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कर्नाटक वन विभाग ने पक्षियों की आवाजाही का अध्ययन करने का लिया निर्णय - Forest Department decided to study the movement of birds

कर्नाटक वन विभाग ने कोक्कारे बेलूर पक्षी अभयारण्य में पक्षियों की आवाजाही और उनकी पहचान के लिए जीपीएस टैग का अध्ययन करने का निर्णय लिया है.

कर्नाटक वन विभाग
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Published : Aug 11, 2021, 10:13 PM IST

कर्नाटक : कर्नाटक वन विभाग नए सिरे से पक्षियों पर परीक्षण शुरू कर रहा है.वन विभाग ने पक्षियों के लिए जीपीएस टैग और नंबर टैग का उपयोग करके पक्षियों की आवाजाही का अध्ययन करने का निर्णय लिया है.

आपको बता दें कि मद्दुर तालुक का कोक्कारे बेलूर पक्षी अभयारण्य है. यह काफी सुंदर है. देश-विदेश से कई पक्षी प्रजनन के लिए आते हैं पेलिकन, पेंडेंट स्टॉक सहित पक्षियों की देशी प्रजातियां चार महीने तक आते है.

सर्दियों में, प्रवासी पक्षी पेड़ों पर अपना घोंसला बनाते हैं और प्रजनन में संलग्न होते हैं.लेकिन, ये पक्षी आते कहां से हैं? वे कहाँ जाएंगे? इसका ठीक-ठीक पता नहीं है.इस प्रकार वन विभाग पक्षियों की आवाजाही के अध्ययन का नेतृत्व कर रहा है. जर्मनी से 4 जीपीएस उपकरण पहले ही मंगवाए जा चुके हैं.अब व्यावहारिक रूप से ये उपकरण 12 पक्षियों के अनुकूल हो गए हैं.

इसे भी पढ़े-हिमाचल में एक और भूस्खलन, 2 लोगों की मौत

वन विभाग ने कहा अब ये उपकरण 12 पक्षियों के अनुकूल हैं. जिससे हम पक्षियों की गतिविधियों का आसानी से पता लगा सकते हैं. इस बार वन विभाग ने पक्षियों की आवाजाही का अध्ययन करने का निर्णय लिया है.

कर्नाटक : कर्नाटक वन विभाग नए सिरे से पक्षियों पर परीक्षण शुरू कर रहा है.वन विभाग ने पक्षियों के लिए जीपीएस टैग और नंबर टैग का उपयोग करके पक्षियों की आवाजाही का अध्ययन करने का निर्णय लिया है.

आपको बता दें कि मद्दुर तालुक का कोक्कारे बेलूर पक्षी अभयारण्य है. यह काफी सुंदर है. देश-विदेश से कई पक्षी प्रजनन के लिए आते हैं पेलिकन, पेंडेंट स्टॉक सहित पक्षियों की देशी प्रजातियां चार महीने तक आते है.

सर्दियों में, प्रवासी पक्षी पेड़ों पर अपना घोंसला बनाते हैं और प्रजनन में संलग्न होते हैं.लेकिन, ये पक्षी आते कहां से हैं? वे कहाँ जाएंगे? इसका ठीक-ठीक पता नहीं है.इस प्रकार वन विभाग पक्षियों की आवाजाही के अध्ययन का नेतृत्व कर रहा है. जर्मनी से 4 जीपीएस उपकरण पहले ही मंगवाए जा चुके हैं.अब व्यावहारिक रूप से ये उपकरण 12 पक्षियों के अनुकूल हो गए हैं.

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वन विभाग ने कहा अब ये उपकरण 12 पक्षियों के अनुकूल हैं. जिससे हम पक्षियों की गतिविधियों का आसानी से पता लगा सकते हैं. इस बार वन विभाग ने पक्षियों की आवाजाही का अध्ययन करने का निर्णय लिया है.

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