श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में चुनाव कब होंगे, इसकी घोषणा चुनाव आयोग को करना है, लेकिन उसके पहले की तैयारी करीब-करीब पूरी हो चुकी है. जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के परिसीमन (डिलिमिटेशन) और मतदाता सूची (इलेक्टोरल रोल्स) के पुनरीक्षण का काम पूरा हो चुका है.
-
Delimitation and revision of electoral rolls over, Election Commission's prerogative to decide on assembly polls: J-K LG Manoj Sinha
— Press Trust of India (@PTI_News) August 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Delimitation and revision of electoral rolls over, Election Commission's prerogative to decide on assembly polls: J-K LG Manoj Sinha
— Press Trust of India (@PTI_News) August 6, 2023Delimitation and revision of electoral rolls over, Election Commission's prerogative to decide on assembly polls: J-K LG Manoj Sinha
— Press Trust of India (@PTI_News) August 6, 2023
एलजी ने कहा कि हमारी प्राथमिकता राज्य में आतंकी घटनाओं पर रोक लगाए जाने की है और उसकी ओर हम सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब यहां के लोगों का जीवन प्रभावित नहीं कर सकता है. उप राज्यपाल ने कहा कि राज्य में अब शांति स्थापित है.
राजनीति के विशेषज्ञ मान रहे हैं कि उप-राज्यपाल ने एक तरीके से इशारा किया है कि राज्य में चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है. उनके अनुसार क्योंकि एलजी मनोज सिन्हा ने परिसीमन और मतदाता सूची के बारे में जानकारी दी है, लिहाजा इसके बाद अगला कदम चुनाव की ओर ही उठाया जाएगा. वैसे, यह तो जाहिर है कि इसके बारे में औपचारिक घोषणा या अधिकार चुनाव आयोग का ही है. कुछ महीनों पहले जब चुनाव आयोग से सवाल किया गया था, तब आयोग ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में इलेक्टोरल सूची को ठीक करने का काम चल रहा है.
जम्मू कश्मीर की कई राजनीतिक पार्टियों ने जल्द से जल्द चुनाव कराए जाने की मांग की है. वे लंबे समय से इसकी मांग करती आ रहीं हैं. फिर चाहे वह नेशनल कॉंफ्रेंस हो या पीडीपी. एनसी, पीडीपी और कांग्रेस बार-बार भाजपा सरकार पर निशाना साधती रही है. इन पार्टियों का कहना है कि जानबूझकर राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं. उनके अनुसार भाजपा चुनाव से डरती है, क्योंकि उनकी हार हो जाएगी.
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 की समाप्ति कर दी गई थी. इसके बाद राज्य को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया गया था. लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों की घोषणा की गई. इसकी घोषणा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करेंगे. उसके बाद से अब तक राज्य में विधानसभा के लिए चुनाव नहीं हुए हैं. हालांकि, इस बीच स्थानीय स्तर पर चुनाव हुए.
ये भी पढ़ें : Watch : कश्मीर में कम हुआ आतंकवाद, लेकिन अभी पूरी तरह से खत्म नहीं : दिलबाग सिंह