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कर्नाटक में गलती से गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को पांच लाख रुपये का मुआवजा

कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु में एक व्यक्ति को बिना कारण गिरफ्तार किए जाने के मामले में हाई कोर्ट (High Court) ने पुलिस विभाग को पांच लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है.

Karnataka High Court
कर्नाटक हाई कोर्ट
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Published : Aug 5, 2022, 9:52 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु में 56 साल के एक व्यक्ति को बिना वजह गिरफ्तार किए जाने का मामला सामने आया है. इस व्यक्ति को कर्नाटक पुलिस ने एक आपराधिक मामले में नाम को लेकर हुए भ्रम की वजह से गिरफ्तार किया था. अब अदालत ने पुलिस विभाग को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया है.

कर्नाटक में कालिदास लेआउट के निवासी निंगाराजू एन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर दावा किया था कि 2011 में दर्ज आपराधिक मामले का कथित आरोपी राजू एनजीएन नहीं था. उसके खिलाफ पहले से दर्ज मामले को खारिज करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि एक व्यक्ति को यह पता लगाए बिना गिरफ्तार किया गया है कि क्या यह वही व्यक्ति था जिसके खिलाफ वारंट जारी किया गया था.

मामले में कड़ी फटकार लगाते हुए न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज (Justice Suraj Govindaraj) ने सात जुलाई को दिए अपने फैसले में कहा कि उसकी पहचान सत्यापित नहीं की गई और जिस वजह से एक निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया. इस मामले पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने पीड़ित व्यक्ति को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ें - राजनीति का अपराधीकरण: पार्टी प्रमुखों के खिलाफ अवमानना की याचिका खारिज

बेंगलुरु: कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु में 56 साल के एक व्यक्ति को बिना वजह गिरफ्तार किए जाने का मामला सामने आया है. इस व्यक्ति को कर्नाटक पुलिस ने एक आपराधिक मामले में नाम को लेकर हुए भ्रम की वजह से गिरफ्तार किया था. अब अदालत ने पुलिस विभाग को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया है.

कर्नाटक में कालिदास लेआउट के निवासी निंगाराजू एन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर दावा किया था कि 2011 में दर्ज आपराधिक मामले का कथित आरोपी राजू एनजीएन नहीं था. उसके खिलाफ पहले से दर्ज मामले को खारिज करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि एक व्यक्ति को यह पता लगाए बिना गिरफ्तार किया गया है कि क्या यह वही व्यक्ति था जिसके खिलाफ वारंट जारी किया गया था.

मामले में कड़ी फटकार लगाते हुए न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज (Justice Suraj Govindaraj) ने सात जुलाई को दिए अपने फैसले में कहा कि उसकी पहचान सत्यापित नहीं की गई और जिस वजह से एक निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया. इस मामले पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने पीड़ित व्यक्ति को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने का निर्देश दिया.

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