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Karnataka Assembly Election 2023 : मतदाताओं को लुभाने के लिए हर चुनाव में आचार संहिता के उल्लंघन की संख्या में हो रहा इजाफा - कर्नाटक विधानसभा चुनाव

कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने के बाद से अभी तक करोड़ों रुपये जब्त किए जा चुके हैं. वहीं चुनाव आयोग के द्वारा आचार संहिता के जरिए राजनीतिक दलों पर नजर रखी जा रही है. पढ़िए पूरी खबर...

Karnataka Assembly Elections
कर्नाटक विधानसभा चुनाव
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Published : Apr 15, 2023, 6:18 PM IST

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बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आचार संहिता लागू हो चुकी है, इसके मद्देनजर चुनाव आयोग के द्वारा सख्त आचार संहिता के तहत सभी राजनीतिक दलों पर नजर रखी जा रही है. इसी क्रम में राज्य में करोड़ों रुपये जब्त किए जा चुके हैं.राजनीतिक दलों के द्वारा मतदाताओं को लुभाने का काम किया जा रहा है. लेकिन आचार संहिता के जरिये चुनाव आयोग राजनीतिक दलों पर नजर रख रहा है. इसके अंर्तगत विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से मिलने वाली सूचना के आधार पर कानून व्यवस्था के उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई करना आदि शामिल है. इसके अलावा गड़बड़ी रोकने के लिए पहले से ही इंटेलिजेंस स्क्वॉड, फिक्स्ड सर्विलांस टीम, आईटी ऑफिसर, ईडी, पुलिस और एक्साइज डिपार्टमेंट के अधिकारी काम कर रहे हैं.

बता दें कि आचार संहिता का पालन चुनाव अनियमितताओं को रोकने और स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए किया जाता है. हालांकि चुनाव तिथि की घोषणा की तिथि से लेकर मतदान समाप्ति तक आचार संहिता लागू रहेगी. इस दौरान सभी राजनीतिक दलों, सरकार और उम्मीदवारों को आचार संहिता का कड़ाई से पालन करना होता है. विभिन्न सरकारी विभागों, सरकारी स्वामित्व वाले संस्थानों, निगमों, बोर्डों, स्थानीय नागरिक निकायों, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों सहित सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले प्रत्येक संगठन या कार्यालय पर आचार संहिता लागू होती है. आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार किसी नई योजना या कार्यक्रम की घोषणा नहीं कर सकती है. इसके तहत उद्घाटन और शिलान्यास जैसे कार्यक्रमों पर रोक होती है.

इस दौरान कोई नया टेंडर भी नहीं बुलाया जा सकता है और उम्मीदवार मतदाताओं को नकद, शराब, सामान, कोई उपहार या उपहार नहीं दे सकते हैं. आचार संहिता लागू होने के बाद मंत्री और विधायक सरकारी वाहनों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. वहीं अधिकारी प्रगति समीक्षा बैठक भी नहीं कर सकते हैं. हालांकि मंत्री सरकारी वाहन का प्रयोग कार्यालय आने-जाने के लिए आवंटित सरकारी आवास से ही कर सकते हैं. यदि मंत्री को बेंगलुरु से बाहर आधिकारिक दौरे पर जाना है, तो उसे चुनाव आयोग के ध्यान में लाया जाना चाहिए. इसके साथ ही चुनाव प्रचार सभा, समारोह, रैलियों के लिए चुनाव आयोग और संबंधित थाने की अनुमति लेनी जरुरी होती है. वहीं उम्मीदवारों को अपने चुनाव खर्च के लिए अलग से खाता खोलना होता है. चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपये तय की गई है.

हालांकि चुनाव आयोग के द्वारा कुल 94 करोड़ कैश के अलावा 24.78 करोड़ की शराब जब्त की गई. इसके अलावा और वाहनों समेत कुल 66 करोड़ रुपये का सामान जब्त किया गया है. इससे पहले चुनाव आयोग ने 2018 के चुनाव के दौरान अवैध नकदी, शराब और 185.74 करोड़ रुपये का सामान जब्त किया था. 2013 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 2018 के चुनाव में 8 गुना अधिक मात्रा में अवैध नकदी, शराब और सामान जब्त किया गया. राज्य में जब्त नकदी, शराब और सामान की कीमत पिछले 12 दिनों में पिछली बार की तुलना में पांच गुना अधिक है. इससे पता चलता है कि राजनीतिक दलों ने वोटरों को रिझाने के लिए नया रास्ता बना लिया है.

चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, चुनाव की घोषणा के पहले दो हफ्तों के भीतर चुनाव आयोग ने 108 करोड़ की नकदी जब्त कर ली थी. पिछले चुनाव की इसी अवधि के दौरान 20.12 करोड़ मूल्य की नकदी, शराब और सामान जब्त किया गया था. 2018 में चुनाव आयोग ने 14 दिनों में 4.83 करोड़ रुपये जब्त किए थे, इस बार 14 दिनों में 37.24 करोड़ रुपये जब्त किए गए. पिछली बार दो सप्ताह में 12,725 लीटर शराब जब्त की गई थी, इस बार 5,23,988 लीटर शराब जब्त की गई है. पिछली बार करीब 30 किलो ड्रग्स जब्त की गई थी, इस बार दो हफ्ते में 397 किलो ड्रग्स जब्त की जा चुकी है. वहीं पिछली बार 10 किलो सोना जब्त हुआ था जबकि इस बार दो हफ्ते में 34.36 किलो सोना जब्त हो चुका है.

ये भी पढ़ें - Karnataka Assembly Election 2023 : कांग्रेस ने जारी की 43 प्रत्याशियों की तीसरी सूची, अथानी सीट से चुनाव लड़ेंगे लक्ष्मण सावदी

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बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आचार संहिता लागू हो चुकी है, इसके मद्देनजर चुनाव आयोग के द्वारा सख्त आचार संहिता के तहत सभी राजनीतिक दलों पर नजर रखी जा रही है. इसी क्रम में राज्य में करोड़ों रुपये जब्त किए जा चुके हैं.राजनीतिक दलों के द्वारा मतदाताओं को लुभाने का काम किया जा रहा है. लेकिन आचार संहिता के जरिये चुनाव आयोग राजनीतिक दलों पर नजर रख रहा है. इसके अंर्तगत विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से मिलने वाली सूचना के आधार पर कानून व्यवस्था के उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई करना आदि शामिल है. इसके अलावा गड़बड़ी रोकने के लिए पहले से ही इंटेलिजेंस स्क्वॉड, फिक्स्ड सर्विलांस टीम, आईटी ऑफिसर, ईडी, पुलिस और एक्साइज डिपार्टमेंट के अधिकारी काम कर रहे हैं.

बता दें कि आचार संहिता का पालन चुनाव अनियमितताओं को रोकने और स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए किया जाता है. हालांकि चुनाव तिथि की घोषणा की तिथि से लेकर मतदान समाप्ति तक आचार संहिता लागू रहेगी. इस दौरान सभी राजनीतिक दलों, सरकार और उम्मीदवारों को आचार संहिता का कड़ाई से पालन करना होता है. विभिन्न सरकारी विभागों, सरकारी स्वामित्व वाले संस्थानों, निगमों, बोर्डों, स्थानीय नागरिक निकायों, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों सहित सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले प्रत्येक संगठन या कार्यालय पर आचार संहिता लागू होती है. आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार किसी नई योजना या कार्यक्रम की घोषणा नहीं कर सकती है. इसके तहत उद्घाटन और शिलान्यास जैसे कार्यक्रमों पर रोक होती है.

इस दौरान कोई नया टेंडर भी नहीं बुलाया जा सकता है और उम्मीदवार मतदाताओं को नकद, शराब, सामान, कोई उपहार या उपहार नहीं दे सकते हैं. आचार संहिता लागू होने के बाद मंत्री और विधायक सरकारी वाहनों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. वहीं अधिकारी प्रगति समीक्षा बैठक भी नहीं कर सकते हैं. हालांकि मंत्री सरकारी वाहन का प्रयोग कार्यालय आने-जाने के लिए आवंटित सरकारी आवास से ही कर सकते हैं. यदि मंत्री को बेंगलुरु से बाहर आधिकारिक दौरे पर जाना है, तो उसे चुनाव आयोग के ध्यान में लाया जाना चाहिए. इसके साथ ही चुनाव प्रचार सभा, समारोह, रैलियों के लिए चुनाव आयोग और संबंधित थाने की अनुमति लेनी जरुरी होती है. वहीं उम्मीदवारों को अपने चुनाव खर्च के लिए अलग से खाता खोलना होता है. चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपये तय की गई है.

हालांकि चुनाव आयोग के द्वारा कुल 94 करोड़ कैश के अलावा 24.78 करोड़ की शराब जब्त की गई. इसके अलावा और वाहनों समेत कुल 66 करोड़ रुपये का सामान जब्त किया गया है. इससे पहले चुनाव आयोग ने 2018 के चुनाव के दौरान अवैध नकदी, शराब और 185.74 करोड़ रुपये का सामान जब्त किया था. 2013 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 2018 के चुनाव में 8 गुना अधिक मात्रा में अवैध नकदी, शराब और सामान जब्त किया गया. राज्य में जब्त नकदी, शराब और सामान की कीमत पिछले 12 दिनों में पिछली बार की तुलना में पांच गुना अधिक है. इससे पता चलता है कि राजनीतिक दलों ने वोटरों को रिझाने के लिए नया रास्ता बना लिया है.

चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, चुनाव की घोषणा के पहले दो हफ्तों के भीतर चुनाव आयोग ने 108 करोड़ की नकदी जब्त कर ली थी. पिछले चुनाव की इसी अवधि के दौरान 20.12 करोड़ मूल्य की नकदी, शराब और सामान जब्त किया गया था. 2018 में चुनाव आयोग ने 14 दिनों में 4.83 करोड़ रुपये जब्त किए थे, इस बार 14 दिनों में 37.24 करोड़ रुपये जब्त किए गए. पिछली बार दो सप्ताह में 12,725 लीटर शराब जब्त की गई थी, इस बार 5,23,988 लीटर शराब जब्त की गई है. पिछली बार करीब 30 किलो ड्रग्स जब्त की गई थी, इस बार दो हफ्ते में 397 किलो ड्रग्स जब्त की जा चुकी है. वहीं पिछली बार 10 किलो सोना जब्त हुआ था जबकि इस बार दो हफ्ते में 34.36 किलो सोना जब्त हो चुका है.

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