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यूट्यूब के सहारे खुद का इलाज करना युवक को पड़ा महंगा, खतरे में आई जान, पहुंचा अस्पताल

झारखंड के लातेहार जिले में एक युवक को यूट्यूब से इलाज करना महंगा पड़ गया और वह युवक अस्पताल पहुंच गया. युवक को दस्त हो रहा था. जिसके बाद उसने यूट्यूब देखा और वहां से अपना इलाज करना शुरू किया. लेकिन इस दौरान उसकी तबीयत और ज्यादा खराब हो गई और उसे अस्पताल में भर्ता कराना पड़ा.

Treatment from YouTube videos
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 26, 2023, 9:07 PM IST

डॉक्टर अमरनाथ, चिकित्सा पदाधिकारी

लातेहार: एक कहावत है कि नीम हकीम खतरा ए जान. कहावत का अर्थ है कि अल्प ज्ञान खतरनाक होता है. झारखंड के लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड में यह कहावत चरितार्थ हुई है. बालूमाथ प्रखंड के टोटी हेसला गांव में शनिवार को यूट्यूब से टिप्स लेकर खुद का इलाज करना अवधेश कुमार साहू को महंगा पड़ गया. उन्हें गंभीर स्थिति में रांची रेफर होना पड़ा है.

यह भी पढ़ें: पति ने यूट्यूब विडियो देख कराया पत्नी का प्रसव, बच्चे को जन्म देने के बाद हुई मौत

दरअसल, अवधेश कुमार साहू को दस्त हो रहा था. उन्होंने इसके घरेलू उपचार के लिए यूट्यूब से टिप्स लिया. यूट्यूब के माध्यम से उन्हें पता चला कि दस्त होने पर कपूर खाने से दस्त रुक जाता है. उन्होंने यूट्यूब पर बताए गए घरेलू उपचार के तहत कपूर की 10 गोलियां खा ली. लेकिन यहीं गड़बड़ हो गया. इस घरेलू उपचार से उन्हें राहत मिलने के बदले उनकी स्थिति और बिगड़ने लगी. अचानक अवधेश की स्थिति को बिगड़ता देख घर वाले जब पूछताछ करने लगे तो उन्होंने बताया कि उन्होंने दस्त रोकने के लिए घरेलू उपचार का प्रयोग करते हुए कपूर खा लिया है.

परिजनों ने पहुंचाया अस्पताल: इधर, अवधेश साहू की स्थिति को बिगड़ता देख उनके परिजनों ने तत्काल उन्हें अस्पताल पहुंचाया. जहां चिकित्सकों ने उनका प्राथमिक उपचार किया. हालांकि उनकी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए रिम्स रेफर कर दिया गया है. इस संबंध में चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अमरनाथ ने बताया कि युवक को पतला दस्त हो रहा था. उसने यूट्यूब के माध्यम से अपना इलाज करने की कोशिश की और कपूर की 10 गोलियां खा ली. उन्होंने कहा कि कपूर की गोलियां खाने से उसे बेचैनी हो गई थी. बालूमाथ अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद उसे रिम्स रेफर कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि कपूर का असर बाद में भी होता है, इसलिए युवक को कम से कम दो-तीन दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ेगा.

जानकारी के बिना ही करते हैं घरेलू उपचार: आम लोगों में इन दोनों एक प्रचलन सा बन गया है. खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग पूरी जानकारी लिए बिना ही घरेलू उपचार आरंभ कर देते हैं. कई बार तो ऐसे कार्य लोगों को गंभीर स्थिति में पहुंचा दे रहे हैं. हालांकि कई बार घरेलू उपचार से लोग लाभान्वित भी हो जाते हैं. परंतु चिकित्सकों का कहना है कि बीमार पड़ने पर मान्यता प्राप्त चिकित्सा और चिकित्सा पद्धति से ही उपचार करना बेहतर होता है. यूट्यूब के माध्यम से लोगों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां तो मिल जाती है. लेकिन यदि बीमार पड़े तो यूट्यूब के बदले विशेषज्ञ चिकित्सकों से अपना इलाज कराना बेहतर होता है.

डॉक्टर अमरनाथ, चिकित्सा पदाधिकारी

लातेहार: एक कहावत है कि नीम हकीम खतरा ए जान. कहावत का अर्थ है कि अल्प ज्ञान खतरनाक होता है. झारखंड के लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड में यह कहावत चरितार्थ हुई है. बालूमाथ प्रखंड के टोटी हेसला गांव में शनिवार को यूट्यूब से टिप्स लेकर खुद का इलाज करना अवधेश कुमार साहू को महंगा पड़ गया. उन्हें गंभीर स्थिति में रांची रेफर होना पड़ा है.

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दरअसल, अवधेश कुमार साहू को दस्त हो रहा था. उन्होंने इसके घरेलू उपचार के लिए यूट्यूब से टिप्स लिया. यूट्यूब के माध्यम से उन्हें पता चला कि दस्त होने पर कपूर खाने से दस्त रुक जाता है. उन्होंने यूट्यूब पर बताए गए घरेलू उपचार के तहत कपूर की 10 गोलियां खा ली. लेकिन यहीं गड़बड़ हो गया. इस घरेलू उपचार से उन्हें राहत मिलने के बदले उनकी स्थिति और बिगड़ने लगी. अचानक अवधेश की स्थिति को बिगड़ता देख घर वाले जब पूछताछ करने लगे तो उन्होंने बताया कि उन्होंने दस्त रोकने के लिए घरेलू उपचार का प्रयोग करते हुए कपूर खा लिया है.

परिजनों ने पहुंचाया अस्पताल: इधर, अवधेश साहू की स्थिति को बिगड़ता देख उनके परिजनों ने तत्काल उन्हें अस्पताल पहुंचाया. जहां चिकित्सकों ने उनका प्राथमिक उपचार किया. हालांकि उनकी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए रिम्स रेफर कर दिया गया है. इस संबंध में चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अमरनाथ ने बताया कि युवक को पतला दस्त हो रहा था. उसने यूट्यूब के माध्यम से अपना इलाज करने की कोशिश की और कपूर की 10 गोलियां खा ली. उन्होंने कहा कि कपूर की गोलियां खाने से उसे बेचैनी हो गई थी. बालूमाथ अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद उसे रिम्स रेफर कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि कपूर का असर बाद में भी होता है, इसलिए युवक को कम से कम दो-तीन दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ेगा.

जानकारी के बिना ही करते हैं घरेलू उपचार: आम लोगों में इन दोनों एक प्रचलन सा बन गया है. खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग पूरी जानकारी लिए बिना ही घरेलू उपचार आरंभ कर देते हैं. कई बार तो ऐसे कार्य लोगों को गंभीर स्थिति में पहुंचा दे रहे हैं. हालांकि कई बार घरेलू उपचार से लोग लाभान्वित भी हो जाते हैं. परंतु चिकित्सकों का कहना है कि बीमार पड़ने पर मान्यता प्राप्त चिकित्सा और चिकित्सा पद्धति से ही उपचार करना बेहतर होता है. यूट्यूब के माध्यम से लोगों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां तो मिल जाती है. लेकिन यदि बीमार पड़े तो यूट्यूब के बदले विशेषज्ञ चिकित्सकों से अपना इलाज कराना बेहतर होता है.

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