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हिंदू मंदिरों के संचालन संबंधी वर्तमान नियमों को बदलने के लिए कर्नाटक सरकार कानून लाएगी : बोम्मई

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Published : Dec 30, 2021, 3:29 PM IST

Updated : Dec 30, 2021, 4:50 PM IST

कर्नाटक सरकार एक नया कानून लाएगी जिसका उद्देश्य हिंदू मंदिरों को उन नियम-कानून से मुक्त करना है जिनसे वे वर्तमान में संचालित हो रहे हैं.

Karnataka CM
बोम्मई

हुब्बाली (कर्नाटक) : कर्नाटक सरकार एक नया कानून लाएगी जिसका उद्देश्य हिंदू मंदिरों को उन नियम-कानून से मुक्त करना है जिनसे वे वर्तमान में संचालित हो रहे हैं. यह बात बुधवार को यहां मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार धर्मांतरण निरोधक विधेयक के कानून बन जाने पर उसे लागू करने के लिए विशेष कार्यबल का गठन करेगी.

बोम्मई ने कहा, वरिष्ठ लोगों ने हमें चीजों के बारे में बताया है...दूसरे समुदाय के लोगों के पूजा स्थल विभिन्न कानूनों से सुरक्षित हैं और वे इनका पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन हमारे हिंदू मंदिरों पर कई तरह के नियंत्रण हैं और वे सरकारी नियम-कानून से बंधे हुए हैं. ऐसी व्यवस्था है कि मंदिर के राजस्व का इस्तेमाल इसके विकास में ही खर्च करने के लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है.

उन्होंने यहां राज्य भाजपा कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए कहा, यह हमारे वरिष्ठ जन की इच्छा है कि हिंदू मंदिरों को इस तरह के नियंत्रण एवं कानूनों से मुक्त किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, मैं इस कार्यकारिणी से कहना चाहता हूं कि सरकार इस बारे में बजट सत्र से पहले कानून लाएगी. हम अपने मंदिरों को इस तरह के कानूनों एवं शर्तों से मुक्त करेंगे. नियमन के अलावा कुछ नहीं होगा. हम सुनिश्चित करेंगे कि उनका स्वतंत्र रूप से प्रबंधन हो.

बेलगावी में हाल में हुए विधानसभा सत्र के दौरान बोम्मई सरकार ने कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक, 20211 पारित किया था जिसे धर्मांतरण रोधी विधेयक के नाम से जाना जाता है. इसके बाद राज्य सरकार का यह दूसरा बड़ा कदम माना जा रहा है.

कर्नाटक सरकार की हिंदू मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने की योजना ऐतिहासिक भूल : कांग्रेस

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को हिंदू मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राज्य सरकार की योजना को ऐतिहासिक भूल बताया और कहा कि उनकी पार्टी इसकी अनुमति नहीं देगी.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार के स्वामित्व वाले मंदिर राज्य की संपत्ति और उसके खजाने हैं.

शिवकुमार ने कहा, वे ऐतिहासिक भूल कर रहे हैं, मुजराई (विभाग) या सरकारी मंदिर प्रशासन के लिए स्थानीय लोगों को कैसे दिए जा सकते हैं? यह सरकार की संपत्ति है, राजकोषीय संपत्ति है, इन मंदिरों द्वारा करोड़ों रुपये एकत्र किए जाते हैं. यह कैसा राजनीतिक रुख है? क्या वे (भाजपा) कुछ अन्य राज्यों की देखा देखी ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं?

उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि यह कर्नाटक में नहीं हो सकता और कांग्रेस इसकी अनुमति नहीं देगी. कांग्रेस नेता ने कहा, चार जनवरी को हम सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक कर रहे हैं, इस दौरान हम इस पर चर्चा करेंगे और अपना रुख सामने रखेंगे.

कर्नाटक सरकार हिंदू मंदिरों को उन कानूनों और नियमों से मुक्त करने के उद्देश्य से एक कानून लाएगी जो वर्तमान में उन्हें नियंत्रित करते हैं. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को हुबली में प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही थी.

पढ़ें :- धर्मांतरण की बुराई को समाज में बढ़ने नहीं देना चाहिए : CM बोम्मई

मुख्यमंत्री ने कहा, मैं इस कार्यकारिणी को बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार बजट सत्र से पहले इस आशय का एक कानून लाएगी. हम अपने मंदिरों को ऐसे कानूनों और शर्तों से मुक्त करेंगे. नियमन के अलावा और कुछ नहीं होगा. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वे स्वतंत्र रूप से प्रबंधित होते हैं.

इसे बोम्मई सरकार के एक और बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, विधेयक को अभी कानून बनना बाकी है क्योंकि अभी इसका विधान परिषद में पेश होना और पारित होना लंबित है.

राज्य में कुल 34,563 मंदिर मुजराई (हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती) विभाग के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें उनके राजस्व सृजन के आधार पर ग्रेड ए, बी और सी के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

25 लाख रुपये से अधिक वार्षिक राजस्व वाले कुल 207 मंदिर श्रेणी ए के अंतर्गत आते हैं, पांच लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच के 139 मंदिर श्रेणी बी के अंतर्गत आते हैं, और 34,217 मंदिर श्रेणी सी के तहत 5 लाख रुपये से कम वार्षिक राजस्व के साथ आते हैं. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) सहित कई हिंदू संगठनों की लंबे समय से मांग रही है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए और उन्हें हिंदू समाज को सौंप दिया जाए.

हुब्बाली (कर्नाटक) : कर्नाटक सरकार एक नया कानून लाएगी जिसका उद्देश्य हिंदू मंदिरों को उन नियम-कानून से मुक्त करना है जिनसे वे वर्तमान में संचालित हो रहे हैं. यह बात बुधवार को यहां मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार धर्मांतरण निरोधक विधेयक के कानून बन जाने पर उसे लागू करने के लिए विशेष कार्यबल का गठन करेगी.

बोम्मई ने कहा, वरिष्ठ लोगों ने हमें चीजों के बारे में बताया है...दूसरे समुदाय के लोगों के पूजा स्थल विभिन्न कानूनों से सुरक्षित हैं और वे इनका पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन हमारे हिंदू मंदिरों पर कई तरह के नियंत्रण हैं और वे सरकारी नियम-कानून से बंधे हुए हैं. ऐसी व्यवस्था है कि मंदिर के राजस्व का इस्तेमाल इसके विकास में ही खर्च करने के लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है.

उन्होंने यहां राज्य भाजपा कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए कहा, यह हमारे वरिष्ठ जन की इच्छा है कि हिंदू मंदिरों को इस तरह के नियंत्रण एवं कानूनों से मुक्त किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, मैं इस कार्यकारिणी से कहना चाहता हूं कि सरकार इस बारे में बजट सत्र से पहले कानून लाएगी. हम अपने मंदिरों को इस तरह के कानूनों एवं शर्तों से मुक्त करेंगे. नियमन के अलावा कुछ नहीं होगा. हम सुनिश्चित करेंगे कि उनका स्वतंत्र रूप से प्रबंधन हो.

बेलगावी में हाल में हुए विधानसभा सत्र के दौरान बोम्मई सरकार ने कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक, 20211 पारित किया था जिसे धर्मांतरण रोधी विधेयक के नाम से जाना जाता है. इसके बाद राज्य सरकार का यह दूसरा बड़ा कदम माना जा रहा है.

कर्नाटक सरकार की हिंदू मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने की योजना ऐतिहासिक भूल : कांग्रेस

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को हिंदू मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राज्य सरकार की योजना को ऐतिहासिक भूल बताया और कहा कि उनकी पार्टी इसकी अनुमति नहीं देगी.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार के स्वामित्व वाले मंदिर राज्य की संपत्ति और उसके खजाने हैं.

शिवकुमार ने कहा, वे ऐतिहासिक भूल कर रहे हैं, मुजराई (विभाग) या सरकारी मंदिर प्रशासन के लिए स्थानीय लोगों को कैसे दिए जा सकते हैं? यह सरकार की संपत्ति है, राजकोषीय संपत्ति है, इन मंदिरों द्वारा करोड़ों रुपये एकत्र किए जाते हैं. यह कैसा राजनीतिक रुख है? क्या वे (भाजपा) कुछ अन्य राज्यों की देखा देखी ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं?

उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि यह कर्नाटक में नहीं हो सकता और कांग्रेस इसकी अनुमति नहीं देगी. कांग्रेस नेता ने कहा, चार जनवरी को हम सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक कर रहे हैं, इस दौरान हम इस पर चर्चा करेंगे और अपना रुख सामने रखेंगे.

कर्नाटक सरकार हिंदू मंदिरों को उन कानूनों और नियमों से मुक्त करने के उद्देश्य से एक कानून लाएगी जो वर्तमान में उन्हें नियंत्रित करते हैं. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को हुबली में प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही थी.

पढ़ें :- धर्मांतरण की बुराई को समाज में बढ़ने नहीं देना चाहिए : CM बोम्मई

मुख्यमंत्री ने कहा, मैं इस कार्यकारिणी को बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार बजट सत्र से पहले इस आशय का एक कानून लाएगी. हम अपने मंदिरों को ऐसे कानूनों और शर्तों से मुक्त करेंगे. नियमन के अलावा और कुछ नहीं होगा. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वे स्वतंत्र रूप से प्रबंधित होते हैं.

इसे बोम्मई सरकार के एक और बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, विधेयक को अभी कानून बनना बाकी है क्योंकि अभी इसका विधान परिषद में पेश होना और पारित होना लंबित है.

राज्य में कुल 34,563 मंदिर मुजराई (हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती) विभाग के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें उनके राजस्व सृजन के आधार पर ग्रेड ए, बी और सी के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

25 लाख रुपये से अधिक वार्षिक राजस्व वाले कुल 207 मंदिर श्रेणी ए के अंतर्गत आते हैं, पांच लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच के 139 मंदिर श्रेणी बी के अंतर्गत आते हैं, और 34,217 मंदिर श्रेणी सी के तहत 5 लाख रुपये से कम वार्षिक राजस्व के साथ आते हैं. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) सहित कई हिंदू संगठनों की लंबे समय से मांग रही है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए और उन्हें हिंदू समाज को सौंप दिया जाए.

Last Updated : Dec 30, 2021, 4:50 PM IST
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