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जम्मू-कश्मीर, लद्दाख की हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए PIL पर HC का विचार करने से इनकार

जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट (Jammu Kashmir and Ladakh High Court) ने जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदी को आधिकारिक भाषा घोषित करने के लिए दायर की गई जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार कर दिया है,

Jammu Kashmir and Ladakh High Court
जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट
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Published : Nov 3, 2022, 6:29 PM IST

श्रीनगर : जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट (Jammu Kashmir and Ladakh High Court) ने हाल ही में एक जनहित याचिका (PIL) याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदी को आधिकारिक भाषा घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

मुख्य न्यायाधीश अली मोहम्मद माग्रे (Chief Justice Ali Muhammad Magray) और न्यायमूर्ति विनोद चटर्जी कौल (Justice Vinod Chatterjee Kaul) की पीठ ने कहा कि जनहित याचिका का विषय पूरी तरह से कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है. इसलिए, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करने का निर्देश दिया.

आदेश में कहा गया है, जनहित याचिका का विषय पूरी तरह से कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए हम याचिकाकर्ता को निर्देश के साथ इस जनहित याचिका का निपटारा करते हैं कि याचिका में दावा किए गए राहत के लिए सक्षम प्राधिकारी/मंच से संपर्क करें. जनहित याचिका जगदेव सिंह द्वारा दायर की गई थी जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 और 251 के तहत जनादेश के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में हिंदी भाषा को मान्यता देने की मांग की गई थी.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के पारित होने से पहले, तत्कालीन राज्य की आधिकारिक भाषा उर्दू थी, और विधान सभा द्वारा बनाए गए राजस्व, पुलिस, अधिनियम और नियमों सहित सभी आधिकारिक रिकॉर्ड या तो उर्दू या अंग्रेजी में हैं.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का नाम बदलने की मांग वाली याचिका खारिज की

श्रीनगर : जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट (Jammu Kashmir and Ladakh High Court) ने हाल ही में एक जनहित याचिका (PIL) याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदी को आधिकारिक भाषा घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

मुख्य न्यायाधीश अली मोहम्मद माग्रे (Chief Justice Ali Muhammad Magray) और न्यायमूर्ति विनोद चटर्जी कौल (Justice Vinod Chatterjee Kaul) की पीठ ने कहा कि जनहित याचिका का विषय पूरी तरह से कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है. इसलिए, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करने का निर्देश दिया.

आदेश में कहा गया है, जनहित याचिका का विषय पूरी तरह से कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए हम याचिकाकर्ता को निर्देश के साथ इस जनहित याचिका का निपटारा करते हैं कि याचिका में दावा किए गए राहत के लिए सक्षम प्राधिकारी/मंच से संपर्क करें. जनहित याचिका जगदेव सिंह द्वारा दायर की गई थी जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 और 251 के तहत जनादेश के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में हिंदी भाषा को मान्यता देने की मांग की गई थी.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के पारित होने से पहले, तत्कालीन राज्य की आधिकारिक भाषा उर्दू थी, और विधान सभा द्वारा बनाए गए राजस्व, पुलिस, अधिनियम और नियमों सहित सभी आधिकारिक रिकॉर्ड या तो उर्दू या अंग्रेजी में हैं.

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