ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में 35 वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. आयोजन जी-20, अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है. विशेष आध्यात्मिक सत्र में स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती ने योग प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया. आयोजन के दूसरे दिन सूफी गायक कैलाश खेर ने अपने अंदाज में संगीत का जादू बिखेर कर लोगों का मनोरंजन किया.
योग आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुंचाता है: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि जीवन का प्रत्येक कर्म योगमय रूप से किया जाए तो वह परमात्मा की ओर ले जाता है. योग केवल आसनों का समूह मात्र नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण जीवन पद्धति है. दैनिक जीवन में कब उठना, कब सोना, क्या करना, कैसे करना सब यौगिक जीवन का ही अंग है. योग में स्थित रहते हुए, सभी कर्मों को करें तो सफलता अवश्य मिलेगी. वहीं योग का अर्थ है कि बैलेंस, संयम अर्थात् आहार-विहार, विचार और व्यवहार का संयम बना रहे. योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक श्रेष्ठ माध्यम है. यह मनुष्य को आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुंचाता है और तनाव मुक्त जीवन जीना सिखाता है. यह एक जीवन पद्धति है इसलिये योग को जीवन शैली बनाना बहुत जरूरी है.
योग साधकों ने क्या कहा: योगाचार्य बी. हैप्पी ने कहा कि वो साल 2013 से अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आ रही हैं और महोत्सव से अच्छे अनुभव मिलते हैं. यहां पर 90 से अधिक देशों के अंतरराष्ट्रीय योगियों के साथ मिलना अत्यंत उत्साहवर्धक है. इस महोत्सव ने मेरे जीवन को छुआ है. हमें हर बार खुद के सर्वश्रेष्ठ संस्करण प्रस्तुत करने की प्रेरणा यहां से प्राप्त होती है. ऑस्ट्रेलिया से अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में प्रतिभाग करने आयी मेलानी ने कहा कि मैं तीसरी बार यहां पर आयी हूं. यह उत्सव हमारी भावना को जीवंत करता है. यह अत्यंत प्रेरक है यहां पर होने वाली हर गतिविधि एक आशीर्वाद के समान है. तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों ने पवित्र गंगा आरती और विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया तत्पश्चात संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से उत्तराखंड रंगोत्सव का विशेष प्रदर्शन किया गया. इसमें उत्तराखंड के लोकनृत्य, पारंपरिक, कलात्मक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रदर्शन किया. पद्मश्री कैलाश खेर के विशेष सूफी संगीत ने प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
कैलाश खेर ने जमाया रंग: सूफी गायक पद्मश्री कैलाश खेर ने कहा कि आज का पावन दिन है. क्योंकि यह एक धर्म है, जिसका निर्वहन हमारे स्वामी चिदानंद के मार्गदर्शन में पूरा परमार्थ परिवार कर रहा है. यह युगों-युगों तक ऐसे ही चलेगा जिसका नाम अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव है. युगों-युगों से हमारे यहां परम्पराओं का निर्वहन होता आया है और देवलोक में देवता भी देख कर आनंदित होते हैं. उन्होंने कहा मेरा मन चंचल दिन रात भटकता, मन कभी कहे तू छोड़ गृहस्थी बन जा ना तप धारी, मन कभी कहे कि राष्ट्रपति की होती पोस्ट हमारी, मन कभी कहे कि मिल जाये दुनिया की दौलत सारी, ये जो मन है, मन के हारे हार है मन के जीते जीत है. मां गंगा पवित्रता की प्रतिमूर्ति है. उस पवित्रता को धारण करने के लिये हमें मस्तिष्क से थोड़ा हटना होगा. यदि हम अपने भीतर के परमात्मा को जीवित रखेंगे तो गंगा अनवरत हमारे साथ है और हमारे साथ रहेगी, हमारे जीवन भर के लिये हमारे भीतर ही बह रही है. उन्होंने कहा कि उदास कभी रहना नहीं, जब तक जीओ खुल के जीओ. उन्होंने आदियोगी 'भष्म वाली रस्म कर दो आदियोगी' 'आत्मा ने परमात्मा को लिया देख ज्ञान की दृष्टि से, प्रकाश हुआ हृदय-हृदय, बेड़ा पार हुआ इस सृष्टि से एक ओमकार निरंजन निरंकार है अजर अमर' गाकर माहौल शिवमय कर दिया.