नई दिल्ली: जमात उल मुजाहिदीन-बांग्लादेश (JMB) देशभर में जिहादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहा है. एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'वे (जेएमबी) हिंसक जिहाद के माध्यम से भारत में शरीयत आधारित इस्लामी शासन स्थापित करने के अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आतंकवादी संगठनों के साथ गठबंधन करने की साजिश कर रहे थे. अपनी मंशा पूरी करने के लिए वह अखिल भारतीय नेटवर्क बनाने की तैयारी में थे और उन्होंने अपने सह-आरोपियों के साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और असम सहित विभिन्न राज्यों में सफलतापूर्वक आधार स्थापित किए थे.'
प्रतिबंधित संगठन जेएमबी से जुड़े भोपाल टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में दो स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया. एनआईए अधिकारी के अनुसार, छापे का उद्देश्य एनआईए अदालत, भोपाल द्वारा पहले से ही गिरफ्तार किए गए और चार्जशीट किए गए 10 आरोपियों के और लिंक और साजिशों को उजागर करना था.
गिरफ्तार आरोपियों में से छह बांग्लादेशी नागरिक हैं और सक्रिय जेएमबी कैडर हैं. एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि 'उन्होंने बिना किसी वैध दस्तावेज के अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया था और भारत में अपने हमदर्दों की मदद से झूठे/जाली भारतीय पहचान दस्तावेज प्राप्त किए थे.'
विभिन्न संदिग्धों के परिसरों पर बुधवार की तलाशी में कई डिजिटल (मोबाइल फोन), सिम कार्ड, बैंक पासबुक और पहचान दस्तावेज जब्त किए गए. एनआईए अधिकारी ने कहा कि 'वर्तमान में जिन दस्तावेजों की जांच की जा रही है, वे अभियुक्तों द्वारा धन के हस्तांतरण से संबंधित संदिग्ध लेनदेन से संबंधित हैं.'
एनआईए की जांच से पता चला है कि गिरफ्तार किए गए सभी 10 आरोपी कमजोर भारतीय मुस्लिम युवाओं को प्रभावित करने, कट्टरपंथी बनाने और देश में शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली के खिलाफ हिंसक जिहाद करने के लिए प्रेरित करने में शामिल थे.
उन्होंने बताया कि 'वे जिहादी साहित्य, भड़काऊ वीडियो और बयान प्रसारित कर रहे थे और जेएमबी, अल-कायदा और तालिबान से जुड़े विभिन्न प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के आतंकवादी कृत्यों का समर्थन, औचित्य और महिमामंडन कर रहे थे.'
गौरतलब है कि एक मामला संख्या आरसी-11/2022/एनआईए/डीएलआई) को एनआईए द्वारा 5 अप्रैल, 2022 को यूए (पी) अधिनियम और विदेशी अधिनियम, 1946 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया था.
मामला मूल रूप से 14 मार्च, 2022 को भोपाल पुलिस की एक विशेष टास्क फोर्स द्वारा प्राथमिकी संख्या 13/2022 के रूप में दर्ज किया गया था.
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