नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले के आरोपी ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम समेत तीन लोगों को बरी कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि इतिहास, जब विभाजन के बाद के सांप्रदायिक दंगे को देखेगा तो वो पाएगा कि दिल्ली दंगों में जांच एजेंसी ने ठीक से जांच नहीं की.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले को केवल चार्जशीट दाखिल कर केस को सुलझाने की कोशिश की गई. घटना के चश्मदीद गवाहों को खोजने की ईमानदार कोशिश नहीं की गई. यहां तक कि घटना के असली गुनहगारों को भी सामने नहीं लाया गया और तकनीकी साक्ष्यों को नहीं जुटाया गया. न्यायिक प्रक्रिया में ऐसे केस को चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसमें कोर्ट के न्यायिक समय को बर्बाद किया गया है.
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कोर्ट ने कहा कि घटना का कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं था, ताकि ये पता लग सके कि घटना के समय आरोपी घटनास्थल पर मौजूद थे कि नहीं. मामले में कोई स्वतंत्र चश्मदीद गवाह भी नहीं था. कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया है, उनमें शाह आलम, राशिद सैफी और मोहम्मद शादाब शामिल हैं. तीनों आरोपियों को दयालपुर थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 93/2020 और 109/2020 में बरी किया गया है.
दिल्ली दंगा : आरोपी ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम समेत तीन बरी, पुलिस को लगी फटकार
कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले के आरोपी ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम समेत तीन लोगों को बरी कर दिया है. इसको लेकर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई है.
नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले के आरोपी ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम समेत तीन लोगों को बरी कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि इतिहास, जब विभाजन के बाद के सांप्रदायिक दंगे को देखेगा तो वो पाएगा कि दिल्ली दंगों में जांच एजेंसी ने ठीक से जांच नहीं की.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले को केवल चार्जशीट दाखिल कर केस को सुलझाने की कोशिश की गई. घटना के चश्मदीद गवाहों को खोजने की ईमानदार कोशिश नहीं की गई. यहां तक कि घटना के असली गुनहगारों को भी सामने नहीं लाया गया और तकनीकी साक्ष्यों को नहीं जुटाया गया. न्यायिक प्रक्रिया में ऐसे केस को चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसमें कोर्ट के न्यायिक समय को बर्बाद किया गया है.
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कोर्ट ने कहा कि घटना का कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं था, ताकि ये पता लग सके कि घटना के समय आरोपी घटनास्थल पर मौजूद थे कि नहीं. मामले में कोई स्वतंत्र चश्मदीद गवाह भी नहीं था. कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया है, उनमें शाह आलम, राशिद सैफी और मोहम्मद शादाब शामिल हैं. तीनों आरोपियों को दयालपुर थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 93/2020 और 109/2020 में बरी किया गया है.