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जामा मस्जिद में प्रेमी और दोस्तों के साथ युवतियों के आने पर रोक, पिता- पति के साथ नहीं: बुखारी - स्वाती मालीवाल ने शाही इमाम को नोटिस जारी किया

दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद (Historical Jama Masjid of Delhi) में अकेली लड़की और लड़कियों के समूह के प्रवेश पर रोक लगाई गई है. वहीं, इस मामले पर मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि नमाज पढ़ने के लिए आनेवाली महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं है, बल्कि अकेली लड़की और लड़कियों के समूह पर रोक लगाई गई है. स्वाती मालीवाल ने इस फैसले को लेकर शाही इमाम को नोटिस जारी किया है.

जामा मस्जिद की दीवारों पर लगी नोटिस.
जामा मस्जिद की दीवारों पर लगी नोटिस.
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Published : Nov 24, 2022, 4:27 PM IST

Updated : Nov 24, 2022, 6:51 PM IST

नई दिल्लीः ऐतिहासिक जामा मस्जिद (Historical Jama Masjid of Delhi) में अकेली लड़कियों को प्रवेश न दिए जाने के फैसले को लेकर शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी (Shahi Imam Syed Ahmed Bukhari) का बयान सामने आया है. जामा मस्जिद के शाही इमाम ने साफ किया है कि नमाज पढ़ने के लिए आने वाली महिलाओं को नहीं रोका जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि लड़कियां अपने प्रेमी के साथ मस्जिद में आती है, इसलिए इस पर रोक लगाने के लिए एंट्री बैन की गई.

शाही इमाम ने कहा कि अगर कोई महिला जामा मस्जिद आना चाहती है तो उसे परिवार या पति के साथ आना होगा. अगर नमाज पढ़ने के खातिर आती है तो उसे नहीं रोका जाएगा. वहीं, जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी सबीउल्लाह खान ने कहा, "अकेली लड़कियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है. यह एक धार्मिक स्थल है, इसे देखते हुए निर्णय लिया गया है. इबादत करने वालों के लिए कोई रोक नहीं है।"

जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी सबीउल्लाह खान.

उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद प्रशासन ने आदेश जारी कर अकेले या समूह में आने वाली लड़कियों/महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है. उनका कहना हैं, "लड़कियों/महिलाओं के परिवारों के साथ आने पर कोई रोक नहीं है, शादीशुदा जोड़ों पर भी कोई रोक नहीं है."

जामा मस्जिद की दीवारों पर लगी नोटिस.
जामा मस्जिद की दीवारों पर लगी नोटिस.

वहीं, इस पूरे मामले पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Delhi Commission For Women Chairperson Swati Maliwal) ने जामा मस्जिद में अकेली लड़कियों का प्रवेश रोकने के फैसले को बिल्कुल गलत बताया है. उन्होंने कहा है कि जितना हक एक पुरुष को इबादत का है, उतना ही एक महिला को भी है. वे जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हैं, इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है.

स्वाती मालीवाल ने कहा कि शाही इमाम का इस तरह का फैसला शर्मनाक और गैर-संवैधानिक हरकत की तरह है. उन्हें क्या लगता है कि यह देश भारत नहीं है? यह ईरान है, जहां महिलाओं के साथ खुले में भेदभाव करेंगे. महिलाओं को भी समान अधिकार प्रदान है. कोई भी संविधान से ऊपर नहीं है. इस बैन को हम हटवा कर रहेंगे.

  • जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फ़ैसला बिलकुल ग़लत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है उतना ही एक महिला को भी। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूँ। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है।

    — Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) November 24, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं, इस फैसले का एडवोकेट जीनत फारुखी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यहां धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं. लोग शॉर्ट वीडियो बनाकर इसका गलत इस्तेमाल करते हैं. मनाही बिल्कुल नहीं है, बस थोड़ी सी सतर्कता रखकर आने को कहा जा रहा है.

जानें स्थानीय महिलाओं का क्या कहना है

विश्व हिंदू परिषद ने जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री पर बैन को लेकर कहा कि इन कट्टरपंथी सोच वालों को ईरान की घटनाओं से सबक लेना चाहिए. वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि भारत को सीरिया बनाने की मानसिकता वाले मुस्लिम कट्टरपंथियों को ईरान की घटनाओं से सबक लेना चाहिए.

क्या है पूरा मामलाः दिल्ली की जामा मस्जिद प्रबंधन कमेटी की ओर से एक ऐसा फरमान जारी हुआ है, जिसने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया है. दरअसल मस्जिद प्रशासन की ओर से आदेश जारी हुआ है, जिसमें अकेली महिलाओं को एंट्री नहीं दिए जाने की बात कही गई है. इसको लेकर दीवारों पर नोटिस चस्पा किया गया है. इसमें लिखा है- जामा मस्जिद में लड़की और लड़कियों का अकेले दाखिला मना है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली की जामा मस्जिद में अब अकेली नहीं जा पाएंगी लड़कियां

मुगलकालीन है मस्जिद: दिल्ली की जामा मस्जिद को मुगलकालीन बताया जाता है. इस दौरान मध्य पूर्व के बुखारा इलाके के एक इमाम को लाकर इबादत के लिए रखा गया था. उन्हें शाही इमाम की पदवी दी गई थी. शाही इमाम बुखारी उसी परिवार से ताल्लुक रखते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निर्देशन में जामा मस्जिद का प्रबंधन चलता है.

नई दिल्लीः ऐतिहासिक जामा मस्जिद (Historical Jama Masjid of Delhi) में अकेली लड़कियों को प्रवेश न दिए जाने के फैसले को लेकर शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी (Shahi Imam Syed Ahmed Bukhari) का बयान सामने आया है. जामा मस्जिद के शाही इमाम ने साफ किया है कि नमाज पढ़ने के लिए आने वाली महिलाओं को नहीं रोका जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि लड़कियां अपने प्रेमी के साथ मस्जिद में आती है, इसलिए इस पर रोक लगाने के लिए एंट्री बैन की गई.

शाही इमाम ने कहा कि अगर कोई महिला जामा मस्जिद आना चाहती है तो उसे परिवार या पति के साथ आना होगा. अगर नमाज पढ़ने के खातिर आती है तो उसे नहीं रोका जाएगा. वहीं, जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी सबीउल्लाह खान ने कहा, "अकेली लड़कियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है. यह एक धार्मिक स्थल है, इसे देखते हुए निर्णय लिया गया है. इबादत करने वालों के लिए कोई रोक नहीं है।"

जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी सबीउल्लाह खान.

उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद प्रशासन ने आदेश जारी कर अकेले या समूह में आने वाली लड़कियों/महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है. उनका कहना हैं, "लड़कियों/महिलाओं के परिवारों के साथ आने पर कोई रोक नहीं है, शादीशुदा जोड़ों पर भी कोई रोक नहीं है."

जामा मस्जिद की दीवारों पर लगी नोटिस.
जामा मस्जिद की दीवारों पर लगी नोटिस.

वहीं, इस पूरे मामले पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Delhi Commission For Women Chairperson Swati Maliwal) ने जामा मस्जिद में अकेली लड़कियों का प्रवेश रोकने के फैसले को बिल्कुल गलत बताया है. उन्होंने कहा है कि जितना हक एक पुरुष को इबादत का है, उतना ही एक महिला को भी है. वे जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हैं, इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है.

स्वाती मालीवाल ने कहा कि शाही इमाम का इस तरह का फैसला शर्मनाक और गैर-संवैधानिक हरकत की तरह है. उन्हें क्या लगता है कि यह देश भारत नहीं है? यह ईरान है, जहां महिलाओं के साथ खुले में भेदभाव करेंगे. महिलाओं को भी समान अधिकार प्रदान है. कोई भी संविधान से ऊपर नहीं है. इस बैन को हम हटवा कर रहेंगे.

  • जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फ़ैसला बिलकुल ग़लत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है उतना ही एक महिला को भी। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूँ। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है।

    — Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) November 24, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं, इस फैसले का एडवोकेट जीनत फारुखी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यहां धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं. लोग शॉर्ट वीडियो बनाकर इसका गलत इस्तेमाल करते हैं. मनाही बिल्कुल नहीं है, बस थोड़ी सी सतर्कता रखकर आने को कहा जा रहा है.

जानें स्थानीय महिलाओं का क्या कहना है

विश्व हिंदू परिषद ने जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री पर बैन को लेकर कहा कि इन कट्टरपंथी सोच वालों को ईरान की घटनाओं से सबक लेना चाहिए. वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि भारत को सीरिया बनाने की मानसिकता वाले मुस्लिम कट्टरपंथियों को ईरान की घटनाओं से सबक लेना चाहिए.

क्या है पूरा मामलाः दिल्ली की जामा मस्जिद प्रबंधन कमेटी की ओर से एक ऐसा फरमान जारी हुआ है, जिसने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया है. दरअसल मस्जिद प्रशासन की ओर से आदेश जारी हुआ है, जिसमें अकेली महिलाओं को एंट्री नहीं दिए जाने की बात कही गई है. इसको लेकर दीवारों पर नोटिस चस्पा किया गया है. इसमें लिखा है- जामा मस्जिद में लड़की और लड़कियों का अकेले दाखिला मना है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली की जामा मस्जिद में अब अकेली नहीं जा पाएंगी लड़कियां

मुगलकालीन है मस्जिद: दिल्ली की जामा मस्जिद को मुगलकालीन बताया जाता है. इस दौरान मध्य पूर्व के बुखारा इलाके के एक इमाम को लाकर इबादत के लिए रखा गया था. उन्हें शाही इमाम की पदवी दी गई थी. शाही इमाम बुखारी उसी परिवार से ताल्लुक रखते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निर्देशन में जामा मस्जिद का प्रबंधन चलता है.

Last Updated : Nov 24, 2022, 6:51 PM IST
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