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कर्नाटक में अदालत ने ACB के गठन को किया रद्द, सभी मामले लोकायुक्त को स्थानांतरित - कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

कर्नाटक में एसीबी के गठन को रद्द कर दिया गया है. इस संबंध में आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने एसीबी के समक्ष लंबित सभी मामले लोकायुक्त को सौंप दिए हैं.

कर्नाटक में एसीबी  गठन रद्द
कर्नाटक में एसीबी गठन रद्द
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Published : Aug 11, 2022, 7:27 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने तत्कालीन राज्य सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के गठन के 14 मार्च, 2016 के आदेश को गुरुवार को रद्द कर दिया और एसीबी के समक्ष लंबित सभी मामले लोकायुक्त को सौंप दिए. एसीबी के कर्मचारियों को लोकायुक्त में समाहित किया जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने जनहित में सरकार को सक्षम व्यक्तियों को लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त नियुक्त करने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा और न्यायमूर्ति के. एस. हेमलेखा की पीठ का यह फैसला उस याचिका पर आया है जिसमें एसीबी के गठन और 16 मार्च, 2016 के सरकारी आदेश को चुनौती दी गई थी. 16 मार्च, 2016 के सरकारी आदेश में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मामले दर्ज करने और जांच करने का अधिकार लोकायुक्त पुलिस से वापस ले लिया गया था.

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि 'कार्यकारी आदेश' के माध्यम से एसीबी का गठन उचित और संवैधानिक नहीं है. इसके साथ ही पीठ ने एसीबी को खत्म कर दिया. हालांकि, पीठ ने कहा कि एसीबी द्वारा अब तक की गई कार्रवाई कायम रहेगी. वर्ष 2016 की दो सरकारी अधिसूचनाओं को अधिवक्ता संघ, बेंगलुरु, चिदानंद उर्स और समाज परिवर्तन समुदाय सहित विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी.

पढ़ें- कर्नाटक एसीबी प्रमुख ने न्यायाधीश की टिप्पणी को हटाने के लिए याचिका दायर की

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने तत्कालीन राज्य सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के गठन के 14 मार्च, 2016 के आदेश को गुरुवार को रद्द कर दिया और एसीबी के समक्ष लंबित सभी मामले लोकायुक्त को सौंप दिए. एसीबी के कर्मचारियों को लोकायुक्त में समाहित किया जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने जनहित में सरकार को सक्षम व्यक्तियों को लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त नियुक्त करने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा और न्यायमूर्ति के. एस. हेमलेखा की पीठ का यह फैसला उस याचिका पर आया है जिसमें एसीबी के गठन और 16 मार्च, 2016 के सरकारी आदेश को चुनौती दी गई थी. 16 मार्च, 2016 के सरकारी आदेश में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मामले दर्ज करने और जांच करने का अधिकार लोकायुक्त पुलिस से वापस ले लिया गया था.

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि 'कार्यकारी आदेश' के माध्यम से एसीबी का गठन उचित और संवैधानिक नहीं है. इसके साथ ही पीठ ने एसीबी को खत्म कर दिया. हालांकि, पीठ ने कहा कि एसीबी द्वारा अब तक की गई कार्रवाई कायम रहेगी. वर्ष 2016 की दो सरकारी अधिसूचनाओं को अधिवक्ता संघ, बेंगलुरु, चिदानंद उर्स और समाज परिवर्तन समुदाय सहित विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी.

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