बेंगलुरु: कर्नाटक बीजेपी ने फैसला लिया है कि वह जाति जनगणना रिपोर्ट को जारी नहीं करने को लेकर सरकार पर दबाव बनाएगी जो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के समय में की गई थी. कांग्रेस ने जाति जनगणना रिपोर्ट को लागू करने की मांग की है. 2013 में कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले सिद्धारमैया ने जाति के आधार पर जनगणना की रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जिसके लिए कांताराजू (Kantaraju) को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 175 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. हालांकि, रिपोर्ट रिलीज किए जाने से पहले यह सोशल मीडिया में लीक हो गई.
कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार के पांच साल पूरे होने के बाद आगामी चुनावों के मद्देनजर इस जनगणना को जारी नहीं किया गया. इसके बाद जब राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार आई तो उन्होंने इस रिपोर्ट को भुला दिया था और अब राज्य में येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार भी इस रिपोर्ट जारी करने के पक्ष में नहीं दिख रही.
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कर्नाटक उप-मुख्यमंत्री गोविंद करजोला का कहना है कि ''जाति जनगणना रिपोर्ट को मंजूर और खारिज करने का प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है. हमने यह रिपोर्ट नहीं देखी है.'' वहीं, बीजेपी सरकार का कहना है कि वह आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रिपोर्ट (जाति जनगणना) को जारी नहीं करेगी. इसे सिद्धारमैया लागू करना चाहते हैं इसलिए कांग्रेस ने अगले सत्र में इस रिपोर्ट को जारी करने का प्रस्ताव देने का फैसला किया है.
गौरतलब है कि सिद्धारमैया सरकार ने जाति जनगणना रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जिसके लिए करीब 175 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे.जाति जनगणना 11 अप्रैल से 20 अप्रैल 2015 तक आयोजित की गई थी. इसमें कुल 1.31 करोड़ परिवारों से संपर्क किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में दलितों की संख्या सबसे ज्यादा हैं और कुरुबा (Kuruba) सबसे पिछड़ा समुदाय है.