श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर पुलिस (Jammu And Kashmir Police) ने स्पष्ट किया कि 'जानबूझकर' आतंकवादियों को शरण देने वालों की संपत्तियां कुर्क (Properties Attached) की जाएंगी. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लगातार आठ ट्विट कर कहा कि वह आतंकवादियों को जानबूझकर पनाह देने और मजबूरी या तनाव आश्रय देने के फर्क से अवगत है. इससे पहले, पुलिस ने दावा किया था कि वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवादियों या उनके सहयोगियों (Terrorists Or Their Allies) को आश्रय प्रदान करने वाले लोगों की संपत्तियों को कुर्क करेगी (People Providing Shelter). शनिवार को, ताजा बयान जारी करते हुए पुलिस ने कहा कि श्रीनगर पुलिस द्वारा 'आतंकवाद' के उद्देश्य से उपयोग की जाने वाली संपत्तियों की कुर्की शुरू करने के संबंध में 'गलत सूचना' फैलाई जा रही है.
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There is and will always be zero tolerance towards terrorism and supporters of terrorism in a civilised society like ours. 8/8
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एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि यह साबित होने के बाद ही कि घर के मालिक या सदस्य ने जानबूझकर एक साथ कई दिनों तक पनाह दी थी. संपत्तियां कुर्क की जा रही हैं. प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी मामले में 'उन्नत' स्तर पर जांच प्रक्रिया होने के बाद ही कुर्की की कार्यवाही होगी. श्रीनगर पुलिस ने लोगों से निर्णय के बारे में 'गलत सूचना' पर ध्यान न देने का भी आग्रह किया है, हालांकि, आम जनता को आगाह किया है कि अपने घरों में आतंकवादियों को पनाह देने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पिछले दो वर्षों के दौरान कश्मीर में 200 से अधिक मुठभेड़ हुए हैं. जिनमें से अधिकांश में आतंकी आवासीय घरों में छूपे हुए थे.
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पुलिस ने इससे पहले गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा था कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा 2 (जी) और 25 के तहत उग्रवाद के उद्देश्य से इस्तेमाल अचल संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शनिवार को अपने बयान में कहा कि कई लोगों गलत सूचना फैलाने के लिए इस फैसले का दुरुपयोग किया जा रहा है. अनभिज्ञता से, कुछ लोग इसे किसी तरह के जबरन कब्जे के रूप में चित्रित करने की कोशिश कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 की धारा 2 (जी) के तहत कार्रवाई में कुछ भी नया नहीं है.
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बयान में कहा गया है कि कानून की इन धाराओं को लागू करने का फैसला इन तथ्यों के आधार पर लिया गया है जिसमें देखा गया कि आतंकवाद के कई समर्थक श्रीनगर शहर में आतंकवादियों को जानबूझकर पनाह दे रहे हैं. पुलिस का कहना है कि अगर कोई आतंकवादी किसी घर या अन्य ढांचे में जबरदस्ती घुसता है, तो घर के मालिक या किसी अन्य सदस्य को समय पर अधिकारियों को सूचित करना चाहिए. इस तरह के मुखबिर की पहचान छिपाने के लिए कानून के तहत कई प्रावधान उपलब्ध हैं. पुलिस ने कहा कि यह हमेशा घर के मालिक या सदस्य पर होता है कि वह अधिकारियों को समय पर अच्छी तरह से आतंकवादियों की कब्जे की सूचना सरकार को दे.