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कार्तिक पूर्णिमा: कहीं लगी आस्था की डुबकी तो कहीं नौवाणिज्य की परंपरा को किया याद

पिछले दो सालों से कोविड-19 महामारी की वजह से कार्तिक पूर्णिमा पर किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना, स्नान-दान आदि पर प्रतिबंद्ध लगा दिया गया था. अब प्रतिबंद्ध हटाए जाने के बाद ओडिशा के विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं ने नौवाणिज्य की पुरातन परंपरा को याद किया है.

कार्तिक पूर्णिमा
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Published : Nov 19, 2021, 10:30 AM IST

भुवनेश्वर : देशभर में शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा मनायी जा रही है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने की परंपरा है. कहीं, श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, तो कहीं दीप दान कर अपनी वाणिज्य परंपरा को याद कर रहे हैं. इस दिन किए गए स्नान और दान से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है. व्रत, पूजा-पाठ और दीपदान करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. पुराणों में भी इस दिन को पुण्य देने वाला पर्व बताया गया है.

पिछले दो सालों से कोविड-19 महामारी की वजह से कार्तिक पूर्णिमा पर किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना, स्नान-दान आदि पर प्रतिबंद्ध लगा दिया गया था. अब प्रतिबंद्ध हटाए जाने के बाद ओडिशा के विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं ने नौवाणिज्य की पुरातन परंपरा को याद किया है.

पढ़ें : Kartik Purnima 2021 : जानें स्नान दान और पूजन का शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह में व्रत रखने के बाद पंचक (कार्तिक महीने के अंतिम पांच दिन) के अंतिम दिन नदी-तालाबों और समुद्र में नाव बहाने की परंपरा है. इसलिए शुक्रवार को भोर के समय व्रतियों ने नदी में स्नान कर तरह-तरह के नाव को नदी-समुद्र में बहाया. इसके बाद शैवपीठों में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की. कई स्थानों में भगवान कार्तिक की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की गई.

उत्तर प्रदेश और बिहार में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. कानपुर के सरसैया घाट पर गंगा नदी में श्रद्धालुओं ने स्नान किया. वहीं, बिहार की राजधानी पटना में इस मौके पर श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाई औऱ पूजा-अर्चना की.

भुवनेश्वर : देशभर में शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा मनायी जा रही है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने की परंपरा है. कहीं, श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, तो कहीं दीप दान कर अपनी वाणिज्य परंपरा को याद कर रहे हैं. इस दिन किए गए स्नान और दान से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है. व्रत, पूजा-पाठ और दीपदान करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. पुराणों में भी इस दिन को पुण्य देने वाला पर्व बताया गया है.

पिछले दो सालों से कोविड-19 महामारी की वजह से कार्तिक पूर्णिमा पर किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना, स्नान-दान आदि पर प्रतिबंद्ध लगा दिया गया था. अब प्रतिबंद्ध हटाए जाने के बाद ओडिशा के विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं ने नौवाणिज्य की पुरातन परंपरा को याद किया है.

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कार्तिक माह में व्रत रखने के बाद पंचक (कार्तिक महीने के अंतिम पांच दिन) के अंतिम दिन नदी-तालाबों और समुद्र में नाव बहाने की परंपरा है. इसलिए शुक्रवार को भोर के समय व्रतियों ने नदी में स्नान कर तरह-तरह के नाव को नदी-समुद्र में बहाया. इसके बाद शैवपीठों में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की. कई स्थानों में भगवान कार्तिक की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की गई.

उत्तर प्रदेश और बिहार में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. कानपुर के सरसैया घाट पर गंगा नदी में श्रद्धालुओं ने स्नान किया. वहीं, बिहार की राजधानी पटना में इस मौके पर श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाई औऱ पूजा-अर्चना की.

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