पटना : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) को लेकर बिहार में भी सियासी सुगबुगाहट तेज होने लगी है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू भी मजबूती से यूपी चुनाव लड़ने की तैयारी में है. महासचिव केसी त्यागी (KC Tyagi) ने कहा है कि हम वहां 200 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे.
200 सीटों पर लड़ेगा जेडीयू
जेडीयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिश है कि जेडीयू को पूरे भारत में विस्तार दिया जाए. इसी दिशा में हमने तय किया है कि 2022 में होने वाले चुनाव में हम यूपी की 200 सीटों पर मजबूती से लड़ेंगे.
पिछड़े वर्ग को तरजीह
केसी त्यागी ने दावा किया है कि यूपी चुनाव के लिए पार्टी की तैयारी पूरी हो चुकी है. 200 सीटों पर हमारी संगठन और आधार वोट बैंक मजबूत है. पार्टी सबसे अधिक पिछड़े वर्ग के लोगों को टिकट देगी. उन्होंने बताया कि पार्टी की राज्य इकाई ने उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि सर्वे के आधार पर उम्मीदवार की सूची तैयार की जाए.
योगी सरकार से लोग खफा
जेडीयू नेता के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में भले ही विकास के खूब दावे हो रहे हों, लेकिन सच तो यही है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में पिछड़ा वर्ग और किसानों का कोई विकास नहीं हुआ है. ब्राह्मण समुदाय के साथ भी भेदभाव हो रहा है. लोगों के भीतर बैचेनी है. ऐसे में लोग परिवर्तन चाहते हैं. नीतीश कुमार की नीति के साथ हम मैदान में उतरेंगे.
योगी से त्यागी की बातचीत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेडीयू यूपी में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती है. इसको लेकर केसी त्यागी ने योगी आदित्यनाथ से बात भी की है. त्यागी ने योगी से कहा है कि नीतीश कुमार की पिछड़े समाज में लोकप्रियता का इस्तेमाल यूपी में भी किया जा सकता है.
जेडीयू ने नहीं लड़ा था चुनाव
पिछली बार 2017 में जेडीयू ने आखिरी वक्त में यूपी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था. तब बिहार में नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा थे. 2012 में जेडीयू ने अकेले दम पर 220 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली. वहीं, 2007 में जेडीयू ने एनडीए के साथ 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से सिर्फ जौनपुर में जीत मिली.
नीतीश कुमार की नीति से लोग प्रभावित
अभिषेक झा ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक छवि और जेडीयू की नीतियों से पूरे देश की जनता प्रभावित है. हमने पहले भी कई राज्यों में चुनाव लड़ा है और कई स्थानों पर बेहतर परिणाम भी आए हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बार हमने यूपी चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन इस बार चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी है. किसके साथ गठबंधन होगा और कितनी सीटों पर उम्मीदवार उतारा जाएगा, राष्ट्रीय नेता ही तय करेंगे.
उन्होंने कहा कि जदयू की यह विचारधारा है कि समाज में जो पिछड़े वर्ग के लोग हैं, उन तक समुचित सुविधा कैसे पहुंचे और अंतिम पायदान तक योजना का लाभ कैसे मिले. यही वजह है कि जदयू और नीतीश कुमार को लोगों का स्नेह मिलता रहता है.
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आरजेडी का जेडीयू पर तंज
वहीं, लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने जेडीयू पर तंज कसा है. प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पहले भी कई राज्यों में जेडीयू चुनाव लड़ चुका है, लेकिन उम्मीदवारों की जमानत तक नहीं बची. हाल में बंगाल में हुए चुनाव इसका उदाहरण है. बिहार में ही जब उनकी पार्टी 43 सीट लाकर तीसरे स्थान पर पहुंच गई तो भला यूपी में जाकर क्या कर लेंगे.
दबाव बनाने की कोशिश
आरजेडी प्रवक्ता ने जेडीयू के यूपी में चुनाव लड़ने के एलान को नीतीश कुमार की प्रेशर पॉलिटिक्स बताया. उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि यह बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश है, ताकि वहां समझौता कर कुछ सीटों पर चुनाव लड़ सकें. बंगाल और झारखंड में भी यह कोशिश की गई थी, लेकिन बीजेपी ने भाव नहीं दिया.
उन्होंने कहा कि जदयू चाहती है कि दबाव बनाकर बीजेपी के साथ गठबंधन में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ें, लेकिन बीजेपी भी इनका चाल समझती है. नीतीश कुमार कहीं नहीं लड़ेंगे, सिर्फ दबाव बना रहे हैं.
यूपी में कब है चुनाव
उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के चुनाव वर्ष 2022 में प्रस्तावित है. 2017 में निर्वाचित वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को समाप्त होगा. 2017 चुनाव में बीजेपी ने अकेले दम पर 311 सीटें जीती थी. कुल 403 सीटों में से 324 पर बीजेपी गठबंधन, 54 पर एसपी-कांग्रेस गठबंधन, 19 पर बीएसपी और 6 सीटें अन्य के खाते में गई थी.
बिहार में साथ, यूपी में अलग!
बीजेपी और जेडीयू बिहार में साथ मिलकर विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं. यहां दोनों की अभी संयुक्त रुप से सरकार भी चल रही है. वहीं, केंद्र में समर्थन के बावजूद मोदी सरकार में जेडीयू का कोई मंत्री नहीं है. झारखंड, मणिपुर, बंगाल, गुजरात समेत तमाम राज्यों में जेडीय-बीजेपी आमने-सामने होते हैं. हालांकि दिल्ली चुनाव में गठबंधन जरूर हुआ था.
कौन हैं केसी त्यागी?
केसी त्यागी फिलहाल जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. वे 2013-2016 तक पार्टी के राज्यसभा सांसद भी थे. त्यागी को नीतीश कुमार का बेहद करीबी और भरोसेमंद माना जाता है. वे उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, लिहाजा यूपी चुनाव के लिए वे पार्टी के बड़े रणनीतिकार भी होंगे.