कानपुर : जिले में एक ऐसा मंदिर है जो मानसून की सटीक भविष्यवाणी करता है. जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर घाटमपुर के पास बेहटा में स्थित भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर काफी प्राचीन है. मौसम विभाग के अलावा यह मंदिर भी पूरे साल मानसून की स्थिति की जानकारी देता है. इस रहस्य को जानने के लिए देश और दुनिया के वैज्ञानिक यहां आकर शोध भी कर चुके हैं.
आस्था और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़े कई सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम मंदिर पहुंची. मंदिर के महंत केपी शुक्ला ने बताया कि मानसून आने से लगभग एक सप्ताह पहले मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति पर मंदिर के गुंबद से होकर पानी की बूंदें आने लगती हैं. इस दौरान इन बूंदों से अगर पत्थर केवल पसीजता है तो माना जाता है कि कम बारिश होगी. इसके अलावा अगर पत्थर पर पानी बूंदों का रूप लेने लगता है तो इससे सामान्य बारिश होने का संकेत मिल जाता है. वहीं अगर पत्थर पर ज्यादा बूंदें पड़ने लगती हैं तो इससे अच्छी बारिश का अनुमान लगाया जाता है. इस आधार पर महंत ने दावा किया कि इस बार मानसून की स्थिति अच्छी रहेगी.
वैज्ञानिकों से भी नहीं सुलझा राज : महंत ने बताया कि यह मंदिर विश्वविख्यात है और ओडिशा स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भी पुराना है. मंदिर में हर साल की तरह रविवार की देर रात भी बूंदें आ गईं. महंत ने बताया कि इस मंदिर में मौर्य वंश, गुप्त वंश के प्रमाण भी मिलते हैं. इसके साथ-साथ सिंधु घाटी व हड़प्पा के समय की आकृतियां भी मौजूद हैं, जो यह दर्शाती हैं कि इस मंदिर को बने और स्थापित हुए सैकड़ों साल हो गए हैं. मंदिर में मानसून की भविष्यवाणी वाले रहस्य को सुलझाने के लिए कई वैज्ञानिक भी आ चुके हैं, लेकिन कोई पता नहीं लगा पाया कि मानसून की भविष्वाणी के राज क्या हैं.
यह है बूंदों के आने का कारण : चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक एसएन सुनील पांडेय का कहना है कि दो बार वह इस मंदिर का विजिट कर चुके हैं. उनके अनुसार पत्थर में मॉश्चर फीड के कारण उस पर बूंदें आ जाती हैं, इसके अनुसार लोग मानसून के अनुमान का दावा करते हैं. हालांकि इनकी सत्यता के पीछे के राज के बारे में वह कुछ नहीं जानते हैं.
ग्रामीण मानते हैं चमत्कार : बेहटा गांव के 70 वर्षीय भगवान दीन कहते हैं, कि हर साल यह चमत्कार देखने को मिलता है. बूंदों के हिसाब से मानसून की भविष्यवाणी हर साल सही होती है. वहीं महिला अंशिका वर्मा ने बताया कि इस मंदिर में भीषण गर्मी में बूंदों का आना किसी रहस्य से कम नहीं हैं. पूर्वज भी इन बूंदों के हिसाब से मानसून का अनुमान लगाया करते थे.
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