श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन ने आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में कई कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. यह कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत की गई.
जानकारी के अनुसार डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर (DAK) के अध्यक्ष सहित चार और कर्मचारियों को इस कानून के तहत बर्खास्त कर दिया है. डीएके अध्यक्ष डॉ. निसार उल हसन के अलावा, एक पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और उच्च शिक्षा विभाग में एक लैब बियरर को बर्खास्त किया गया है. उपराज्यपाल सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत यह कार्रवाई की. यह अनुच्छेद सरकार को बिना जांच किए कर्मचारियों को बर्खास्त करने का अधिकार देता है.
डीएके अध्यक्ष के अलावा अन्य तीन बर्खास्त कर्मचारियों में उच्च शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला बियरर के रूप में कार्यरत अब्दुल सलाम राथर, जम्मू-कश्मीर पुलिस विभाग में एक कांस्टेबल अब्दुल मजीद भट और जम्मू-कश्मीर में स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यरत फारूक अहमद मीर हैं.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने आतंक के आरोप में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत लगभग 60 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. यह याद किया जा सकता है कि एलजी सिन्हा के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस साल जुलाई में उक्त अनुच्छेद को लागू करके इसी तरह के आरोप में कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी सहित चार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था.
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कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए अलग-अलग आदेश जारी किए गए. आदेश हमेशा लिखा होता है, 'उपराज्यपाल इस बात से संतुष्ट हैं कि बर्खास्त कर्मचारियों की गतिविधियाँ ऐसी है कि उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है. ऐसे मामलों के बारे में तथ्यों, परिस्थितियों और उपलब्ध जानकारी पर विचार करने के बाद कमद उठाया गया.'