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पिछले 20 सालों से जल्लीकट्टू में धूम मचा रहा कन्नगी का बैल - अम्मा मादू

महिला किसान कन्नगी अपने पति और दो बेटों के साथ अलंगानाथम में रह रही हैं. वे एक बैल को जल्लीकट्टू के लिए पिछले 20 वर्षों से तैयार करती आ रही हैं. उनका बैल (जिसे प्यार से अम्मा मादू कहते हैं) 50 से ज्यादा जल्लीकट्टू आयोजनों में हिस्सा ले चुका है और हर बार पुरस्कार और नकद राशि लेकर ही घर जाता है.

पिछले 20 सालों से जल्लीकट्टू में धूम मचा रहा कन्नगी का बैल
पिछले 20 सालों से जल्लीकट्टू में धूम मचा रहा कन्नगी का बैल
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Published : Jan 14, 2021, 3:02 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु के प्रसिद्ध जल्लीकट्टू को हमेशा से ही पुरुष प्रधान खेल माना गया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि महिलाओं का इसमें कोई योगदान नहीं होता. खेल के लिए पालन पोषण और अच्छी ब्रीड के बैलों को चुनकर तैयार ज्यादातार महिलाएं ही करती हैं. तमिलनाडु की एक महिला किसान पिछले 20 सालों से एक बैल को इस खतरनाक खेल के लिए तैयार करतीं आ रहीं हैं.

कन्नगी का बैल बेहद आकर्षक
महिला किसान कन्नगी अपने पति और दो बेटों के साथ अलंगानाथम में रह रही हैं. वे मुर्गी, बकरी और गायों को पालने के अलावा कृषि गतिविधियों में लगे हुए हैं. कन्नगी द्वारा तैयार किया गया बैल हर बार की तरह इस बार भी सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

कन्नगी कहती हैं कि सालों पहले उसके रिश्तेदारों ने मुझे यह सुझाव दिया था कि बैल को इस खेल के लिए पूरी तरह से तैयार करूं. मैं बैल की खूब देखभाल और प्रेम के साथ तैयार करती हूं.

जल्लीकट्टू को एक पुरुष प्रधान खेल माना जाता है. इसे बैलों और उनके मालिक की साहस और वीरता से जोड़ कर देखा जाता है. गुस्सैल बैल पर काबू करने पहुंचे पुरुषों को एक तरीके से अपनी ताकत और मर्दानगी का प्रदर्शन करना होता है और अगर वह बैल पर विजय पा ले तो, उस पुरुष को वीरता और साहस का सर्टिफिकेट मिल जाता है.

ऐसे में इस खेल को महिलाओं से जोड़ कर कभी देखा नहीं गया. लेकिन पारंपरिक खेल केवल पुरुषों से ही संबंधित नहीं हो सकते.

ज्यादातर महिलाएं करती हैं बैलों को तैयार
बैल किसानों के जीवन और संस्कृति का हिस्सा हैं. इस खेल को मर्दानगी के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है. सभी प्रसिद्धि और पुरस्कार राशि पुरुषों के लिए है. हालांकि, इन खेलों के लिए बैल ज्यादातर महिलाओं द्वारा तैयार किए जाते हैं. यानी इन बैलों का पालन पोषण और अच्छी ब्रीड के बैलों को चुनकर उन्हें इस खेल के लिए पूरी तरह से तैयार ज्यादातर महिलाएं करती हैं. इस बात का खुलासा कहीं नहीं किया गया है.

कन्नगी द्वारा तैयार किया गया बैल अब तक अलंगनल्लूर, कोयम्बटूर और कुमारपालयम में आयोजित हुए 50 जल्लीकट्टू खेलों में भाग ले चुका है. यह पिछले बीस वर्षों से नकद पुरस्कार सहित कई पुरस्कार हासिल कर चुका है. इसके साथ ही अब तक इस बैल ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है. सभी लोग इस बैल को अम्मा मादू कहकर बुलाते हैं.

कन्नगी के बेटे मणिकंदन कहते हैं कि अम्मा बैल की देखभाल कर रही हैं. यह हमारे परिवार का हिस्सा बन गया है. हमें खाना खिलाने से पहले अम्मा बैल को खाना देती हैं.

चेन्नई : तमिलनाडु के प्रसिद्ध जल्लीकट्टू को हमेशा से ही पुरुष प्रधान खेल माना गया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि महिलाओं का इसमें कोई योगदान नहीं होता. खेल के लिए पालन पोषण और अच्छी ब्रीड के बैलों को चुनकर तैयार ज्यादातार महिलाएं ही करती हैं. तमिलनाडु की एक महिला किसान पिछले 20 सालों से एक बैल को इस खतरनाक खेल के लिए तैयार करतीं आ रहीं हैं.

कन्नगी का बैल बेहद आकर्षक
महिला किसान कन्नगी अपने पति और दो बेटों के साथ अलंगानाथम में रह रही हैं. वे मुर्गी, बकरी और गायों को पालने के अलावा कृषि गतिविधियों में लगे हुए हैं. कन्नगी द्वारा तैयार किया गया बैल हर बार की तरह इस बार भी सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

कन्नगी कहती हैं कि सालों पहले उसके रिश्तेदारों ने मुझे यह सुझाव दिया था कि बैल को इस खेल के लिए पूरी तरह से तैयार करूं. मैं बैल की खूब देखभाल और प्रेम के साथ तैयार करती हूं.

जल्लीकट्टू को एक पुरुष प्रधान खेल माना जाता है. इसे बैलों और उनके मालिक की साहस और वीरता से जोड़ कर देखा जाता है. गुस्सैल बैल पर काबू करने पहुंचे पुरुषों को एक तरीके से अपनी ताकत और मर्दानगी का प्रदर्शन करना होता है और अगर वह बैल पर विजय पा ले तो, उस पुरुष को वीरता और साहस का सर्टिफिकेट मिल जाता है.

ऐसे में इस खेल को महिलाओं से जोड़ कर कभी देखा नहीं गया. लेकिन पारंपरिक खेल केवल पुरुषों से ही संबंधित नहीं हो सकते.

ज्यादातर महिलाएं करती हैं बैलों को तैयार
बैल किसानों के जीवन और संस्कृति का हिस्सा हैं. इस खेल को मर्दानगी के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है. सभी प्रसिद्धि और पुरस्कार राशि पुरुषों के लिए है. हालांकि, इन खेलों के लिए बैल ज्यादातर महिलाओं द्वारा तैयार किए जाते हैं. यानी इन बैलों का पालन पोषण और अच्छी ब्रीड के बैलों को चुनकर उन्हें इस खेल के लिए पूरी तरह से तैयार ज्यादातर महिलाएं करती हैं. इस बात का खुलासा कहीं नहीं किया गया है.

कन्नगी द्वारा तैयार किया गया बैल अब तक अलंगनल्लूर, कोयम्बटूर और कुमारपालयम में आयोजित हुए 50 जल्लीकट्टू खेलों में भाग ले चुका है. यह पिछले बीस वर्षों से नकद पुरस्कार सहित कई पुरस्कार हासिल कर चुका है. इसके साथ ही अब तक इस बैल ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है. सभी लोग इस बैल को अम्मा मादू कहकर बुलाते हैं.

कन्नगी के बेटे मणिकंदन कहते हैं कि अम्मा बैल की देखभाल कर रही हैं. यह हमारे परिवार का हिस्सा बन गया है. हमें खाना खिलाने से पहले अम्मा बैल को खाना देती हैं.

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