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Kaal Bhairav Jayanti : भगवान काल भैरव की जयंती के दिन जरूर करें ये काम - 5 december 2023 ko kya hai

Kaal Bhairav Jayanti 2023 : काशी के कोतवाल व भगवान शिव के उग्र रूप भगवान काल भैरव की जयंती 5 दिसंबर 2023 को है. भगवान Kaal Bhairav को क्षेत्रपाल व दण्डपाणि भी कहा जाता है. Kaal Bhairav अपने भक्तों की दुश्मनों, बुरी आत्माओं और काले जादू, तंत्र आदि से भी रक्षा करते हैं. 5 December 2023 . kalashtami .

Kaal Bhairav Jayanti 2023 kalashtami
काल भैरव जयंती 2023
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 5, 2023, 4:16 PM IST

Updated : Dec 5, 2023, 4:42 PM IST

हैदराबाद : हिंदू धर्म में भगवान काल भैरव की पूजा से सभी संकट, कष्ट और आपदाएं दूर हो जाती हैं. इसलिए भगवान काल भैरव की जयंती को सभी उनके सभी भक्त बहुत ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाते हैं. काल भैरव भगवान शिव का उग्र रूप है. मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष अष्टमी को उनकी जयंती मनाई जाती है. समय और मृत्यु से परे भगवान काल भैरव को दण्डपाणि और क्षेत्रपाल भी कहा जाता है. उनके एक हाथ में दण्ड रहता है तथा उनका वाहन स्वान अर्थात कुत्ता होता है.

भगवान काल भैरव अपने भक्तों की सभी प्रकार से रक्षा करते हैं उनके सभी संकटों, कष्टों, आपदाओं को दूर करते हैं. उनके मानसिक, वाचिक, दुर्गुणों को दूर कर उनकी रक्षा करते हैं. वह अपने भक्तों को लालच, क्रोध, कामवासना आदि जैसे दुर्गुणों से भी बचते हैं. इसके साथ ही भगवान काल भैरव अपने भक्तों की दुश्मनों, बुरी आत्माओं और काले जादू, तंत्र आदि से भी रक्षा करते हैं. काल भैरव जयंती 2023 की तिथि और समय- अष्टमी तिथि आरंभ - 4 दिसंबर 2023 - 09:59 PM से 6 दिसंबर, 2023 - 12:37 PM तक. Kaal Bhairav Jayanti 5 दिसंबर 2023 को है. 5 दिसंबर को सूर्यास्त 5.53 PM के बाद होगा.

  1. काल भैरव मंत्र
  2. ॐ काल भैरवाय नमः !
  3. ॐ कालकालाय विध्महे, कालातीताय धीमहि, तन्नो काल भैरव प्रचोदयात् !!

काल भैरव की कथा व मान्यताएं
मान्यताओं के अनुसार अंधकासुर का वध करने के लिए भगवान Shiv ने काल भैरव का अवतार लिया था. दूसरी मान्यता के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी में इस बात को लेकर बहस हो गई कि कौन ज्यादा बड़ा है. बहस ज्यादा बढ़ने पर भगवान शिव ने हस्तक्षेप किया और क्रोध में आकर उन्होंने ब्रह्मा जी के एक सर को अलग कर दिया उसके बाद भगवान सिंह ने शिव ने काल भैरव का रूप धारण किया और ब्रह्मा जी के एक सिर को काट दिया. उसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने कृत्य के लिए भगवान शिव से माफी मांगी तब जाकर उनका क्रोध शांत हुआ और वह अपने स्वरूप में वापस लौटे.

जब भगवान शिव ने Kal Bhairav का अवतार लिया उसे दिन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी, इसलिए उस दिन को काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाने लगा. भगवान काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार इनकी पूजा रात में करने का विधान है. Kaal Bhairav Jayanti के दिन भगवान काल भैरव के मंदिर अथवा किसी शिवालय में जाकर तिल/सरसों के तेल का चौमुखी दिया जलाएं.

इसके साथ ही भगवान Kaal Bhairav को नीले फूल, माला, जलेबी, इमरती, नारियल, पान, मालपुआ अर्थात मीठा रोट भी अर्पित करें. इस दिन संभव हो तो भगवान Kal Bhairav की सवारी काले कुत्ते अथवा किसी अन्य कुत्ते को भी मीठी रोटी या इमरती जलेबी और अपनी क्षमता के अनुसार अन्य खाद्य सामग्री भी खाने को दें, कुछ जगहों पर मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव को भोग स्वरूप मदिरा भी अर्पित की जाती है.

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5 December 2023 : आज मार्गशीर्ष महीना कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी कालभैरव जयंती

हैदराबाद : हिंदू धर्म में भगवान काल भैरव की पूजा से सभी संकट, कष्ट और आपदाएं दूर हो जाती हैं. इसलिए भगवान काल भैरव की जयंती को सभी उनके सभी भक्त बहुत ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाते हैं. काल भैरव भगवान शिव का उग्र रूप है. मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष अष्टमी को उनकी जयंती मनाई जाती है. समय और मृत्यु से परे भगवान काल भैरव को दण्डपाणि और क्षेत्रपाल भी कहा जाता है. उनके एक हाथ में दण्ड रहता है तथा उनका वाहन स्वान अर्थात कुत्ता होता है.

भगवान काल भैरव अपने भक्तों की सभी प्रकार से रक्षा करते हैं उनके सभी संकटों, कष्टों, आपदाओं को दूर करते हैं. उनके मानसिक, वाचिक, दुर्गुणों को दूर कर उनकी रक्षा करते हैं. वह अपने भक्तों को लालच, क्रोध, कामवासना आदि जैसे दुर्गुणों से भी बचते हैं. इसके साथ ही भगवान काल भैरव अपने भक्तों की दुश्मनों, बुरी आत्माओं और काले जादू, तंत्र आदि से भी रक्षा करते हैं. काल भैरव जयंती 2023 की तिथि और समय- अष्टमी तिथि आरंभ - 4 दिसंबर 2023 - 09:59 PM से 6 दिसंबर, 2023 - 12:37 PM तक. Kaal Bhairav Jayanti 5 दिसंबर 2023 को है. 5 दिसंबर को सूर्यास्त 5.53 PM के बाद होगा.

  1. काल भैरव मंत्र
  2. ॐ काल भैरवाय नमः !
  3. ॐ कालकालाय विध्महे, कालातीताय धीमहि, तन्नो काल भैरव प्रचोदयात् !!

काल भैरव की कथा व मान्यताएं
मान्यताओं के अनुसार अंधकासुर का वध करने के लिए भगवान Shiv ने काल भैरव का अवतार लिया था. दूसरी मान्यता के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी में इस बात को लेकर बहस हो गई कि कौन ज्यादा बड़ा है. बहस ज्यादा बढ़ने पर भगवान शिव ने हस्तक्षेप किया और क्रोध में आकर उन्होंने ब्रह्मा जी के एक सर को अलग कर दिया उसके बाद भगवान सिंह ने शिव ने काल भैरव का रूप धारण किया और ब्रह्मा जी के एक सिर को काट दिया. उसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने कृत्य के लिए भगवान शिव से माफी मांगी तब जाकर उनका क्रोध शांत हुआ और वह अपने स्वरूप में वापस लौटे.

जब भगवान शिव ने Kal Bhairav का अवतार लिया उसे दिन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी, इसलिए उस दिन को काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाने लगा. भगवान काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार इनकी पूजा रात में करने का विधान है. Kaal Bhairav Jayanti के दिन भगवान काल भैरव के मंदिर अथवा किसी शिवालय में जाकर तिल/सरसों के तेल का चौमुखी दिया जलाएं.

इसके साथ ही भगवान Kaal Bhairav को नीले फूल, माला, जलेबी, इमरती, नारियल, पान, मालपुआ अर्थात मीठा रोट भी अर्पित करें. इस दिन संभव हो तो भगवान Kal Bhairav की सवारी काले कुत्ते अथवा किसी अन्य कुत्ते को भी मीठी रोटी या इमरती जलेबी और अपनी क्षमता के अनुसार अन्य खाद्य सामग्री भी खाने को दें, कुछ जगहों पर मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव को भोग स्वरूप मदिरा भी अर्पित की जाती है.

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Last Updated : Dec 5, 2023, 4:42 PM IST
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