कोप्पाल (कर्नाटक): कर्नाटक सरकार ने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली योजना 'गृह ज्योति' की घोषणा की है. योजना का लाभ पाने के लिए 18 जून से आवेदन भी जमा किए जाने शुरू कर दिए गए हैं.
इस बीच राज्य से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. कोप्पाल जिले में एक बुजुर्ग महिला 1,03,315 रुपये का बिजली बिल पाकर हैरान रह गई. कोप्पाल के भाग्यनगर की रहने वाली गिरिजम्मा इतना ज्यादा बिजली बिल देखकर परेशान हैं. रोते हुए गिरिजम्मा ने बताया कि घर में हर दिन सिर्फ दो लाइटें जलती हैं, और एक लाख रुपये का बिल मिला है.
इससे पहले गिरिजम्मा के घर को भाग्य ज्योति योजना के तहत शामिल किया गया था. उनका कहना है कि छह माह पहले जीईएससीओएम कर्मचारियों ने नया मीटर लगाया तो बिल अधिक आ रहा है. पहले बिल 70 से 80 रुपये आता था. गिरिजम्मा ने कहा, सिर्फ 6 महीने में बिजली का बिल 1 लाख रुपये से ज्यादा आ गया है.
भाग्य ज्योति योजना पिछली सरकार द्वारा गरीबों के लिए लागू की गई एक मुफ्त बिजली योजना थी. इस योजना के तहत केवल 40 यूनिट मुफ्त बिजली की अनुमति है. साथ ही अगर अतिरिक्त करंट खपत होता है तो उसका बिल भी चुकाना होगा.
गिरिजम्मा ने कहा कि 'जिस छोटी सी झोपड़ी में मैं रहती हूं वहां केवल 2 बल्ब हैं. इसके अलावा, मैं मिक्सी का उपयोग नहीं करती. अब भी मैं अपने हाथों से मसाले पीसती हूं और खाना बनाती हूं. नया मीटर लगने के बाद इतना बिल आ रहा है. मैं इतना बड़ा बिल कैसे चुका सकती हूं?'
गिरिगम्मा एक छोटे से टिन शेड वाले घर में रह रही हैं. एक वक्त के खाने के लिए संघर्ष करने वाली ये दादी लाखों का बिल चुकाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. GESCOM अधिकारियों की इस गलती से लोगों में आक्रोश है.
कोप्पाल GESCOM के कार्यकारी अभियंता राजेश ने भाग्यनगर में गिरिजम्मा के घर का दौरा किया और उनको आश्वस्त किया कि बिल का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
कार्रवाई का आश्वासन : इंजीनियर ने कहा कि 'हम बिल संशोधित करेंगे, ये भाग्य ज्योति बिजली कनेक्शन है. इतनी बिजली का उपयोग नहीं होता. हमारा स्टाफ और बिल कलेक्टर लापरवाह हैं. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अगर ऐसे कोई मामले हैं तो जनता हमारे ध्यान में लाएगी तो हम उन पर गौर करेंगे.'
पहले भी आया ऐसा मामला : कुछ दिन पहले दक्षिण कन्नड़ जिले के उल्लाल में भी एक घर का 7 लाख रुपये का बिजली बिल आया था. मकान मालिकों ने बिल देखा तो परेशान हो गए. उल्लालबिल के रहने वाले सदाशिव आचार्य को ऐसा बिजली बिल मिला था. बाद में अधिकारियों ने अपनी गलती सुधारी थी.