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Jayalalitha memorial : उच्च न्यायालय ने अन्नाद्रमुक की अपील खारिज की - वेद निलयम विवाद

वेद निलयम (Veda Nilayam) विवाद को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने अन्नाद्रमुक की तीसरी पार्टी अपील (third party appeal from the AIADMK) को खारिज कर दिया, जिसमें एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी गई थी. एकल न्यायाधीश ने दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के 'वेद निलयम' आवास को स्मारक बनाने के लिए पारित सभी आदेशों को रद्द कर दिया गया था. पढ़ें पूरी खबर...

Jayalalitha memorial
जयललिता स्मारक
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Published : Jan 5, 2022, 3:46 PM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के वेदा निलायम आवास को स्मारक में बदलने के सभी आदेश रद्द करने वाले एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती देने वाली तीसरे पक्ष की अपील बुधवार को खारिज कर दी. यह अपील अन्नाद्रमुक की ओर से दायर की गई थी.

न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय और न्यायमूर्ति सती कुमार सुकुमरा कुरुप की खंडपीठ ने कहा कि प्रक्रिया में कई सारी प्रक्रियागत अनिमियतताएं हैं जिनमें संपत्ति का अधिग्रहण करने से लेकर उसे स्मारक में बदलना तक शामिल है.

पिछले साल नवंबर में न्यायमूर्ति एन सेशसायी की एकल पीठ ने चेन्नई के पोइस गार्डन इलाके में स्थित दिवंगत मुख्यमंत्री के आवास को कब्जे में लेने और उसे स्मारक में बदलने समेत गत अन्नाद्रमुक सरकार के तमाम आदेशों को खारिज कर दिया था.

पीठ ने एकल न्यायाधीश के इन विचारों से भी सहमति व्यक्त की कि दिवंगत नेता के लिए दूसरे स्मारक की जरूरत नहीं है और इसमें कोई जनहित नहीं है. न्यायाधीशों ने कहा कि इसका मकसद राजनीतिक फायदा लेना है. जयललिता का पहले से मरीना तट पर एक स्मारक है.

पढ़ें :- जयललिता के आवास 'वेद निलायम' को स्मारक बनाने की AIADMK की अपील हाइकोर्ट में मंजूर

पीठ ने कहा कि द्रमुक सरकार को आवास का अधिग्रहण बनाए रखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसने एकल न्यायाधीश का फैसला स्वीकार किया है और आवास की चाबी जयललिता के करीबी रिश्तेदार जे दीपा और जे दीपक को सौंप दी है.

पीठ ने अन्नाद्रमुक के विल्लुपुरम जिला सचिव सी वी षणमुगम की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया. षणमुगम पिछली सरकार में विधि मंत्री थे.

अपील में एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करने का आग्रह किया गया था. यह स्मारक जनवरी 2021 में औपचारिक रूप से खोला गया था.

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के वेदा निलायम आवास को स्मारक में बदलने के सभी आदेश रद्द करने वाले एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती देने वाली तीसरे पक्ष की अपील बुधवार को खारिज कर दी. यह अपील अन्नाद्रमुक की ओर से दायर की गई थी.

न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय और न्यायमूर्ति सती कुमार सुकुमरा कुरुप की खंडपीठ ने कहा कि प्रक्रिया में कई सारी प्रक्रियागत अनिमियतताएं हैं जिनमें संपत्ति का अधिग्रहण करने से लेकर उसे स्मारक में बदलना तक शामिल है.

पिछले साल नवंबर में न्यायमूर्ति एन सेशसायी की एकल पीठ ने चेन्नई के पोइस गार्डन इलाके में स्थित दिवंगत मुख्यमंत्री के आवास को कब्जे में लेने और उसे स्मारक में बदलने समेत गत अन्नाद्रमुक सरकार के तमाम आदेशों को खारिज कर दिया था.

पीठ ने एकल न्यायाधीश के इन विचारों से भी सहमति व्यक्त की कि दिवंगत नेता के लिए दूसरे स्मारक की जरूरत नहीं है और इसमें कोई जनहित नहीं है. न्यायाधीशों ने कहा कि इसका मकसद राजनीतिक फायदा लेना है. जयललिता का पहले से मरीना तट पर एक स्मारक है.

पढ़ें :- जयललिता के आवास 'वेद निलायम' को स्मारक बनाने की AIADMK की अपील हाइकोर्ट में मंजूर

पीठ ने कहा कि द्रमुक सरकार को आवास का अधिग्रहण बनाए रखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसने एकल न्यायाधीश का फैसला स्वीकार किया है और आवास की चाबी जयललिता के करीबी रिश्तेदार जे दीपा और जे दीपक को सौंप दी है.

पीठ ने अन्नाद्रमुक के विल्लुपुरम जिला सचिव सी वी षणमुगम की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया. षणमुगम पिछली सरकार में विधि मंत्री थे.

अपील में एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करने का आग्रह किया गया था. यह स्मारक जनवरी 2021 में औपचारिक रूप से खोला गया था.

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