बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन की पूर्ण पीठ ने आज (मंगलवार) राज्य सरकार को छात्राओं को कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए निर्देश देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू हुई. तीन जजों की बेंच की सुनवाई का यह तीसरा दिन (Karnataka hijab row high court hearing) है. याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत भी पेश हुए. ढाई घंटे से अधिक समय तक दलीलें सुनने के बाद पीठ ने समय की कमी को देखते हुए कल (16 फरवरी) दोपहर 2.30 बजे तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.
कामत ने दलील दी कि सार्वजनिक स्थलों पर हिजाब पहनने से कोई समस्या नहीं होती है. इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाना अनुचित है. हिजाब के कारण छात्रों को स्कूल से बाहर नहीं किया जाना चाहिए. शिक्षा संस्थानों में यूनिफॉर्म के अलावा हिजाब पहनने की छूट दी जानी चाहिए. उन्होंने अनुरोध किया कि इस संबंध में जारी अंतरिम आदेश को रद्द किया जाए.
वहीं, सुनवाई के बीच में महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादागी ने कहा कि एक छात्रा ने इस संबंध में दो याचिकाएं दाखिल कीं हैं. एक ही विषय के लिए दो याचिकाएं दायर करने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि इससे अदालत का कीमती समय बर्बाद होगा. इस पर छात्र के वकील ने कहा कि दूसरी अर्जी वापस ले ली जाएगी. गौरतलब है कि गवर्नमेंट गर्ल्स पीयू कॉलेज की छात्रा रेशम और अन्य छात्रों के माता-पिता द्वारा छह अलग-अलग रिट याचिकाएं और 18 अंतरिम याचिकाएं दायर की गईं हैं.
इससे पहले सोमवार को उन्होंने तर्क दिया था कि सरकार कानून और व्यवस्था की स्थिति के प्रबंधन के बहाने छात्रों को मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती है. उन्होंने कॉलेज विकास समिति को यूनिफॉर्म पर निर्णय लेने के लिए दिए गए अधिकारों पर भी आपत्ति जताई. सोमवार को, पीठ ने मीडिया को कार्यवाही की रिपोर्ट करने से रोकने से भी इनकार कर दिया था, क्योंकि एक वकील ने मांग की थी कि इसका अन्य राज्यों के चुनावों पर प्रभाव पड़ेगा.
अदालत ने पहले अंतरिम आदेश दिया था कि अंतिम आदेश तक स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए किसी भी धार्मिक प्रतीक की अनुमति नहीं है. आदेश में स्कूल और कॉलेज परिसर में हिजाब और भगवा शॉल दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. वृहद पीठ ने याचिकाकर्ताओं की उन दलीलों को भी खारिज कर दिया, जिनमें छात्रों को कक्षाओं में उनके यूनिफॉर्म के रंग के हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की गई थी.
हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. राज्य सरकार ने कक्षा 10 तक की कक्षाएं फिर से शुरू कर दी हैं और बुधवार से प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज खुल रहे हैं.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में हिजाब से संबंधित सभी याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान राज्य सरकार से शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने का अनुरोध किया था और सभी छात्रों को भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब और किसी भी धार्मिक ध्वज को कक्षा के भीतर पहनने पर रोक लगा दी थी.
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बता दें कि कर्नाटक में हिजाब विवाद उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था. स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था. इसके बाद अन्य शहरों में भी यह विवाद फैल गया. मुस्लिम लड़कियां इसका विरोध कर रही हैं, जिसके खिलाफ हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने भी भगवा शॉल पहनकर जवाबी विरोध शुरू कर दिया था. एक कॉलेज में यह विरोध हिंसक झड़प में बदल गया था, जहां पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए आंसू गैस छोड़नी पड़ी थी.