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देवभूमि की सियासत में तू-तड़ाक वाली तकरार, वीरभद्र-धूमल से कुछ तो सीखो 'सरकार'

इन दिनों हिमाचल की सियासत में सीएम जयराम ठाकुर और नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (jairam thakur vs mukesh Agnihotri) की बयानबाजी सुर्खियों में है. सियासत में बयानबाजी नई बात नहीं लेकिन हिमाचल की सियासत में इस तरह के निजी हमले पहले कभी भी नहीं देखे गए हैं. मुकेश अग्निहोत्री और जयराम ठाकुर के बीच अब तक क्या-क्या बयानबाजी हुई और इससे पहले वीरभद्र और धूमल के बीच कैसी शालीनता के दायरे में कैसी बयानबाजी हुई हैं. जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर

jairam thakur vs mukesh Agnihotri
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Published : Jun 23, 2022, 7:10 PM IST

शिमला: देवभूमि हिमाचल प्रदेश की सियासत में इन दिनों शीर्ष नेताओं के बीच बयानबाजी मर्यादाएं लांघ रही हैं. सूबे के मुखिया और विपक्षी दल के नेता के बीच सियासी वार निजी जीवन (personal attacks in himachal politics) तक पहुंच गए हैं. तीखी बयानबाजी का आलम ये है कि दोनों नेताओं के बयानों में परिवार तक का जिक्र हो रहा है. मंच से बयानों के बाण छोड़ने के चक्कर में टब्बर (परिवार), पत्नी और बेटियों तक का जिक्र आ गया है. इससे भी बढक़र निजी जीवन पर संवेदनशील चर्चाएं भी सोशल मीडिया में टॉक ऑफ दि टाउन बन गई हैं.

टूट रही मर्यादाएं- सियासत में बयानबाजी और जुबानी हमले आम बता है. हिमाचल की राजनीति में भी शीर्ष नेताओं के बीच जुबानी जंग कोई नई बात नहीं है, लेकिन एक-दूसरे पर वार-पलटवार के चक्कर में मर्यादाओं का ख्याल हर बार रखा गया. लेकिन इस बार मर्यादाएं टूट रही हैं. चुनाव से 6 महीने पहले सत्ता और विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे एक-दूसरे पर हमले के चक्कर में मर्यादाएं लांघ रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल के बीच सदन के भीतर और बाहर तीखी बहसबाजी होती रही है, मगर उस दौरान भी दोनों नेता शालीन शब्दों में अपनी बात कहते थे. वीरभद्र सिंह अकसर विरोधियों को मकरझंडू कहा करते थे, लेकिन वे तुरंत ही इस शब्द का अर्थ बताकर माहौल को हल्का-फुल्का कर दिया करते थे.

वीडियो.

वीरभद्र बनाम धूमल के किस्से- अगस्त 2015 की बात है, विधानसभा के मानसून सेशन के दौरान तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के बीच एक मामले पर तीखी बहस हो गई. इस पर वीरभद्र सिंह ने धूमल को प्रेम से बोलने की सलाह दी. धूमल ने तुरंत कहा कि उनका नाम ही प्रेम है और वे प्रेम से ही बोलते हैं, आपको भद्रता से सुनना चाहिए. तब वीरभद्र सिंह ने कहा कि उन्हें मालूम है कि धूमल कितना प्रेम से बोलते हैं. वीरभद्र ने कहा कि जब आपकी सरकार थी तो मेरे खिलाफ कई केस किए गए. जब धूमल ने उन्हें चुनौती दी कि किस पर कितने केस हुए, इस पर चर्चा हो जाए तो सीएम वीरभद्र सिंह चुप हो गए और बात आगे नहीं बढ़ाई. सदन के भीतर और बाहर दोनों नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी होती रही, लेकिन मर्यादा का ख्याल हमेशा रखा गया.

अगस्त 2016 के विधानसभा सत्र में भी दोनों शीर्ष नेता एक-दूसरे से उलझे. वीरभद्र सिंह ने तैश में आकर कहा कि धूमल को अपने दिल में झांकना चाहिए कि वहां कितना मैल, विष और प्रतिशोध भरा हुआ है. शिलान्यास पट्टिकाओं को तोडऩे के मामले में हुई बहस में जब प्रेम कुमार धूमल अपना पक्ष रख रहे थे तो वीरभद्र सिंह ने अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही उन्हें टोकना शुरू किया. इस पर प्रेम कुमार धूमल ने तंज कसा कि आप छठी बार सीएम बने हैं और केंद्र में मंत्री भी रहे हैं, आपको पता होना चाहिए कि जब सदन में कोई बोल रहा हो तो उसे टोकना नहीं चाहिए. ऐसे में कहा जा सकता है कि पूर्व में नेताओं के बीच तकरार होती थी, लेकिन शब्द शालीन रहते थे, लेकिन अब हिमाचल की सियासत में शीर्ष नेता एक-दूसरे पर निजी हमले कर रहे हैं.

शालीनता से तू-तड़ाक तक पहुंची बयानबाजी- वीरभद्र और धूमल ही नहीं उससे पहले के नेताओं को लेकर भी हर मोड़ पर ऐसे किस्से भरे पड़े हैं जब सत्ता और विपक्ष में टकराव तो हुआ लेकिन भाषा की मर्यादा और शालीनता का ध्यान हमेशा रखा गया. लेकिन पिछले करीब एक महीने हिमाचल की सियासत में एक-दूसरे के खिलाफ तू-तड़ाक हो रहा है. अग्निपथ योजना के ऐलान के बाद नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने बयान दिया था कि केंद्र से कोई भी योजना आती है तो सीएम जयराम सबसे पहले उसका गुणगान करना शुरू कर देते हैं. उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना में चार साल का रोजगार है, तो जयराम ठाकुर को भी चार साल हो गए हैं. उसके बाद नेता प्रतिपक्ष तू-तड़ाक पर उतर आए. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि शिमला में जो भी कुर्सी पर बैठता है उसे लगता है कि शायद फेवीकॉल लगा हुआ है. लेकिन मैं जयराम जी को याद दिलाना चाहता हूं कि लपेट लो अपना सामान, चाहे कोई हेलीकॉप्टर से छोड़ आओ मंडी क्योंकि ओकओवर खाली करने का वक्त आ गया है. ओकओवर हिमाचल के मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है. अग्निहोत्री इससे पहले भी जयराम ठाकुर के हेलीकॉप्टर से चलने पर निशाने साध चुके हैं. मुकेश अग्निहोत्री कह चुके हैं कि सीएम जयराम साइकिल की तरह हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं.

मुख्यमंत्री ने भी दिया जवाब- सीएम जयराम ठाकुर ने पलटवार करते हुए कहा (Jairam Thakur on Mukesh Agnihotri) कि कांग्रेस का एक नेता है उसको लगता है कि ये हेलीकॉप्टर उसके टब्बर (परिवार) का है. जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत काम कर रहा हूं और हिमाचल के हित में काम कर रहा हूं लेकिन कांग्रेस के एक नेता को आजकल दिमागी दौरे पड़ रहे हैं, उन्हें पता ही नहीं चल रहा कि क्या कहना है. जयराम ठाकुर ने कहा कि वो ऐसा समझ रहे हैं कि जैसे ओक ओवर (सीएम का सरकारी आवास) उनका पुश्तैनी है और उस पर मैंने कब्जा किया हुआ है. उसके बाद सीएम ने कहा कि एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत उन्हें हैलीकॉप्टर मिला है. ये सरकारी है और किसी के टब्बर का नहीं है.

मुकेश अग्निहोत्री का पलटवार- मुख्यमंत्री के इस बयान के तुरंत बाद मुकेश अग्निहोत्री ने भी पलटवार (Mukesh Agnihotri on Jairam Thakur) करते हुए कहा कि 'हेलीकॉप्टर मेरे टब्बर का नहीं है तो किसी की सहेलियों का भी नहीं है, ये हिमाचल सरकार का है' अब सहेलियों से नेता प्रतिपक्ष का क्या आशय था, ये हिमाचल की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है. यही नहीं, मुकेश अग्निहोत्री ने उसके बाद अपने सोशल मीडिया पेज पर भी फिर से ये बयान दोहराया. इस तरह शीर्ष नेता अब एक-दूसरे के खिलाफ निजी हमले करने लगे हैं. इन हमलों में परिवार भी घसीटा जा रहा है. मुकेश अग्निहोत्री ने ये भी कहा कि आप मेरी बेटी और परिवार को बीच में ला रहे हैं तो याद रखिए कि आपकी भी दो बेटियां और एक पत्नी है. फिलहाल ये समझ के परे हैं कि बयानबाजी के बीच में किसी का परिवार, बेटियां या पत्नी को लाना समझ के परे हैं. अग्निहोत्री कह चुके हैं कि जिस भाषा में बात की जाएगी उसी भाषा में जवाब दिया जाएगा.

आलम ये है कि जैसे ही सूबे के पक्ष और विपक्ष के दोनों बड़े चेहरे आमने-सामने हैं. एक का बयान आते ही दूसरे का पलटवार होना तय है. इससे पहले वीरभद्र सिंह के विधायक बेटे ने भी सीएम जयराम ठाकुर को लेकर बयान दिया था कि उन्हें नागपुर से जितनी चाबी लगती है, उनकी गाड़ी उतनी ही चलती है. जयराम ठाकुर ने भी कहा था कि वो वीरभद्र सिंह बनने की कोशिश ना करें. इससे पहले भी ना जाने कितनी बार कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच तीखी जुबानी जंग देखी गई है, परंतु ऐसी सीमाएं कभी नहीं लांघी गई. वरिष्ठ पत्रकार उदय पठानिया का कहना है कि हिमाचल की राजनीति में हमेशा से शालीनता रही है. अब बयानों के जरिये मर्यादा भंग होना दुखद है और सभी को इससे बचना चाहिए. उधर, ऊना से कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर ने भी नेता प्रतिपक्ष के बयान पर टिप्पणी की है. वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों में दूरस्थ इलाकों में जाने के लिए हैलीकॉप्टर की जरूरत होती है. सभी नेता इसका प्रयोग करते रहे हैं। कंवर ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. हालांकि जयराम ठाकुर बनाम मुकेश अग्निहोत्री (jairam thakur vs mukesh Agnihotri ) की जुबानी जंग फिलहाल थमने वाली नहीं लगती क्योंकि हर बीतता दिन हिमाचल को चुनाव की ओर धकेल रहा है.

ये भी पढ़ें- संगरूर उपचुनाव : मान ने की मतदान का समय बढ़ाने की अपील, ईसी ने मांगा जवाब

शिमला: देवभूमि हिमाचल प्रदेश की सियासत में इन दिनों शीर्ष नेताओं के बीच बयानबाजी मर्यादाएं लांघ रही हैं. सूबे के मुखिया और विपक्षी दल के नेता के बीच सियासी वार निजी जीवन (personal attacks in himachal politics) तक पहुंच गए हैं. तीखी बयानबाजी का आलम ये है कि दोनों नेताओं के बयानों में परिवार तक का जिक्र हो रहा है. मंच से बयानों के बाण छोड़ने के चक्कर में टब्बर (परिवार), पत्नी और बेटियों तक का जिक्र आ गया है. इससे भी बढक़र निजी जीवन पर संवेदनशील चर्चाएं भी सोशल मीडिया में टॉक ऑफ दि टाउन बन गई हैं.

टूट रही मर्यादाएं- सियासत में बयानबाजी और जुबानी हमले आम बता है. हिमाचल की राजनीति में भी शीर्ष नेताओं के बीच जुबानी जंग कोई नई बात नहीं है, लेकिन एक-दूसरे पर वार-पलटवार के चक्कर में मर्यादाओं का ख्याल हर बार रखा गया. लेकिन इस बार मर्यादाएं टूट रही हैं. चुनाव से 6 महीने पहले सत्ता और विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे एक-दूसरे पर हमले के चक्कर में मर्यादाएं लांघ रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल के बीच सदन के भीतर और बाहर तीखी बहसबाजी होती रही है, मगर उस दौरान भी दोनों नेता शालीन शब्दों में अपनी बात कहते थे. वीरभद्र सिंह अकसर विरोधियों को मकरझंडू कहा करते थे, लेकिन वे तुरंत ही इस शब्द का अर्थ बताकर माहौल को हल्का-फुल्का कर दिया करते थे.

वीडियो.

वीरभद्र बनाम धूमल के किस्से- अगस्त 2015 की बात है, विधानसभा के मानसून सेशन के दौरान तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के बीच एक मामले पर तीखी बहस हो गई. इस पर वीरभद्र सिंह ने धूमल को प्रेम से बोलने की सलाह दी. धूमल ने तुरंत कहा कि उनका नाम ही प्रेम है और वे प्रेम से ही बोलते हैं, आपको भद्रता से सुनना चाहिए. तब वीरभद्र सिंह ने कहा कि उन्हें मालूम है कि धूमल कितना प्रेम से बोलते हैं. वीरभद्र ने कहा कि जब आपकी सरकार थी तो मेरे खिलाफ कई केस किए गए. जब धूमल ने उन्हें चुनौती दी कि किस पर कितने केस हुए, इस पर चर्चा हो जाए तो सीएम वीरभद्र सिंह चुप हो गए और बात आगे नहीं बढ़ाई. सदन के भीतर और बाहर दोनों नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी होती रही, लेकिन मर्यादा का ख्याल हमेशा रखा गया.

अगस्त 2016 के विधानसभा सत्र में भी दोनों शीर्ष नेता एक-दूसरे से उलझे. वीरभद्र सिंह ने तैश में आकर कहा कि धूमल को अपने दिल में झांकना चाहिए कि वहां कितना मैल, विष और प्रतिशोध भरा हुआ है. शिलान्यास पट्टिकाओं को तोडऩे के मामले में हुई बहस में जब प्रेम कुमार धूमल अपना पक्ष रख रहे थे तो वीरभद्र सिंह ने अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही उन्हें टोकना शुरू किया. इस पर प्रेम कुमार धूमल ने तंज कसा कि आप छठी बार सीएम बने हैं और केंद्र में मंत्री भी रहे हैं, आपको पता होना चाहिए कि जब सदन में कोई बोल रहा हो तो उसे टोकना नहीं चाहिए. ऐसे में कहा जा सकता है कि पूर्व में नेताओं के बीच तकरार होती थी, लेकिन शब्द शालीन रहते थे, लेकिन अब हिमाचल की सियासत में शीर्ष नेता एक-दूसरे पर निजी हमले कर रहे हैं.

शालीनता से तू-तड़ाक तक पहुंची बयानबाजी- वीरभद्र और धूमल ही नहीं उससे पहले के नेताओं को लेकर भी हर मोड़ पर ऐसे किस्से भरे पड़े हैं जब सत्ता और विपक्ष में टकराव तो हुआ लेकिन भाषा की मर्यादा और शालीनता का ध्यान हमेशा रखा गया. लेकिन पिछले करीब एक महीने हिमाचल की सियासत में एक-दूसरे के खिलाफ तू-तड़ाक हो रहा है. अग्निपथ योजना के ऐलान के बाद नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने बयान दिया था कि केंद्र से कोई भी योजना आती है तो सीएम जयराम सबसे पहले उसका गुणगान करना शुरू कर देते हैं. उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना में चार साल का रोजगार है, तो जयराम ठाकुर को भी चार साल हो गए हैं. उसके बाद नेता प्रतिपक्ष तू-तड़ाक पर उतर आए. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि शिमला में जो भी कुर्सी पर बैठता है उसे लगता है कि शायद फेवीकॉल लगा हुआ है. लेकिन मैं जयराम जी को याद दिलाना चाहता हूं कि लपेट लो अपना सामान, चाहे कोई हेलीकॉप्टर से छोड़ आओ मंडी क्योंकि ओकओवर खाली करने का वक्त आ गया है. ओकओवर हिमाचल के मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है. अग्निहोत्री इससे पहले भी जयराम ठाकुर के हेलीकॉप्टर से चलने पर निशाने साध चुके हैं. मुकेश अग्निहोत्री कह चुके हैं कि सीएम जयराम साइकिल की तरह हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं.

मुख्यमंत्री ने भी दिया जवाब- सीएम जयराम ठाकुर ने पलटवार करते हुए कहा (Jairam Thakur on Mukesh Agnihotri) कि कांग्रेस का एक नेता है उसको लगता है कि ये हेलीकॉप्टर उसके टब्बर (परिवार) का है. जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत काम कर रहा हूं और हिमाचल के हित में काम कर रहा हूं लेकिन कांग्रेस के एक नेता को आजकल दिमागी दौरे पड़ रहे हैं, उन्हें पता ही नहीं चल रहा कि क्या कहना है. जयराम ठाकुर ने कहा कि वो ऐसा समझ रहे हैं कि जैसे ओक ओवर (सीएम का सरकारी आवास) उनका पुश्तैनी है और उस पर मैंने कब्जा किया हुआ है. उसके बाद सीएम ने कहा कि एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत उन्हें हैलीकॉप्टर मिला है. ये सरकारी है और किसी के टब्बर का नहीं है.

मुकेश अग्निहोत्री का पलटवार- मुख्यमंत्री के इस बयान के तुरंत बाद मुकेश अग्निहोत्री ने भी पलटवार (Mukesh Agnihotri on Jairam Thakur) करते हुए कहा कि 'हेलीकॉप्टर मेरे टब्बर का नहीं है तो किसी की सहेलियों का भी नहीं है, ये हिमाचल सरकार का है' अब सहेलियों से नेता प्रतिपक्ष का क्या आशय था, ये हिमाचल की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है. यही नहीं, मुकेश अग्निहोत्री ने उसके बाद अपने सोशल मीडिया पेज पर भी फिर से ये बयान दोहराया. इस तरह शीर्ष नेता अब एक-दूसरे के खिलाफ निजी हमले करने लगे हैं. इन हमलों में परिवार भी घसीटा जा रहा है. मुकेश अग्निहोत्री ने ये भी कहा कि आप मेरी बेटी और परिवार को बीच में ला रहे हैं तो याद रखिए कि आपकी भी दो बेटियां और एक पत्नी है. फिलहाल ये समझ के परे हैं कि बयानबाजी के बीच में किसी का परिवार, बेटियां या पत्नी को लाना समझ के परे हैं. अग्निहोत्री कह चुके हैं कि जिस भाषा में बात की जाएगी उसी भाषा में जवाब दिया जाएगा.

आलम ये है कि जैसे ही सूबे के पक्ष और विपक्ष के दोनों बड़े चेहरे आमने-सामने हैं. एक का बयान आते ही दूसरे का पलटवार होना तय है. इससे पहले वीरभद्र सिंह के विधायक बेटे ने भी सीएम जयराम ठाकुर को लेकर बयान दिया था कि उन्हें नागपुर से जितनी चाबी लगती है, उनकी गाड़ी उतनी ही चलती है. जयराम ठाकुर ने भी कहा था कि वो वीरभद्र सिंह बनने की कोशिश ना करें. इससे पहले भी ना जाने कितनी बार कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच तीखी जुबानी जंग देखी गई है, परंतु ऐसी सीमाएं कभी नहीं लांघी गई. वरिष्ठ पत्रकार उदय पठानिया का कहना है कि हिमाचल की राजनीति में हमेशा से शालीनता रही है. अब बयानों के जरिये मर्यादा भंग होना दुखद है और सभी को इससे बचना चाहिए. उधर, ऊना से कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर ने भी नेता प्रतिपक्ष के बयान पर टिप्पणी की है. वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों में दूरस्थ इलाकों में जाने के लिए हैलीकॉप्टर की जरूरत होती है. सभी नेता इसका प्रयोग करते रहे हैं। कंवर ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. हालांकि जयराम ठाकुर बनाम मुकेश अग्निहोत्री (jairam thakur vs mukesh Agnihotri ) की जुबानी जंग फिलहाल थमने वाली नहीं लगती क्योंकि हर बीतता दिन हिमाचल को चुनाव की ओर धकेल रहा है.

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