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'कारगिल विजय दिवस' : राजनाथ सिंह आज जम्मू दौरे पर, आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले भी होंगे साथ - कारगिल इलाके

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कारगिल विजय दिवस के अवसर पर जम्मू में आयोजित होने वाले समारोह में भाग लेने के लिए आज जम्मू-कश्मीर जाएंगे. राजनाथ सिंह का आज आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले के साथ पहुंचने का कार्यक्रम है.

Kargil Vijay Diwas
कारगिल विजय दिवस
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Published : Jul 24, 2022, 8:42 AM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कारगिल विजय दिवस के अवसर पर जम्मू में आयोजित होने वाले समारोह में भाग लेने के लिए आज जम्मू-कश्मीर जाएंगे. राजनाथ सिंह का आज आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले के साथ पहुंचने का कार्यक्रम है, वह जम्मू विश्वविद्यालय के पास गुलशन मैदान में एक सभा को संबोधित करेंगे. जम्मू दौरे से पहले राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा था कि 24 जुलाई को 'कारगिल विजय दिवस' के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जम्मू जाऊंगा. इसके लिए उत्साहित हूं. 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है.

  • Tomorrow, 24th July, I shall be visiting Jammu to attend a programme commemorating ‘Kargil Vijay Diwas’. Looking forward to it.

    — Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 23, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पाक के धोखे को ऐसे समझा था भारतीय सेना ने और दी थी मात

8 मई 1999 का दिन था जब, पाकिस्तानी सैनिक सबसे पहले कारगिल इलाके (Kargil Area) में भारतीय चरवाहों को दिखाई दिए. चरवाहों ने ये बात भारतीय सेना (Indian Army) को बताई. सेना के जवानों ने इलाके का निरीक्षण किया और जान गए कि पाकिस्तानी भारतीय सीमा में घुस आए हैं. स्थिति भांप लेने के बाद इंडियन आर्मी ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग कर दी. हैरानी की बात ये थी कि पाकिस्तान ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की. दरअसल, पाक की चाल कुछ और थी.

पढ़ें: कारगिल: जांबाज भारतीय सेना ने जीती थी हारी हुई बाजी, जानें कैसे हुआ मुमकिन

पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने पहले से ही खुद रेकी की थी कि उस समय यहां इंडियन आर्मी रोजाना वहां पेट्रोलिंग के लिए नहीं जाती थी. साथ ही ये इलाका नेशनल हाइवे-1-D के एकदम करीब है और यह रास्‍ता लद्दाख से कारगिल को श्रीनगर और देश के बाकी हिस्‍सों से जोड़ता है. यह रास्‍ता सेना के लिए अहम सप्‍लाई रूट है. ये इलाका दुश्‍मन के कब्‍जे में जाने का मतलब सेना के लिए सप्‍लाई का बुरी तरह से प्रभावित होना था.

पढ़ें: कैप्टन मनोज पांडेय के अदम्य साहस को सलाम, सिर पर गोली खाकर फहरायी थी विजय पताका

पाक सेना ने इस सूनसान इलाके और मौसम का फायदा उठाकर यहां घुसपैठ करने की योजना बनाई तो उसका पहला लक्ष्य टाइगर हिल पर कब्जा करना था. वहीं भारतीय सेना ने एक कदम आगे जाकर तय किया था कि किसी भी हाल में टाइगर हिल पर कब्जा करना है. चूंकि यह सबसे मुश्किल काम था इसलिए पाकिस्तानी सेना ने भी सोचा नहीं था की भारत ऐसा कदम उठा लेगा. भारतीय सेना ने सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करते हुए करीब 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल को जीत लिया.

नई दिल्ली : केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कारगिल विजय दिवस के अवसर पर जम्मू में आयोजित होने वाले समारोह में भाग लेने के लिए आज जम्मू-कश्मीर जाएंगे. राजनाथ सिंह का आज आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले के साथ पहुंचने का कार्यक्रम है, वह जम्मू विश्वविद्यालय के पास गुलशन मैदान में एक सभा को संबोधित करेंगे. जम्मू दौरे से पहले राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा था कि 24 जुलाई को 'कारगिल विजय दिवस' के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जम्मू जाऊंगा. इसके लिए उत्साहित हूं. 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है.

  • Tomorrow, 24th July, I shall be visiting Jammu to attend a programme commemorating ‘Kargil Vijay Diwas’. Looking forward to it.

    — Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 23, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पाक के धोखे को ऐसे समझा था भारतीय सेना ने और दी थी मात

8 मई 1999 का दिन था जब, पाकिस्तानी सैनिक सबसे पहले कारगिल इलाके (Kargil Area) में भारतीय चरवाहों को दिखाई दिए. चरवाहों ने ये बात भारतीय सेना (Indian Army) को बताई. सेना के जवानों ने इलाके का निरीक्षण किया और जान गए कि पाकिस्तानी भारतीय सीमा में घुस आए हैं. स्थिति भांप लेने के बाद इंडियन आर्मी ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग कर दी. हैरानी की बात ये थी कि पाकिस्तान ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की. दरअसल, पाक की चाल कुछ और थी.

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पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने पहले से ही खुद रेकी की थी कि उस समय यहां इंडियन आर्मी रोजाना वहां पेट्रोलिंग के लिए नहीं जाती थी. साथ ही ये इलाका नेशनल हाइवे-1-D के एकदम करीब है और यह रास्‍ता लद्दाख से कारगिल को श्रीनगर और देश के बाकी हिस्‍सों से जोड़ता है. यह रास्‍ता सेना के लिए अहम सप्‍लाई रूट है. ये इलाका दुश्‍मन के कब्‍जे में जाने का मतलब सेना के लिए सप्‍लाई का बुरी तरह से प्रभावित होना था.

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पाक सेना ने इस सूनसान इलाके और मौसम का फायदा उठाकर यहां घुसपैठ करने की योजना बनाई तो उसका पहला लक्ष्य टाइगर हिल पर कब्जा करना था. वहीं भारतीय सेना ने एक कदम आगे जाकर तय किया था कि किसी भी हाल में टाइगर हिल पर कब्जा करना है. चूंकि यह सबसे मुश्किल काम था इसलिए पाकिस्तानी सेना ने भी सोचा नहीं था की भारत ऐसा कदम उठा लेगा. भारतीय सेना ने सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करते हुए करीब 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल को जीत लिया.

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