बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने कोरोना वायरस (coronavirus) पर काबू पाने के लिए कई तरह के स्वास्थ्य उपकरण खरीदें हैं. हालांकि, इन उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में करोड़ों का हेर-फेर हुआ है. ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं. लोक लेखा समिति (Public Accounting Committee ) (पीएसी) ने कोविड खरीद के संबंध में उठाई गईं आपत्तियों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है.
कोरोना की पहली और दूसरी लहर से राज्य की पूरी स्वास्थ्य सुविधाओं पर झकझोर कर रख दिया था. डॉक्टर और फ्रंटलाइन वर्कर्स दिन रात कोविड के खिलाफ लड़ रहे हैं. ऐसे में कई कोरोना वॉरियर्स की जान चली गई. ऐसी आपदा की स्थिति में इस बात पर सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या इस धोखाधड़ी में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता है.
लोक लेखा समिति कोविड उपकरणों की खरीद में करोड़ों की अनियमितता के गंभीर आरोप लगा रही है. कोविड की पहली लहर में एचके पाटिल की अध्यक्षता में लोक लेखा समिति (पीएसी) और दूसरी लहर में रामलिंगा रेड्डी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ने उपकरण की खरीद मूल्य पर कड़ी आपत्ति जताई है.
क्या हैं पीएसी की आपत्तियां
रामलिंगा रेड्डी (Ramalinga Reddy) के नेतृत्व वाली पीएसी ने कोरोना उपकरणों की खरीद में कड़ी पर कड़ी आपत्ति जताई है. स्वास्थ्य विभाग को स्पष्टीकरण के लिए प्रश्नावली भेजी गई थी. राज्य सरकार ने 2,96,180 रुपये की लागत से 3 यूनिट पार्ट हेमेटोलॉजी सेल काउंट के लिए 1,195 यूनिट टेंडर खरीदे हैं, लेकिन इसी उपकरण को हिमाचल प्रदेश ने केवल 1,30,000 रुपये में खरीदा गया था, जिसने अंतर 25 करोड़ रुपये से अधिक होने पर आपत्ति जताई गई है.
राज्य सरकार ने मेसेक्स कॉर्पोरेशन से 5-पार्ट हेमेटोलॉजी सेल काउंट्स की 165 यूनिट 835,000 रुपये प्रति यूनिट में खरीदी है, लेकिन उपकरण केरल राज्य ने 4,60,200 रुपये में खरीदी. इसका मतलब है कि इस पर 6.18 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए गए हैं. विभाग द्वारा गठित कार्यबल ने 80.34 करोड़ दवा खरीद को मंजूरी दी है.
यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर का 'राजनीतिक भविष्य' तय करेगा परिसीमन आयोग
हालांकि, कर्नाटक चिकित्सा आपूर्ति निगम ने त्वरित कार्रवाई नहीं की है और राज्य सरकार दवाओं के भंडार को बढ़ाने में सक्षम नहीं है. पहले से ही विशेषज्ञों की टीमों को जल्द से जल्द एहतियाती कदम उठाने की सलाह दी गई है, लेकिन निगम की रफ्तार धीमी हो रही है. यह भी आरोप लगाया गया कि कोरोना की पहली लहर के समय भी अनियमितताएं हुईं. समिति के तत्कालीन अध्यक्ष एचके पाटिल ने खरीद में अनियमितता का पुरजोर विरोध किया था.