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S Jaishankar At UN : जयशंकर ने दिया जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने का उदाहरण, कहा- संयुक्त राष्ट्र प्रेरणा ले

विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने जी20 सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की भारत की पहल का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र से सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरणा लेने की बात कही.

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By PTI

Published : Sep 26, 2023, 9:53 PM IST

External Affairs Minister S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर

संयुक्त राष्ट्र : हाल में संपन्न जी20 सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की भारत की पहल का उदाहरण देते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र से सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरणा लेने का आह्वान किया. इस माह के प्रारंभ में नयी दिल्ली में जी20 सम्मेलन में उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के इस संगठन ने आम सहमति से नयी दिल्ली घोषणापत्र अपनाया तथा अफ्रीकी संघ को उसमें स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया.

  • न्यूयॉर्क: UNGA में विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, "भारत की पहल की वजह से G-20 में अफ्रीकन यूनियन को स्थाई सदस्यता मिली है। ऐसा करके हमने पूरे महाद्वीप को एक आवाज दी, जिसका काफी समय से हक रहा है। इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र, जो उससे भी पुराना संगठन है, सुरक्षा परिषद… pic.twitter.com/9zJuYU2lEa

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) September 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किया जाना एक 'अहम कदम' है. उन्होंने कहा, 'यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया. ऐसा कर हमने समूचे महाद्वीप को आवाज दी जिससे उसे लंबे समय से वंचित रखा गया था.'

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, 'सुधार के इस महत्वपूर्ण कदम से उससे भी अधिक पुराने संगठन संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए. प्रभाव एवं विश्वसनीयता दोनों के लिए व्यापक प्रतिनिधित्व एक पूर्वशर्त है.' उन्होंने कहा, 'जिस रूप में संयुक्त राष्ट्र अपने आप को पेश करता है, उसके लिए साझा आधार खोजना जरूरी है. दूसरों को सुनना एवं उनके दृष्टिकोण को सम्मान देना कोई कमजोरी नहीं होती है, यह तो सहयोग का मूलभूत तत्व है. केवल तभी वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक प्रयास सफल हो सकते हैं.'

  • न्यूयॉर्क: UNGA में विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, "हमने 75 देशों के साथ विकासात्मक साझेदारी बनाई है। आपदा और आपातकालीन स्थिति में भी हम पहले उत्तरदाता बने हैं। तुर्की और सीरिया के लोगों ने यह देखा है।" pic.twitter.com/5HTGZdhjOe

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) September 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा कि कैसे अपनी चर्चाओं में देश अक्सर 'नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं और समय समय पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति सम्मान की भी बात उठायी जाती है.' उन्होंने कहा, 'लेकिन इन सभी चर्चाओं के लिए, अब भी कुछ देश हैं जो एजेंडा तय करते हैं और नियमों को परिभाषित करते हैं. लेकिन यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता और ऐसा भी नहीं है कि उसे चुनौती नहीं दी जा सकती.'

जयशंकर ने कहा, 'एक बार हम सभी अपना दिमाग इस पर लगायें तो निश्चित ही निष्पक्ष, समान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था उभरकर सामने आयेगी.' दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सालों से प्रयासरत है. उसका कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य का पूरी तरह हकदार है क्योंकि यह परिषद वर्तमान रुप में 21वीं सदी की भौगोलिक-राजनीतिक हकीकत का प्रतिनिधित्व नहीं करती है.

ये भी पढ़ें - S Jaishankar At UN : 'नमस्ते फ्रॉम भारत' कहकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में रखी अपनी बात

संयुक्त राष्ट्र : हाल में संपन्न जी20 सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की भारत की पहल का उदाहरण देते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र से सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरणा लेने का आह्वान किया. इस माह के प्रारंभ में नयी दिल्ली में जी20 सम्मेलन में उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के इस संगठन ने आम सहमति से नयी दिल्ली घोषणापत्र अपनाया तथा अफ्रीकी संघ को उसमें स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया.

  • न्यूयॉर्क: UNGA में विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, "भारत की पहल की वजह से G-20 में अफ्रीकन यूनियन को स्थाई सदस्यता मिली है। ऐसा करके हमने पूरे महाद्वीप को एक आवाज दी, जिसका काफी समय से हक रहा है। इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र, जो उससे भी पुराना संगठन है, सुरक्षा परिषद… pic.twitter.com/9zJuYU2lEa

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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किया जाना एक 'अहम कदम' है. उन्होंने कहा, 'यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया. ऐसा कर हमने समूचे महाद्वीप को आवाज दी जिससे उसे लंबे समय से वंचित रखा गया था.'

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, 'सुधार के इस महत्वपूर्ण कदम से उससे भी अधिक पुराने संगठन संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए. प्रभाव एवं विश्वसनीयता दोनों के लिए व्यापक प्रतिनिधित्व एक पूर्वशर्त है.' उन्होंने कहा, 'जिस रूप में संयुक्त राष्ट्र अपने आप को पेश करता है, उसके लिए साझा आधार खोजना जरूरी है. दूसरों को सुनना एवं उनके दृष्टिकोण को सम्मान देना कोई कमजोरी नहीं होती है, यह तो सहयोग का मूलभूत तत्व है. केवल तभी वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक प्रयास सफल हो सकते हैं.'

  • न्यूयॉर्क: UNGA में विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, "हमने 75 देशों के साथ विकासात्मक साझेदारी बनाई है। आपदा और आपातकालीन स्थिति में भी हम पहले उत्तरदाता बने हैं। तुर्की और सीरिया के लोगों ने यह देखा है।" pic.twitter.com/5HTGZdhjOe

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उन्होंने कहा कि कैसे अपनी चर्चाओं में देश अक्सर 'नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं और समय समय पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति सम्मान की भी बात उठायी जाती है.' उन्होंने कहा, 'लेकिन इन सभी चर्चाओं के लिए, अब भी कुछ देश हैं जो एजेंडा तय करते हैं और नियमों को परिभाषित करते हैं. लेकिन यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता और ऐसा भी नहीं है कि उसे चुनौती नहीं दी जा सकती.'

जयशंकर ने कहा, 'एक बार हम सभी अपना दिमाग इस पर लगायें तो निश्चित ही निष्पक्ष, समान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था उभरकर सामने आयेगी.' दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सालों से प्रयासरत है. उसका कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य का पूरी तरह हकदार है क्योंकि यह परिषद वर्तमान रुप में 21वीं सदी की भौगोलिक-राजनीतिक हकीकत का प्रतिनिधित्व नहीं करती है.

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