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karnataka Assembly Election 2023 : उत्तरी कर्नाटक में भाजपा के लिए लिंगायत फैक्टर महंगा पड़ा

उत्तरी कर्नाटक के सात जिलों में कांग्रेस की शानदार जीत को भाजपा के गढ़ में एक बड़ा झटका माना जा रहा है. यहां की 56 में से 40 सीटों में अभी तक भाजपा का कब्जा था लेकिन इस बार यहां पर कांग्रेस को समर्थन मिला है.

karnataka Assembly Election 2023
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023
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Published : May 13, 2023, 2:55 PM IST

हुबली (कर्नाटक) : उत्तरी कर्नाटक के सात जिलों में कांग्रेस की जबरदस्त जीत को भाजपा के उसके ही गढ़ में बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. क्षेत्र की 56 में से 40 सीटों पर (दलबदल के बाद) भाजपा का कब्जा था, लेकिन मतगणना के रुझानों में वह कई निर्वाचन क्षेत्रों में पीछे चल रही थी. बेलगावी, उत्तर कन्नड़, हावेरी, गडग, विजयपुरा, बागलोकोट और धारवाड़ में लिंगायत समुदाय की उपस्थिति अधिक है. यह समुदाय पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थक रहा है, लेकिन नतीजों से लगता है कि उसने इस बार कांग्रेस का समर्थन किया है.

भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार भले ही हुबली-सेंट्रल धारवाड़ की इस सीट से हार गए, लेकिन जिस तरह से उन्हें भाजपा छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, वह लिंगायत समुदाय को अच्छा नहीं लगा. लिंगायतों के अखिल भारतीय वीरशैव समुदाय ने भी खुले तौर पर कांग्रेस को अपना समर्थन दिया और चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह मनोबल बढ़ाने वाला था.

पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे. वह बेलगावी जिले में अथानी की अपनी पारंपरिक सीट से जीत गए हैं. सावदी लिंगायत समुदाय के एक शक्तिशाली नेता हैं और उन्हें भी पार्टी के बड़े नेताओं बीएल संतोष और बसवराज बोम्मई द्वारा भाजपा छोड़ने के लिए विवश किया गया. इन दोनों बड़े नेताओं के भाजपा छोड़ने से वर्षो से भाजपा का गढ़ रहे उत्तर कर्नाटक में भगवा पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित हुआ है. यह पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए कई सवाल खड़े करेगा.

वहीं कर्नाटक में कांग्रेस के खेमे में जारी जश्न के बीच पार्टी अपने विजयी उम्मीदवारों को शनिवार को ही बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित एक रिजॉर्ट में शिफ्ट करने की योजना बना रही है. पार्टी ने बड़ी बढ़त हासिल कर चुके या विजयी घोषित अपने सभी उम्मीदवारों को आज रात ही बेंगलुरु के रिजॉर्ट में पहुंचने के लिए कहा है. सूत्रों ने बताया कि पहले पार्टी नेतृत्व पूर्ण बहुमत नहीं आने की स्थिति में विधायकों को जयपुर के एक रिजॉर्ट में स्थानांतरित करने की सोच रही थी. सूत्रों ने बताया कि अब नेतृत्व स्पष्ट बहुमत के प्रति आश्वस्त है और महाराष्ट्र की घटना के बाद कोई जोखिम नहीं लेते हुए अब विधायकों को बेंगलुरु के रिजॉर्ट में रखने की योजना बनाई गई है.

ये भी पढ़ें - Karnataka Election Results 2023 : 'करप्शन' व 'कमीशन' देखकर 'बजरंगबली' ने नहीं की BJP पर कृपा, आरक्षण छीनने का उल्टा पड़ा दांव

(आईएएनएस)

हुबली (कर्नाटक) : उत्तरी कर्नाटक के सात जिलों में कांग्रेस की जबरदस्त जीत को भाजपा के उसके ही गढ़ में बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. क्षेत्र की 56 में से 40 सीटों पर (दलबदल के बाद) भाजपा का कब्जा था, लेकिन मतगणना के रुझानों में वह कई निर्वाचन क्षेत्रों में पीछे चल रही थी. बेलगावी, उत्तर कन्नड़, हावेरी, गडग, विजयपुरा, बागलोकोट और धारवाड़ में लिंगायत समुदाय की उपस्थिति अधिक है. यह समुदाय पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थक रहा है, लेकिन नतीजों से लगता है कि उसने इस बार कांग्रेस का समर्थन किया है.

भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार भले ही हुबली-सेंट्रल धारवाड़ की इस सीट से हार गए, लेकिन जिस तरह से उन्हें भाजपा छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, वह लिंगायत समुदाय को अच्छा नहीं लगा. लिंगायतों के अखिल भारतीय वीरशैव समुदाय ने भी खुले तौर पर कांग्रेस को अपना समर्थन दिया और चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह मनोबल बढ़ाने वाला था.

पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे. वह बेलगावी जिले में अथानी की अपनी पारंपरिक सीट से जीत गए हैं. सावदी लिंगायत समुदाय के एक शक्तिशाली नेता हैं और उन्हें भी पार्टी के बड़े नेताओं बीएल संतोष और बसवराज बोम्मई द्वारा भाजपा छोड़ने के लिए विवश किया गया. इन दोनों बड़े नेताओं के भाजपा छोड़ने से वर्षो से भाजपा का गढ़ रहे उत्तर कर्नाटक में भगवा पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित हुआ है. यह पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए कई सवाल खड़े करेगा.

वहीं कर्नाटक में कांग्रेस के खेमे में जारी जश्न के बीच पार्टी अपने विजयी उम्मीदवारों को शनिवार को ही बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित एक रिजॉर्ट में शिफ्ट करने की योजना बना रही है. पार्टी ने बड़ी बढ़त हासिल कर चुके या विजयी घोषित अपने सभी उम्मीदवारों को आज रात ही बेंगलुरु के रिजॉर्ट में पहुंचने के लिए कहा है. सूत्रों ने बताया कि पहले पार्टी नेतृत्व पूर्ण बहुमत नहीं आने की स्थिति में विधायकों को जयपुर के एक रिजॉर्ट में स्थानांतरित करने की सोच रही थी. सूत्रों ने बताया कि अब नेतृत्व स्पष्ट बहुमत के प्रति आश्वस्त है और महाराष्ट्र की घटना के बाद कोई जोखिम नहीं लेते हुए अब विधायकों को बेंगलुरु के रिजॉर्ट में रखने की योजना बनाई गई है.

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(आईएएनएस)

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