पटना: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर एक तरफ जहां पिछले दो दिनों में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की अगुवाई में आरजेडी की दूसरी बैठक हुई, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली से लौटते ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जेडीयू की अहम बैठक बुला ली. मतलब इंडिया गठबंधन में शामिल सूबे की दोनों बड़ी पार्टनर दनादन बैठक कर नेताओं से फीडबैक लेने में जुट गई हैं. इसको लेकर सूबे की सियासत में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि बताया जा रहा है कि 13 सितंबर को दिल्ली में इंडिया गठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक होगी. उस बैठक से पहले जेडीयू और आरजेडी बिहार में सीट बंटवारे के मामले को सुलझा लेना चाहते हैं.
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आरजेडी के लिए बड़ी चुनौती: 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव आरजेडी के लिए चुनौती भरा होगा. इंडिया गठबंधन से सीटों के बंटवारे से लेकर उम्मीदवार चयन तक आरजेडी के लिए मुश्किल होगी. इसी मुश्किल को खत्म करने के लिए तेजस्वी यादव पिछले दो दिनों से लगातार अपने नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं. दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव की बागडोर आरजेडी की तरफ से तेजस्वी ने अपने हाथों में लिया था. उस चुनाव में पार्टी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन कामयाबी एक सीट पर भी नहीं मिली थी.
आरजेडी को जिताऊ प्रत्याशी की तलाश: ऐसे में आरजेडी के लिए जिताऊ कैंडिडेट की तलाश है. जो एनडीए के उम्मीदवार को टक्कर देकर जीत अपने पाले में कर सके. इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर तेजस्वी यादव ने अपने सभी विधायकों, 2020 विधानसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों, जिला अध्यक्षों और जिला प्रधान महासचिवों को बुलाकर बैठक की है. वजह साफ है कि तेजस्वी यादव इस बार फूंक-फूंककर कदम रखना चाहते हैं और इंडिया गठबंधन के सामने अपना मजबूत पक्ष रखना चाहते हैं.
पिछली बार जिनके खिलाफ, इस बार उनके साथ: बैठक बुलाने की एक बड़ी वजह जेडीयू और आरजेडी के लिए यह भी है कि 2019 लोकसभा चुनाव में दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इस बार दोनों पार्टियां साथ में चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में स्थानीय स्तर पर नेताओं के बीच में टकराव न हो और दोनों दलों के नेता इंडिया गठबंधन के लिए चुनाव लड़े और गठबंधन के लिए ही लोगों से वोट मांगें. यही बात समझाने का प्रयास किया जा रहा है.
नीतीश-तेजस्वी की बात का असर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने स्थानीय स्तर के नेताओं को अगर मिलकर चुनाव लड़ने के लिए कहेंगे तो इसका प्रभाव ज्यादा होगा. उधर यही बात आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव भी अपने नेताओं को कहेंगे तो उसका असर स्थानीय स्तर पर ज्यादा दिखेगा. ऐसे में चुनाव से पहले यह बैठक कर के दोनों दल के नेता अपने कार्यकर्ताओं को एनडीए के खिलाफ तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं.
बिन बीजेपी नीतीश की कितनी जमीन?: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बैठक को इसलिए भी बुलाया है, क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ रहकर 17 सीटों में 16 सीटों पर जीत हासिल की थी. अपने स्थानीय स्तर की नेताओं से बातचीत कर के सीएम असल में यह टटोलने की कोशिश भी करेंगे कि बीजेपी के बगैर और आरजेडी के साथ रहकर वह कितने मजबूत और कमजोर हुए हैं, क्योंकि 2014 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. जिसमें महज दो सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी. उस लिहाज से नीतीश कुमार इस बैठक में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक भी ले रहे हैं.
सभी दलों के लिए बूथ मैनेजमेंट जरूरी: राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड, वाम दल और कांग्रेस का गठबंधन भले ही ऊपर लेवल पर हो गया हो लेकिन सभी पार्टियों के लिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर सामंजस्य बेहद जरूरी है. इस बात को भली भांति सभी राजनीतिक दल जानते हैं. यही वजह है आरजेडी और जेडीयू ने अपने स्थानीय स्तर के नेताओं की बैठक बुलाई है. उन्हें यह समझने की कोशिश की जा रही है कि पिछले साल जिनके खिलाफ चुनाव लड़ा था, वह इस बार साथ में है और जिनके साथ रहकर पिछले बार चुनाव लड़े थे, उनके खिलाफ चुनाव लड़ना है. इसी फार्मूले को समझने की कवायद को लेकर इस तरह की बैठक बुलाई जा रही है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?: बिहार की राजनीति को बेहतर तरीके से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के बैनर तले ही आरजेडी, जेडीयू, लेफ्ट और कांग्रेस प्रदेश में एनडीए के खिलाफ 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि जी20 समिट के दौरान डिनर में जिस तरह से नीतीश कुमार शामिल हुए, उससे यह अफवाह फैली है कि नीतीश का मन एक बार फिर एनडीए के लिए पसीज रहा है. हालांकि ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि जी-20 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रात्रि भोज का निमंत्रण सभी मुख्यमंत्री को दिया था और उसमें जाना नीतीश कुमार के लिए प्रोटोकॉल था, जो उन्होंने निभाया था. नीतीश और तेजस्वी बैठक के दौरान प्रखंड से लेकर जिला के नेताओं से रूबरू हो रहे हैं और उनसे फीडबैक भी ले रहे हैं, साथ ही उनको टास्क भी दे रहे हैं.
"नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के साथ ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. रही बात जेडीयू और आरजेडी की बैठक की तो इस बैठक के माध्यम से दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व अपने स्थानीय और बूथ लेवल के नेताओं को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बार गठबंधन का स्वरूप कैसा रहने वाला है. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव प्रखंड से लेकर जिला के नेताओं से रूबरू हो रहे हैं और उनसे फीडबैक भी ले रहे हैं. इसके साथ ही उनको टास्क भी दे रहे हैं. यह बैठक आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बहुत ही कारगर साबित होगी"- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार