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Kargil Vijay Diwas 2023 : 24वां कारगिल विजय दिवस आज, 52 जांबाज़ों की शहादत को राजस्थान कर रहा है याद

आज बुधवार यानी 26 जुलाई को पूरा देश कारगिल विजय दिवस के रूप में मना रहा है. इस मौके पर देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले जांबाज सैनिकों के बलिदान को देश ने नमन भी किया है.

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Published : Jul 26, 2023, 8:48 AM IST

Updated : Jul 26, 2023, 11:21 AM IST

कारगिल विजय दिवस 2023
कारगिल विजय दिवस 2023

जयपुर. पूरे देश में आज कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले जांबाज सैनिकों के बलिदान को देश ने नमन भी किया है. साल 1999 में आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तान से युद्ध जीता था. सेना ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर दुश्मन को खदेड़ा था। 3 मई 1999 को घुसपैठ की पहली सूचना मिली थी, उसके बाद शुरू हुए सेना के ऑपरेशन पर 26 जुलाई को युद्ध खत्म होने की घोषणा के साथ विराम लगा.

  • कारगिल विजय दिवस करोड़ों देशवासियों के सम्मान के विजय का दिन है। यह सभी पराक्रमी योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है जिन्होंने आसमान से भी ऊँचे हौसले और पर्वत जैसे फौलादी दृढ़ निश्चय से अपनी मातृभूमि के कण-कण की रक्षा की। भारत माता के वीर सिपाहियों ने अपने त्याग व… pic.twitter.com/iv7RlROfkg

    — Amit Shah (@AmitShah) July 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

युद्ध में अमेरिका ने डील के बावजूद भारत को बम उपलब्ध नहीं कराए थे. लेकिन इन परिस्थितियों के बावजूद कारगिल का युद्ध करीब 2 महीने से ज्यादा वक्त तक चला मातृभूमि को बचाने के लिए 527 सैनिक शहीद हो गए थे. इनमें राजस्थान के भी 52 सैनिक शामिल हैं. पाकिस्तान ने 130 भारतीय चौकियों पर कब्जा किया था, जिन्हें भारतीय सैनिकों ने अपने वर्चस्व में लिया. भारत सरकार ने इस युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया था. सरहद पर भारत की रक्षा के लिए 2 लाख सैनिकों को भेजा गया था.

कारगिल विजय दिवस की यादें
कारगिल विजय दिवस की यादें

माटी के लाल हो गये न्यौछावर : कारगिल के युद्ध में भारत के खिलाफ पाकिस्तान के ऑपरेशन बद्र को काम करने के लिए पूरे देश के बेटों ने सरहद पर अपनी जान को दांव पर लगा दिया था. इस दौरान राजस्थान के 52 वीर पुत्रों ने अपने शीश मातृभूमि को समर्पित कर दिए थे. इन शहीदों में से 36 जवान तो शेखावटी के ही थे। सीकर, झुंझुनू और चूरू के सैनिकों की भूमिका की चर्चा आज हर कोई करता है. अकेले झुंझुनू जिले से 22 सैनिकों ने कारगिल में अपने प्राणों की आहुति दी थी. झुंझुनू के 4 सैनिक दोस्तों की कहानी भी इस दौरान लोगों की जुबान पर है। झुंझुनू के लोग इस किस्से को आज भी याद करके सीना गर्व से फुला लेते हैं.

कारगिल विजय दिवस की यादें
कारगिल विजय दिवस की यादें

दरअसल साल 1999 में जब कारगिल का युद्ध चल रहा था। तब झुंझुनूं के मालीगांव के चार दोस्त उसमें शामिल थे. सूबेदार राजेंद्र प्रसाद, मनोज भाम्बू, राजवीर सिंह और कमलेश सरहद पर डटकर दुश्मन का मुकाबला कर रहे थे. इस दौरान चारों जवान दोस्तों ने यह तय किया कि अगर उनमें से किसी की भी शहादत होती है, तो बाकी दोस्त पार्थिव शरीर को लेकर गांव तक जाएंगे. 25 से 27 बरस की उम्र वाले इन नौजवानों ने मिलकर दुश्मन की सेना के नाकों चने चबा दिए और सभी लोग सुरक्षित घर लौटे. उस समय चारों जवानों की उम्र 25-26 साल थी. कारगिल युद्ध के 24 बरस बाद सूबेदार राजेंद्र प्रसाद 11 अगस्त 2022 को राजौरी में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए. वादे के मुताबिक उनके मित्र जवान राजवीर सिंह पार्थिव शरीर लेकर गांव पहुंचे थे.

कारगिल विजय दिवस की यादें
कारगिल विजय दिवस की यादें

पढ़ें 24वें कारगिल विजय दिवस की तैयारी, सेना ने लगाई हथियारों की प्रदर्शनी

इन जिलों की माटी को किया गौरवान्वित : शेखावटी के वीर सपूतों के अलावा भी धोरों की धरती ने कारगिल के युद्ध में प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की थी.

झुंझुनूं— 22
सीकर— 07
चूरू—07
नागौर—07
अलवर—03
जयपुर—02
पाली—01
बाड़मेर—01
सवाईमाधोपुर—01
जोधपुर—01

अमित शाह का ट्वीट : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कारगिल विजय दिवस के मौके पर ट्वीट करते हुए शहादत को याद किया. अमित शाह ने कहा कि यह मौका करोड़ों देशवासियों के सम्मान की विजय का प्रतीक है. यह दिन सभी पराक्रमी योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का है. इन सब योद्धाओं ने ऊंचे हौसले और पर्वत जैसे फौलादी इरादों के साथ मातृभूमि के कण-कण की रक्षा की थी. भारत माता के वीर सिपाहियों ने अपने त्याग और बलिदान से इस वसुंधरा की ना सिर्फ आन, बान और शान को सर्वोच्च रखा, बल्कि अपनी विजित परंपराओं को भी जीवंत रखा. अमित शाह ने कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर तिरंगा स्थापित कर देश की अखंडता को बचाने के लिए इन शहीद सैनिकों को नमन भी किया.

पढ़ें कारगिल विजय दिवस आज बेसरड़ा के रामकरण सिंह ने कारगिल युद्ध में दी थी शहादत

जयपुर. पूरे देश में आज कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले जांबाज सैनिकों के बलिदान को देश ने नमन भी किया है. साल 1999 में आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तान से युद्ध जीता था. सेना ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर दुश्मन को खदेड़ा था। 3 मई 1999 को घुसपैठ की पहली सूचना मिली थी, उसके बाद शुरू हुए सेना के ऑपरेशन पर 26 जुलाई को युद्ध खत्म होने की घोषणा के साथ विराम लगा.

  • कारगिल विजय दिवस करोड़ों देशवासियों के सम्मान के विजय का दिन है। यह सभी पराक्रमी योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है जिन्होंने आसमान से भी ऊँचे हौसले और पर्वत जैसे फौलादी दृढ़ निश्चय से अपनी मातृभूमि के कण-कण की रक्षा की। भारत माता के वीर सिपाहियों ने अपने त्याग व… pic.twitter.com/iv7RlROfkg

    — Amit Shah (@AmitShah) July 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

युद्ध में अमेरिका ने डील के बावजूद भारत को बम उपलब्ध नहीं कराए थे. लेकिन इन परिस्थितियों के बावजूद कारगिल का युद्ध करीब 2 महीने से ज्यादा वक्त तक चला मातृभूमि को बचाने के लिए 527 सैनिक शहीद हो गए थे. इनमें राजस्थान के भी 52 सैनिक शामिल हैं. पाकिस्तान ने 130 भारतीय चौकियों पर कब्जा किया था, जिन्हें भारतीय सैनिकों ने अपने वर्चस्व में लिया. भारत सरकार ने इस युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया था. सरहद पर भारत की रक्षा के लिए 2 लाख सैनिकों को भेजा गया था.

कारगिल विजय दिवस की यादें
कारगिल विजय दिवस की यादें

माटी के लाल हो गये न्यौछावर : कारगिल के युद्ध में भारत के खिलाफ पाकिस्तान के ऑपरेशन बद्र को काम करने के लिए पूरे देश के बेटों ने सरहद पर अपनी जान को दांव पर लगा दिया था. इस दौरान राजस्थान के 52 वीर पुत्रों ने अपने शीश मातृभूमि को समर्पित कर दिए थे. इन शहीदों में से 36 जवान तो शेखावटी के ही थे। सीकर, झुंझुनू और चूरू के सैनिकों की भूमिका की चर्चा आज हर कोई करता है. अकेले झुंझुनू जिले से 22 सैनिकों ने कारगिल में अपने प्राणों की आहुति दी थी. झुंझुनू के 4 सैनिक दोस्तों की कहानी भी इस दौरान लोगों की जुबान पर है। झुंझुनू के लोग इस किस्से को आज भी याद करके सीना गर्व से फुला लेते हैं.

कारगिल विजय दिवस की यादें
कारगिल विजय दिवस की यादें

दरअसल साल 1999 में जब कारगिल का युद्ध चल रहा था। तब झुंझुनूं के मालीगांव के चार दोस्त उसमें शामिल थे. सूबेदार राजेंद्र प्रसाद, मनोज भाम्बू, राजवीर सिंह और कमलेश सरहद पर डटकर दुश्मन का मुकाबला कर रहे थे. इस दौरान चारों जवान दोस्तों ने यह तय किया कि अगर उनमें से किसी की भी शहादत होती है, तो बाकी दोस्त पार्थिव शरीर को लेकर गांव तक जाएंगे. 25 से 27 बरस की उम्र वाले इन नौजवानों ने मिलकर दुश्मन की सेना के नाकों चने चबा दिए और सभी लोग सुरक्षित घर लौटे. उस समय चारों जवानों की उम्र 25-26 साल थी. कारगिल युद्ध के 24 बरस बाद सूबेदार राजेंद्र प्रसाद 11 अगस्त 2022 को राजौरी में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए. वादे के मुताबिक उनके मित्र जवान राजवीर सिंह पार्थिव शरीर लेकर गांव पहुंचे थे.

कारगिल विजय दिवस की यादें
कारगिल विजय दिवस की यादें

पढ़ें 24वें कारगिल विजय दिवस की तैयारी, सेना ने लगाई हथियारों की प्रदर्शनी

इन जिलों की माटी को किया गौरवान्वित : शेखावटी के वीर सपूतों के अलावा भी धोरों की धरती ने कारगिल के युद्ध में प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की थी.

झुंझुनूं— 22
सीकर— 07
चूरू—07
नागौर—07
अलवर—03
जयपुर—02
पाली—01
बाड़मेर—01
सवाईमाधोपुर—01
जोधपुर—01

अमित शाह का ट्वीट : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कारगिल विजय दिवस के मौके पर ट्वीट करते हुए शहादत को याद किया. अमित शाह ने कहा कि यह मौका करोड़ों देशवासियों के सम्मान की विजय का प्रतीक है. यह दिन सभी पराक्रमी योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का है. इन सब योद्धाओं ने ऊंचे हौसले और पर्वत जैसे फौलादी इरादों के साथ मातृभूमि के कण-कण की रक्षा की थी. भारत माता के वीर सिपाहियों ने अपने त्याग और बलिदान से इस वसुंधरा की ना सिर्फ आन, बान और शान को सर्वोच्च रखा, बल्कि अपनी विजित परंपराओं को भी जीवंत रखा. अमित शाह ने कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर तिरंगा स्थापित कर देश की अखंडता को बचाने के लिए इन शहीद सैनिकों को नमन भी किया.

पढ़ें कारगिल विजय दिवस आज बेसरड़ा के रामकरण सिंह ने कारगिल युद्ध में दी थी शहादत

Last Updated : Jul 26, 2023, 11:21 AM IST
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