कानपुर: जब किसी सरकारी कार्यालय के जिम्मेदार अफसर से कोई मंत्री या अन्य वरिष्ठ जिम्मेदार कार्यालय का हाल पूछते हैं, तो अमूमन अफसरों का जवाब होता है, सभी व्यवस्थाएं चाक चौबंद और दुरुस्त हैं. मगर, उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के विकास भवन का हाल काफी बुरा है. यहां नेडा, समाज कल्याण विभाग और हॉर्टीकल्चर विभाग की महत्वपूर्ण फाइलों को कबाड़ में बेच दिया गया. एक के बाद एक जब यह जानकारी आला अफसरों तक पहुंची तो उनके होश उड़ गए.
आनन-फानन में कार्यालय के कबाड़ में पड़ी फाइलों को जहां पहले कार्यालय में सुरक्षित ढंग से रखवाया गया, तो वहीं अभी तमाम फाइलें ऐसी हैं जो लापता हैं. कार्यालय में एक निजी सफाई कर्मी पर यह आरोप लगा है कि उसने शराब पीने के लिए फाइलें बेच दीं. विकास भवन के पास कबाड़ी की दुकान पर समाज कल्याण विभाग की दो फाइलें मिलीं. इस मामले की जानकारी पूरे शहर में हर सरकारी दफ्तर के अंदर तक पहुंच गई तो तमाम कर्मचारियों ने इसे चटकारे लगाते हुए एक दूसरे से साझा किया. सफाईकर्मी का नाम मोहन बताया गया है और घटना के बाद से वह कार्यालय से फरार है.
सीसीटीवी कैमरों की होगी जांच: घटना के बाद विकास भवन के आला अफसरों का कहना है कि इस मामले की जांच सीसीटीवी कैमरों से कराई जाएगी. जब कैमरों के फुटेज सामने आएंगे तो दोषियों के चेहरे भी दिख जाएंगे. हालांकि, एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर अफसरों को कर्मचारियों के इन कारनामों की भनक क्यों नहीं लगी? सीडीओ सुधीर कुमार ने बताया कि समाज कल्याण विभाग, हॉर्टीकल्चर व नेडा कार्यालय के सभी जिम्मेदार अफसरों को इस मामले में स्पष्टीकरण देना होगा. जांच के आदेश दे दिए हैं. कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा. उसके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई तय है.
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