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शेखावत के मानहानि मामले में अशोक गहलोत को जारी समन के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित

Shekhawat defamation case: गजेंद्र सिंह शेखावत के मानहानि मामले में अशोक गहलोत को जारी समन के खिलाफ कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली. कोर्ट ने 13 दिसंबर को फैसला सुनाने की तारीख तय की है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 7, 2023, 6:50 PM IST

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट की एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. गुरुवार को हुई सुनवाई में स्पेशल जज एमके नागपाल ने 13 दिसंबर को फैसला का आदेश दिया.

इससे पहले 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से लिखित दलीलें पेश की गई थी. 6 दिसंबर को भी अतिरिक्त लिखित दलीलें दाखिल की गई. आज दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पूरी होने की बात कही. उसके बाद कोर्ट ने इन दलीलों को रिकॉर्ड पर रखते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया. 16 सितंबर को अशोक गहलोत की ओर से कहा गया था कि गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि मानहानि का मामला इसलिए बनता है क्योंकि शेखावत का नाम एफआईआर में नहीं है. शेखावत का नाम चार्जशीट में भी नहीं था.

उन्होंने कहा था कि गहलोत का बयान राज्य के गृह मंत्री के रूप में दिया गया था. जो बयान गहलोत द्वारा सदन में दिया गया था वह राज्य के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक था. ऐसे में गहलोत के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता है. इस पर गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि केस डायरी से छेड़छाड़ की गई थी.

यह भी पढ़ेंः सेंथिलकुमार के बयान पर कालकाजी पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने जताई आपत्ति, कहा- बुद्धि भ्रष्ट हो गई है

बता दें, सेशंस कोर्ट ने 1 अगस्त को गहलोत के खिलाफ जारी समन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए गहलोत को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश होने की अनुमति दी थी. 6 जुलाई को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने अशोक गहलोत को समन जारी किया था और 7 अगस्त को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल के इसी आदेश को गहलोत ने सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है.

दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल किया था. इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा था कि जांच एजेंसियों ने मुझे आरोपी नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं. शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए. याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है.

यह भी पढ़ेंः गहलोत को झटका, सेशन कोर्ट ने समन रद्द करने से किया इनकार

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट की एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. गुरुवार को हुई सुनवाई में स्पेशल जज एमके नागपाल ने 13 दिसंबर को फैसला का आदेश दिया.

इससे पहले 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से लिखित दलीलें पेश की गई थी. 6 दिसंबर को भी अतिरिक्त लिखित दलीलें दाखिल की गई. आज दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पूरी होने की बात कही. उसके बाद कोर्ट ने इन दलीलों को रिकॉर्ड पर रखते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया. 16 सितंबर को अशोक गहलोत की ओर से कहा गया था कि गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि मानहानि का मामला इसलिए बनता है क्योंकि शेखावत का नाम एफआईआर में नहीं है. शेखावत का नाम चार्जशीट में भी नहीं था.

उन्होंने कहा था कि गहलोत का बयान राज्य के गृह मंत्री के रूप में दिया गया था. जो बयान गहलोत द्वारा सदन में दिया गया था वह राज्य के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक था. ऐसे में गहलोत के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता है. इस पर गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि केस डायरी से छेड़छाड़ की गई थी.

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बता दें, सेशंस कोर्ट ने 1 अगस्त को गहलोत के खिलाफ जारी समन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए गहलोत को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश होने की अनुमति दी थी. 6 जुलाई को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने अशोक गहलोत को समन जारी किया था और 7 अगस्त को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल के इसी आदेश को गहलोत ने सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है.

दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल किया था. इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा था कि जांच एजेंसियों ने मुझे आरोपी नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं. शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए. याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है.

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