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बांग्लादेश : एक ऐसा देवी मंदिर जिसकी देखभाल करते हैं मुसलमान

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Published : Mar 27, 2021, 1:26 PM IST

Updated : Mar 27, 2021, 2:33 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे का आज दूसरा दिन है. इस दौरान वे जशोरेश्वरी काली मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने यहां माथा टेका और पूजा-अर्चना की. 400 साल पुरानी जशोरेश्वरी काली मंदिर की जानें विशेषता है...

जशोरेश्वरी काली मंदिर में मोदी
जशोरेश्वरी काली मंदिर में मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे का आज दूसरा दिन है. इस दौरान वे जशोरेश्वरी काली मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने यहां माथा टेका और पूजा-अर्चना की. लेकिन क्या है, इस मंदिर की ऐसी विशेषता जहां स्वयं मोदी खिंचे चले आए?

जी हां, 400 साल पुरानी जशोरेश्वरी काली मंदिर की अपनी विशेषता है. यह मंदिर बांग्लादेश के सतखीरा के श्यामनगर उपजिला स्थित इश्वरीपुर गांव में स्थित है. इस मंदिर की गिनती 51 शक्तिपीठों में की जाती है. मंदिर में 100 से अधिक दरवाजे थे जिसे मुगलों ने नष्ट कर दिया था. बाद में लक्ष्मण सेन और प्रपाद आदित्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया.

कहा जाता है कि तब से सतखीरा के हिंदू और मुस्लिम समुदाय का लोग मिलकर इस मंदिर की रक्षा करते हैं. यहां साल में एक बार भव्य मेले का आयोजन होता है और यहां लोग जो भी पैसा और आभूषण चढ़ाते हैं, उसे लोगों में बांट दिया जाता है.

पढ़ेंः बांग्लादेश दौरा: शेख मुजीब उर रहमान के स्मारक पर पहुंचे PM मोदी, दी श्रंद्धाजलि

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब माता सती अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर वह भस्म हो गईं. शिवजी को जब इसका पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया. बाद में शिवजी सती की जली हुई देह लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे. जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए. सतखीरा में सती की हथेलियां गिरीं और वहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे का आज दूसरा दिन है. इस दौरान वे जशोरेश्वरी काली मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने यहां माथा टेका और पूजा-अर्चना की. लेकिन क्या है, इस मंदिर की ऐसी विशेषता जहां स्वयं मोदी खिंचे चले आए?

जी हां, 400 साल पुरानी जशोरेश्वरी काली मंदिर की अपनी विशेषता है. यह मंदिर बांग्लादेश के सतखीरा के श्यामनगर उपजिला स्थित इश्वरीपुर गांव में स्थित है. इस मंदिर की गिनती 51 शक्तिपीठों में की जाती है. मंदिर में 100 से अधिक दरवाजे थे जिसे मुगलों ने नष्ट कर दिया था. बाद में लक्ष्मण सेन और प्रपाद आदित्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया.

कहा जाता है कि तब से सतखीरा के हिंदू और मुस्लिम समुदाय का लोग मिलकर इस मंदिर की रक्षा करते हैं. यहां साल में एक बार भव्य मेले का आयोजन होता है और यहां लोग जो भी पैसा और आभूषण चढ़ाते हैं, उसे लोगों में बांट दिया जाता है.

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हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब माता सती अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर वह भस्म हो गईं. शिवजी को जब इसका पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया. बाद में शिवजी सती की जली हुई देह लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे. जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए. सतखीरा में सती की हथेलियां गिरीं और वहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ.

Last Updated : Mar 27, 2021, 2:33 PM IST
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