प्रधानमंत्री खुद जंगमवाड़ी मठ के महास्वामी को दिल्ली भी आमंत्रित कर चुके हैं. प्रधानमंत्री मठ के 100वें स्थापना वर्ष के कार्यक्रम में भी हिस्सा ले चुके हैं.

kashi jangamwadi math Lingayat voters
वाराणसी के जंगमबाड़ी मठ में वीरशैव लिंगायत भक्तों का आना-जाना लगा रहता है.
kashi jangamwadi math Lingayat voters
वाराणसी में जल रहे पुष्करालु कुंभ में कर्नाटक से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु आए हैं.

इन दिनों वाराणसी में 12 दिवसीय पुष्करालु कुंभ चल रहा है. इस कुंभ में भी बड़ी संख्या में कर्नाटक से श्रद्धालु पहुंचे हैं. ये श्रद्धालु बनारस में हो रहे उनके स्वागत से बेहद खुश नजर आ रहे हैं. उन्हें बनारस में हुए बदलावों से रूबरू कराया जा रहा है. कुल मिलाकर बीजेपी बनारस के जरिए दक्षिण को साधने का प्रयास कर रही है. माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव में जंगमवाड़ी मठ और अन्य मंदिरों में विकास की तस्वीर को दिखा कर वोटरों को साधने में सफल हो सकती है.

पढ़ें : तमिल संगमम के बाद अब पुष्कर मेले से बीजेपी उत्तर से दक्षिण भारत को साधने में जुटी, कर रही ये तैयारियां

वाराणसी : धर्म नगरी काशी अति प्राचीन नगरी है. इस प्राचीन शहर बनारस में ऐसे कई मठ और मंदिर हैं, जो उत्तर और दक्षिण भारत को आस्था की डोर से जोड़ते हैं. इन मठों की मौजूदगी आज से नहीं बल्कि कई शताब्दी पहले से हैं. ये मठ धर्म और आस्था का केंद्र हैं. साथ ही राजनीतिक दृष्टि से भी ये मठ काफी महत्वपूर्ण हैं. आठवीं सदी में स्थापित जंगमवाड़ी मठ का सीधा संबंध दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक से जुड़ा है, जहां कुछ दिनों बाद विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने वाली है. वीरशैव परंपरा के अधीन संचालित होने वाले इस मठ में लिंगायत समुदाय का बड़ा कनेक्शन है. कर्नाटक, आंध्रप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र में लिंगायत समुदाय के वोटर्स की बड़ी संख्या में मौजूदगी है. काशी का जंगमवाड़ी मठ सीधे तौर पर लाखों वोटर को प्रभावित कर सकता है.

kashi jangamwadi math Lingayat
काशी के जंगमबाड़ी मठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार हाजिरी लगा चुके हैं.


काशी के जंगमवाड़ी मठ में 86 जगद्गुरुओं की वंशावली मौजूद है. वर्तमान में इस पीठ पर जगद्गुरु श्री चंद्रशेखर शिवाचार्य महास्वामी स्थापित हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि लिंगायत समुदाय के लिए मठ बहुत महत्वपूर्ण है. शायद यही वजह है कि 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उसके पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा समेत कर्नाटक से जुड़े कई बड़े नेता इस मठ में आकर माथा टेकते रहे हैं. मठ में प्रबंधन संभाल रहे कर्नाटक के निवासी प्रभु स्वामी का कहना है कि यह मठ ज्ञानपीठ के रूप में स्थापित किया गया है. जिसके पांच अलग-अलग केंद्र है वाराणसी के अलावा उज्जैन, केदारनाथ, बद्रीनाथ, श्रीशैलम और कर्नाटक में इस मठ का मुख्य केंद्र माना जाता है. पांच अलग-अलग पीठ पर पांच अलग-अलग जगतगुरु विराजमान हैं.

kashi jangamwadi math Lingayat
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस भी काशी के जंगमबाड़ी मठ में आ चुके हैं.
प्रभु स्वामी का कहना है कि वीरशैव का तात्पर्य एक ही जगह स्थित लिंग से माना जाता है और यह लिंग इस समुदाय से जुड़े लोग अपने गले में धारण करते हैं. इसकी तीनों प्रहर की पूजा भी संपन्न की जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि काशी के जंगमबाड़ी मठ में भगवान शिव पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु बड़ी तादाद में पहुंचते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं में सबसे बड़ी संख्या कर्नाटक के भक्तों की होती है. दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और फिर आंध्र प्रदेश शामिल है.
काशी के जंगमवाड़ी मठ का कर्नाटक कनेक्शन
kashi jangamwadi math Lingayat voters
काशी के जंगमबाड़ी मठ के शतमानोत्सव में येदियुरप्पा ने शिरकत की थी.

जंगमवाड़ी मठ की ताकत का असर है कि लिंगायत समुदाय से आने वाले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस मठ में बराबर आते रहते हैं. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का बहुत बड़ा वोट बैंक है. लिंगायत वोटरों को इस मठ के जरिए साधना बहुत ही आसान होता है. कांग्रेस पार्टी 1990 से ही लिंगायत समुदाय की नाराजगी झेल रही है. जिसके कारण हर राजनीतिक दल लिंगायत समुदाय के वोट बैंक को सीधे तौर पर साधना चाहता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई कद्दावर नेता बनारस के इस मठ में हाजिरी लगाते रहे हैं. प्रधानमंत्री खुद जंगमवाड़ी मठ के महास्वामी को दिल्ली भी आमंत्रित कर चुके हैं. प्रधानमंत्री मठ के 100वें स्थापना वर्ष के कार्यक्रम में भी हिस्सा ले चुके हैं.

kashi jangamwadi math Lingayat voters
वाराणसी के जंगमबाड़ी मठ में वीरशैव लिंगायत भक्तों का आना-जाना लगा रहता है.
kashi jangamwadi math Lingayat voters
वाराणसी में जल रहे पुष्करालु कुंभ में कर्नाटक से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु आए हैं.

इन दिनों वाराणसी में 12 दिवसीय पुष्करालु कुंभ चल रहा है. इस कुंभ में भी बड़ी संख्या में कर्नाटक से श्रद्धालु पहुंचे हैं. ये श्रद्धालु बनारस में हो रहे उनके स्वागत से बेहद खुश नजर आ रहे हैं. उन्हें बनारस में हुए बदलावों से रूबरू कराया जा रहा है. कुल मिलाकर बीजेपी बनारस के जरिए दक्षिण को साधने का प्रयास कर रही है. माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव में जंगमवाड़ी मठ और अन्य मंदिरों में विकास की तस्वीर को दिखा कर वोटरों को साधने में सफल हो सकती है.

पढ़ें : तमिल संगमम के बाद अब पुष्कर मेले से बीजेपी उत्तर से दक्षिण भारत को साधने में जुटी, कर रही ये तैयारियां

Last Updated : Apr 29, 2023, 3:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.