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कर्नाटक : पाठ्यक्रम में शामिल की जा सकती है भगवद् गीता, शिक्षा मंत्री ने दिए संकेत - कर्नाटक के पाठ्यक्रम में भगवद् गीता

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी नागेश ने संकेत दिया है कि राज्य में पाठ्यक्रम में भगवद् गीता को शामिल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए वे सीएम से चर्चा करेंगे.

Bhagavad Geeta In Text book in Karnataka
कर्नाटक के पाठ्यक्रम में भगवद् गीता
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Published : Mar 19, 2022, 9:20 AM IST

Updated : Mar 19, 2022, 9:32 AM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक में भी गुजरात की तर्ज पर पाठ्यक्रम में भगवद् गीता को शामिल करने की बात चल रही है. राज्य के शिक्षा मंत्री बी नागेश ने इसके संकेत दिए. उन्होंने कहा की पाठ्यक्रम में भगवद् गीता को जोड़ने के लिए कोई समस्या नहीं है. गुजरात में इसकी घोषणा की जा चुकी है और हम भी ऐसा करने के लिए सीएम से चर्चा करेंगे. उन्होंने विधान सौध में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बातें कहीं.

उन्होंने आगे कहा, हम शिक्षा प्रणाली में नैतिक विज्ञान को जोड़ने के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्रियों और शिक्षा विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे जिससे हम आने वाले दिनों में सही फैसला ले सकें. शिक्षा विशेषज्ञ भगवद गीता के साथ पाठ्यक्रम में बाइबल और कुरान से भी कई बातें जोड़ने को कह सकते हैं और उस पर भी बात होगी. उन्होंने बताया की जब एसएम कृष्णा सीएम थे तब वे हर रात भगवद् गीता पढ़ते थे. इससे उन्हें शांति मिलती थी. इसलिए, पाठ्यक्रम में भगवद् गीता को जोड़ने के लिए कोई समस्या नहीं है.

वहीं मंत्री मुरुगेश निरानी ने कहा कि भगवद गीता में मानवता का मूल्य है. बच्चों को इसे पढ़ने की जरूरत है जिससे उनके ज्ञान का विकास हो सके. गुजरात सरकार पहले से ही टेक्स्ट मोड में जोड़ने की योजना बना रही है और इसे हमारे राज्य में भी टेक्स्ट में जोड़ा जाना चाहिए. उधर मुख्यमंत्री की राजनीतिक सचिव रेणुका आचार्य ने कहा कि, 'मैं पाठ्यक्रम में भगवद् गीता का स्वागत करूंगी.'

उन्होंने कहा कि स्पीकर ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' देखने के लिए बुलाया था, पर कोई नहीं आया. आप इस देश में रहने के काबिल नहीं हैं. छात्र बैंड का आह्वान कर विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस ने बच्चों की शिक्षा को बर्बाद किया है. वहीं कुदाची राजीव ने कहा कि, हमें चीजों की गहराई जानने के बारे में बात करनी चाहिए. नहीं तो बर्बादी तय है. मैं दस वर्षों से लगातार भगवद गीता पढ़ रहा हूं. मेरा अपना यूट्यूब चैनल है और जितना मुझे पता है की भगवद गीता को नृविज्ञान(Anthropology) की दुनिया में सबसे महान पुस्तक माना जाता है.

यह भी पढ़ें-कर्नाटक होली उत्सव : जीवित रति-मनमाथा को जनता को होती है हंसाने की चुनौती

इसपर केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि पाठ्यक्रम में पहले से ही भगवद् गीता और रामायण के विचार शामिल हैं. लोगों के लिए सभी धर्मों के रीति-रिवाजों और विचारों को जानना गलत नहीं है. इसलिए कुछ भी नया करने की जरूरत नहीं है. विधान सौध में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं शुरू से ही एनईपी का विरोधी रहा हूं. उन्होंने भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर आपत्ति जताई.

बेंगलुरु: कर्नाटक में भी गुजरात की तर्ज पर पाठ्यक्रम में भगवद् गीता को शामिल करने की बात चल रही है. राज्य के शिक्षा मंत्री बी नागेश ने इसके संकेत दिए. उन्होंने कहा की पाठ्यक्रम में भगवद् गीता को जोड़ने के लिए कोई समस्या नहीं है. गुजरात में इसकी घोषणा की जा चुकी है और हम भी ऐसा करने के लिए सीएम से चर्चा करेंगे. उन्होंने विधान सौध में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बातें कहीं.

उन्होंने आगे कहा, हम शिक्षा प्रणाली में नैतिक विज्ञान को जोड़ने के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्रियों और शिक्षा विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे जिससे हम आने वाले दिनों में सही फैसला ले सकें. शिक्षा विशेषज्ञ भगवद गीता के साथ पाठ्यक्रम में बाइबल और कुरान से भी कई बातें जोड़ने को कह सकते हैं और उस पर भी बात होगी. उन्होंने बताया की जब एसएम कृष्णा सीएम थे तब वे हर रात भगवद् गीता पढ़ते थे. इससे उन्हें शांति मिलती थी. इसलिए, पाठ्यक्रम में भगवद् गीता को जोड़ने के लिए कोई समस्या नहीं है.

वहीं मंत्री मुरुगेश निरानी ने कहा कि भगवद गीता में मानवता का मूल्य है. बच्चों को इसे पढ़ने की जरूरत है जिससे उनके ज्ञान का विकास हो सके. गुजरात सरकार पहले से ही टेक्स्ट मोड में जोड़ने की योजना बना रही है और इसे हमारे राज्य में भी टेक्स्ट में जोड़ा जाना चाहिए. उधर मुख्यमंत्री की राजनीतिक सचिव रेणुका आचार्य ने कहा कि, 'मैं पाठ्यक्रम में भगवद् गीता का स्वागत करूंगी.'

उन्होंने कहा कि स्पीकर ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' देखने के लिए बुलाया था, पर कोई नहीं आया. आप इस देश में रहने के काबिल नहीं हैं. छात्र बैंड का आह्वान कर विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस ने बच्चों की शिक्षा को बर्बाद किया है. वहीं कुदाची राजीव ने कहा कि, हमें चीजों की गहराई जानने के बारे में बात करनी चाहिए. नहीं तो बर्बादी तय है. मैं दस वर्षों से लगातार भगवद गीता पढ़ रहा हूं. मेरा अपना यूट्यूब चैनल है और जितना मुझे पता है की भगवद गीता को नृविज्ञान(Anthropology) की दुनिया में सबसे महान पुस्तक माना जाता है.

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इसपर केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि पाठ्यक्रम में पहले से ही भगवद् गीता और रामायण के विचार शामिल हैं. लोगों के लिए सभी धर्मों के रीति-रिवाजों और विचारों को जानना गलत नहीं है. इसलिए कुछ भी नया करने की जरूरत नहीं है. विधान सौध में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं शुरू से ही एनईपी का विरोधी रहा हूं. उन्होंने भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर आपत्ति जताई.

Last Updated : Mar 19, 2022, 9:32 AM IST
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