उडुपी : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई अपने अंगों को दान करना चाहते हैं. उन्होंने लोगों को अंगदान करने के लिए भी प्रेरित किया.
विश्व अंग दान दिवस के अवसर पर उडुपी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान सीएम बोम्मई ने कहा, अंग प्रत्यारोपण तकनीक उभरी है और सफल हो रही है. अंगदान करने से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसलिए, अंगदान करने के लिए और लोगों को आगे आने चाहिए.
सीएम ने कहा, यदि आप एक और जीवन बचा सकते हैं, तो ऐसा क्यों नहीं करते? हर किसी को यह संकल्प लेने दें.
क्या है अंगदान?
अंगदान वह प्रक्रिया है जिसमें एक जीवित या मृत व्यक्ति अपने स्वस्थ अंग का किसी दूसरे व्यक्ति के स्वास्थ्य हित में दान करता है. अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से अंग को दाता के शरीर से निकालकर प्राप्तकर्ता के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है. आमतौर पर शरीर के ज्यादातर अंगों का प्रत्यारोपण दाता व्यक्ति की मृत्यु के बाद एक सीमित अवधि तक ही संभव हो पाता हैं. वहीं कुछ अंगों या अंगों के हिस्सों को जीवित व्यक्ति भी दान कर सकते है.
भारत में अंग प्रत्यारोपण को नियंत्रित करने वाले कानून और नियम
भारत में अंग दान और प्रत्यारोपण से संबंधित प्राथमिक कानून, मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 में पारित किया गया था. जिसका उद्देश्य चिकित्सीय उद्देश्यों से अंग प्रत्यारोपण के लिये नियमों और नीतियों का निर्धारण करना था. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना था की कहीं मानव अंग तस्करी या अन्य अवैध उद्देश्य के लिए इस प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो सके. इसके बाद वर्ष 2011 अधिनियम में संशोधन किया गया था. इस अधिनियम संबंधित नियमों को 2014 में अधिसूचित किया गया था.
2019 में, भारत सरकार ने मृत अंग दान को बढ़ावा देने के लिए ₹149.5 करोड़ (यूएस डॉलर) के बजट के साथ राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम लागू किया. इस अधिनियम के तहत अंगदान करने के लिए निर्धारित नियम इस प्रकार हैं:
• किसी भी उम्र, जाति, धर्म या समुदाय का व्यक्ति अंगदान के लिये स्वयं को पंजीकृत करवा सकता है.
• प्राकृतिक मृत्यु के मामले में कॉर्निया, हृदय वाल्व, त्वचा और हड्डी जैसे ऊतकों का दान किया जा सकता है, लेकिन हृदय, यकृत, गुर्दे, आंत, फेफड़े और अग्न्याशय जैसे महत्वपूर्ण अंग केवल 'मस्तिष्क मृत्यु' के मामले में ही दान किए जा सकते हैं.
• 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को दाता बनने के लिए पंजीकरण करने हेतु माता-पिता या अभिभावक की सहमति की आवश्यकता होती है.
• सक्रिय रूप से फैलने वाले कैंसर, एचआईवी, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी, या हृदय रोग जैसी गंभीर स्थिति होने पर आपको जीवित दाता के रूप में दान करने से रोका जा सकता है.