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'क्या राजस्थान में गिर जाएगी गहलोत सरकार', राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बढ़ाया सस्पेंस - Jaipur rural MP

देश पिछले एक साल से लगातार स्वास्थ्य और आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहा है. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से लड़ते हुए हमारे देश के लाखों नागरिक असमय ही काल के गाल में समा गए. बार-बार लॉकडाउन (Lockdown In Corona Pandemic) के चलते करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया. इन सबके बीच केंद्र सरकार (Central Government) के कई निर्णयों को आम लोगों ने सराहा तो कई निर्णयों की आलोचना भी हुई. इन सभी मुद्दों पर बात करने के लिए हमारे साथ आए राजस्थान से सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़. उनके साथ बातचीत की 'ईटीवी भारत' के रीजनल न्यूज को-ऑर्डिनेटर सचिन शर्मा ने. पढ़ें पूरी बातचीत...

राज्यवर्धन सिंह राठौड़
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Published : Jun 15, 2021, 9:30 AM IST

Updated : Jun 15, 2021, 12:37 PM IST

जयपुर : राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (Rajyavardhan Singh Rathore) ओलंपिक पदक विजेता (Olympic medalist) भी रहे हैं और उन्हें राजनीति का भी अब अच्छा अनुभव है. वो पिछली मोदी सरकार में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री और खेल एवं युवा मामलों के कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. चूंकि राठौड़ राजस्थान से हैं, इसलिए राजस्थान की राजनीति (Rajasthan Politics) पर भी उनसे खुलकर बात हुई. पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल- कोरोना महामारी की दूसरी लहर (second wave of corona pandemic) को लेकर खूब सियासत हुई. विदेशों को कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) भेजने के केंद्र सरकार के फैसले पर विपक्ष ने सवाल भी उठाए. क्या आपको नहीं लगता कि सरकार ने जल्दबाजी में कदम उठाया ?

जवाब- कोरोना की पहली लहर के समय में ही जब विश्व के विकसित देशों के पास इस महमारी का स्थाई इलाज नहीं था, उस परिस्थिति में भी भारत जैसे विकासशील देश ने बेहतर प्रबंधन का परिचय दिया. उदाहरण के लिए कोविड-19 के पहले पीपीई किट का उत्पादन बेहद सीमित मात्रा में होता था. कोरोना महामारी की पहली लहर से सबक लेते हुए वेंटिलेटर का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ. हम यहीं नहीं रूके, विकसित देशों की तरह एक कदम आगे जाकर हमने वैक्सीन भी बना ली. चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए देश ने जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन कई गुना बढ़ा लिया. कोरोना की दूसरी लहर में जान गंवाने वालों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है, फिर भी मैं कहना चाहूंगा कि विश्व के कई देशों की तुलना में आबादी के लिहाज से देश में मृत्यु दर कम है.

कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ Exclusive Interview, Part-1

सवाल- कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों की बात की जाए तो जैसे न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक खबर प्रकाशित की, जिसमें मौत के आंकड़ों पर सवाल उठाए गए. बिहार में हाल ही में कोरोना से हुई मौतों की संख्या बढ़ गई. यह तर्क दिया गया कि आंकड़ों को अंतिम रूप देने में देरी हो गई, तो क्या ये माना जाए कि अब जो मौत के आंकड़े हैं, वो फाइनल हैं?

जवाब- कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को फिर से सत्यापित करने की जरूरत भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में भी है. राजस्थान सरकार आंकड़ों को कम करके बता रही थी. राज्य के अधिकारी ने ही कहा कि हम तो अस्पतालों में कोरोना से हुई मौतों की संख्या को ही अपने रिकॉर्ड में रख रहे हैं. जिनकी मौत घर में हुई, उनके आंकड़े हमारे पास नहीं हैं.

पढ़ें- 'चिराग' तले 'बगावत' का अंधेरा, भतीजे की कुर्सी पर अब चाचा का 'बसेरा'
सवाल- राजस्थान में तो कांग्रेस सत्ता में है, तो क्या ये माना जाया कि जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकार है और केंद्र सरकार ने भी मौतों के आंकड़ों को कम करके बताया है?

जवाब- देखिए स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास में हमने काफी प्रगति की है. जहां देश में मास्क का बेहद कम उत्पादन होता था, वहां बेहद कम समय में देश में कोविड वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन निर्माण की दिशा में भविष्य की स्थिति को समझ लिया था. समय रहते सार्थक प्रयास करने से आज वैक्सीन के मामले में हम आत्मनिर्भर हैं. हमने ऐसी वैक्सीन बनाई, जिसका उपयोग विश्व के 80 देशों में हो रहा है.

सवाल- देश में वैक्सीन के उत्पादन के शुरुआती महीनों में अन्य देशों को छह करोड़ से ज्यादा वैक्सीन के डोज भेज देना क्या उचित कदम था? क्योंकि दूसरी लहर में काफी ज्यादा मौतें हुईं और इस वजह से विपक्ष ने सरकार की काफी आलोचना भी की.

जवाब- हमें समझना होगा कि वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया काफी महत्वपूर्ण होती है. इसमें उपयोग होने वाले रॉ मटेरियल का आयात अन्य देशों से किया जाता है. ऐसे में जिन देशों से रॉ मटेरियल का आयात होता है, उनकी कुछ शर्तें होती हैं. इनमें बेहद महत्वपूर्ण ये होता है कि रॉ मटेरियल के एवज में इन देशों को वैक्सीन देनी होती है. वैश्विक स्तर पर इस तय संख्या के लिहाज से दूसरे राष्ट्रों को वैक्सीन की डोज भेजना जरूरी होता है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में जब स्थिति भयावह हुई, तो केंद्र सरकार ने समय रहते उचित कदम उठाया और वैश्विक स्तर पर एक आम सहमति बनाते हुए वैक्सीन के निर्यात को रोक दिया.

कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ Exclusive Interview, Part-2

सवाल- कोरोना की दूसरी लहर के चलते राजस्थान में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) की कमी से हुई मौतों पर राज्य सरकार ने स्थानीय भाजपा सांसदों पर मदद न करने और केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया. गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने कोविड से हुई मौतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया, तो इन आरोपों पर आपका क्या कहना है?

जवाब- यह स्थिति बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोरोना संकट के समय में सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटते हुए सूबे के भाजपा सांसदों को ​जिम्मेदार बताया. राजस्थान सरकार के सभी आरोप बेहद तथ्यहीन हैं, क्योंकि सांसदों ने समय रहते अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाया. केंद्र सरकार की ओर से कई बार आगाह करने के बाद भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अपनी सत्ता को बचाने के लिए सियासी संकट को संभालने में लगे रहे. कोरोना की दूसरी लहर के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर फंड से राजस्थान के लिए चार ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) लगाने के लिए पैसे दिए, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया. राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार की हर मदद और सुझाव को नजरअंदाज किया.

पढ़ें- महाराष्ट्र : मुख्यमंत्री पद व लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस-शिवसेना के अलग सुर

सवाल- सचिन पायलट को लेकर आपका क्या मानना है...क्या वो भाजपा में आ रहे हैं? पिछली बार के घटनाक्रम को सब जानते ही हैं, उसके बाद भी कांग्रेस के दोनों खेमों (मतलब गहलोत और सचिन) के बीच बयानबाजी सामने आती रहती है और फोन टैपिंग वाला मामला लेटेस्ट है. क्या रणनीति है भाजपा की?

जवाब- कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व कमजोर है, तो ऐसे में सभी पार्टी में अनुशासनहीनता जबरदस्त है. ​इसका उदाहरण पंजाब सहित अन्य राज्यों में देखा जा सकता है कि सत्ता और कांग्रेस पार्टी के संगठन में रार मची हुई है. कांग्रेस इस समय कमजोर है, तो विपक्ष जरूर लाभ लेगा.

सवाल- गहलोत सरकार जब सत्ता में आई थी तब उसे पूर्ण बहुमत नहीं था, लेकिन अब बीएसपी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेने के बाद वो बाहरी तौर से तो मजबूत दिख रही है, लेकिन उसके अपने ही विधायक पार्टी से रूठ गए. अब मंत्रिमंडल विस्तार की बातें सामने आ रही हैं. शायद ऐसे ही विधायकों को संतुष्ट करने के लिए...भाजपा इन सबका क्या फायदा उठा पा रही है? आपके लोग कहते तो रहते हैं कि गहलोत सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी.

जवाब- आपातकाल से लेकर राज्यों में सबसे ज्यादा राष्ट्रपति शासन लगाने का कार्य कांग्रेस पार्टी ने ही किया है. साफ शब्दों में कहें तो सरकारों को अस्थिर करने और गिराने का कार्य करने वालों की यूनिवर्सिटी कांग्रेस ही है. भाजपा को जनता के फैसले पर विश्वास है, जो समय आने पर ऐसी पार्टियों को आइना दिखाए. राजस्थान में जनहित की अनदेखी हो रही है, जो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. समय आने पर लोकतांत्रिक तरीके से इसका जवाब दिया जाएगा. कांग्रेस में इस समय अस्थिरता का माहौल है, तो भाजपा उसे समेटने और संभालने का काम नहीं करेगी.

पढ़ें-जीएसटी परिषद में बहुमतवाद का बोलबाला दुर्भाग्यपूर्ण : पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री

सवाल- आप कांग्रेस के कुनबे में कलह का आरोप लगाते रहते हैं, पर आपके यहां भी सब ठीक नहीं है. वसुंधरा को पार्टी साइडलाइन करके रखना तो चाहती है, लेकिन इसका खामियाजा आपने हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में भुगता है. क्या तोड़ है आपके पास इस गुटबाजी से बाहर निकलने के लिए? वसुंधरा को लेकर आखिर पार्टी करना क्या चाह रही है?

जवाब- कांग्रेस को खुद के अंदर झांकने की जरूरत है. भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है, कांग्रेस की तरह एक परिवार की पार्टी नहीं है. भाजपा पूरी तरह से मजबूत है, जिसके अंदर कलह मची हुई है, वो अपने आपको संभाले.

सवाल- हाल ही में जयपुर की महापौर सौम्या गुर्जर के पति और संघ के एक बड़े पदाधिकारी के भ्रष्टाचार में लिप्त होने का दावा करने वाला वीडियो वायरल हुआ था. आपका भी इस पर बयान आया था, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में जांच की बात कही है. आपकी पार्टी इस पर क्या स्टैंड ले रही है ? हमने तो ऐसा पहली बार ही सुना है कि जयपुर जैसे किसी शहर का महापौर निलंबित चल रहा हो और उसी महापौर के पति का रिश्वत की बात करते हुए वीडियो वायरल हो रहा हो.

पढ़ें-कैबिनेट विस्तार की सुगबुगाहट, सिंधिया-अनुप्रिया हो सकते हैं शामिल, और भी हैं कई चेहरे

जवाब- वीडियो को जिस तरह से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और उसकी टाइमिंग संदेह के घेरे में है. इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए. घोटालों का दूसरा नाम बन चुकी कांग्रेस पार्टी ये आरोप लगा रही है. राजनीतिक द्वेष से ये आरोप लगाया गया है. इस मामले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ Exclusive Interview, Part-4

सवाल- कोरोना के चलते आम लोगों का बजट पहले से ही गड़बड़ाया हुआ है, लेकिन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने तो आम आदमी की हालत बद से बदतर कर दी है. लॉकडाउन लगते ही केन्द्र सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाना शुरू कर देती है. पिछले एक साल में पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जो जारी है. ऐसे में सवाल है कि आखिर कब रुकेगा ये सिलसिला?

जवाब- पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में वृद्धि के मामले को राजनीतिक रंग देकर कांग्रेस पार्टी ढोंग कर रही है. राजस्थान सरकार को अगर सच में जनता की चिंता है, तो उसे अपना वैट टैक्स कम कर देना चाहिए. जहां तक बात केंद्र सरकार की है, तो देश के विकास और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कुछ कदम जरूरी होते हैं, जिससे देश में विदेशी निवेश आता है और देशवासियों का विकास होता है.

सवाल- आप सूचना प्रसारण मंत्रालय में तीन साल राज्य मंत्री रहे हैं. यह मंत्रालय हम मतलब मीडिया के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. आप उन आरोपों पर क्या कहेंगे जिसमें कहा जाता है कि मोदी सरकार मीडिया का लगातार गला दबा रही है. न्यूज चैनलों, अखबारों और डिजिटल मीडिया को सरकार अपने हिसाब से चलाना चाहती है. वर्ना उन्हें अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा जाता है. इसी वजह से कई चैनलों पर आज सरकारी तोता बन जाने के आरोप लग रहे हैं...इस पर क्या कहेंगे आप?

जवाब- जनता और मीडिया को देश के अब तक के इतिहास में इस समय सबसे ज्यादा आजादी है. मीडिया पर आपातकाल लगाने वाली पार्टी कांग्रेस, मीडिया पर सबसे ज्यादा दबाव अपने शासनकाल में बनाती रही है. सबको खुली छूट है. सोशल मीडिया (Social Media) पर आइटी एक्ट आसान बनाया गया है. ये झूठा आरोप लगाने वाले चंद लोग हैं और जनता को भ्रमित कर रहे हैं.

जयपुर : राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (Rajyavardhan Singh Rathore) ओलंपिक पदक विजेता (Olympic medalist) भी रहे हैं और उन्हें राजनीति का भी अब अच्छा अनुभव है. वो पिछली मोदी सरकार में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री और खेल एवं युवा मामलों के कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. चूंकि राठौड़ राजस्थान से हैं, इसलिए राजस्थान की राजनीति (Rajasthan Politics) पर भी उनसे खुलकर बात हुई. पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल- कोरोना महामारी की दूसरी लहर (second wave of corona pandemic) को लेकर खूब सियासत हुई. विदेशों को कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) भेजने के केंद्र सरकार के फैसले पर विपक्ष ने सवाल भी उठाए. क्या आपको नहीं लगता कि सरकार ने जल्दबाजी में कदम उठाया ?

जवाब- कोरोना की पहली लहर के समय में ही जब विश्व के विकसित देशों के पास इस महमारी का स्थाई इलाज नहीं था, उस परिस्थिति में भी भारत जैसे विकासशील देश ने बेहतर प्रबंधन का परिचय दिया. उदाहरण के लिए कोविड-19 के पहले पीपीई किट का उत्पादन बेहद सीमित मात्रा में होता था. कोरोना महामारी की पहली लहर से सबक लेते हुए वेंटिलेटर का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ. हम यहीं नहीं रूके, विकसित देशों की तरह एक कदम आगे जाकर हमने वैक्सीन भी बना ली. चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए देश ने जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन कई गुना बढ़ा लिया. कोरोना की दूसरी लहर में जान गंवाने वालों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है, फिर भी मैं कहना चाहूंगा कि विश्व के कई देशों की तुलना में आबादी के लिहाज से देश में मृत्यु दर कम है.

कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ Exclusive Interview, Part-1

सवाल- कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों की बात की जाए तो जैसे न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक खबर प्रकाशित की, जिसमें मौत के आंकड़ों पर सवाल उठाए गए. बिहार में हाल ही में कोरोना से हुई मौतों की संख्या बढ़ गई. यह तर्क दिया गया कि आंकड़ों को अंतिम रूप देने में देरी हो गई, तो क्या ये माना जाए कि अब जो मौत के आंकड़े हैं, वो फाइनल हैं?

जवाब- कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को फिर से सत्यापित करने की जरूरत भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में भी है. राजस्थान सरकार आंकड़ों को कम करके बता रही थी. राज्य के अधिकारी ने ही कहा कि हम तो अस्पतालों में कोरोना से हुई मौतों की संख्या को ही अपने रिकॉर्ड में रख रहे हैं. जिनकी मौत घर में हुई, उनके आंकड़े हमारे पास नहीं हैं.

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सवाल- राजस्थान में तो कांग्रेस सत्ता में है, तो क्या ये माना जाया कि जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकार है और केंद्र सरकार ने भी मौतों के आंकड़ों को कम करके बताया है?

जवाब- देखिए स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास में हमने काफी प्रगति की है. जहां देश में मास्क का बेहद कम उत्पादन होता था, वहां बेहद कम समय में देश में कोविड वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन निर्माण की दिशा में भविष्य की स्थिति को समझ लिया था. समय रहते सार्थक प्रयास करने से आज वैक्सीन के मामले में हम आत्मनिर्भर हैं. हमने ऐसी वैक्सीन बनाई, जिसका उपयोग विश्व के 80 देशों में हो रहा है.

सवाल- देश में वैक्सीन के उत्पादन के शुरुआती महीनों में अन्य देशों को छह करोड़ से ज्यादा वैक्सीन के डोज भेज देना क्या उचित कदम था? क्योंकि दूसरी लहर में काफी ज्यादा मौतें हुईं और इस वजह से विपक्ष ने सरकार की काफी आलोचना भी की.

जवाब- हमें समझना होगा कि वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया काफी महत्वपूर्ण होती है. इसमें उपयोग होने वाले रॉ मटेरियल का आयात अन्य देशों से किया जाता है. ऐसे में जिन देशों से रॉ मटेरियल का आयात होता है, उनकी कुछ शर्तें होती हैं. इनमें बेहद महत्वपूर्ण ये होता है कि रॉ मटेरियल के एवज में इन देशों को वैक्सीन देनी होती है. वैश्विक स्तर पर इस तय संख्या के लिहाज से दूसरे राष्ट्रों को वैक्सीन की डोज भेजना जरूरी होता है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में जब स्थिति भयावह हुई, तो केंद्र सरकार ने समय रहते उचित कदम उठाया और वैश्विक स्तर पर एक आम सहमति बनाते हुए वैक्सीन के निर्यात को रोक दिया.

कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ Exclusive Interview, Part-2

सवाल- कोरोना की दूसरी लहर के चलते राजस्थान में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) की कमी से हुई मौतों पर राज्य सरकार ने स्थानीय भाजपा सांसदों पर मदद न करने और केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया. गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने कोविड से हुई मौतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया, तो इन आरोपों पर आपका क्या कहना है?

जवाब- यह स्थिति बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोरोना संकट के समय में सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटते हुए सूबे के भाजपा सांसदों को ​जिम्मेदार बताया. राजस्थान सरकार के सभी आरोप बेहद तथ्यहीन हैं, क्योंकि सांसदों ने समय रहते अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाया. केंद्र सरकार की ओर से कई बार आगाह करने के बाद भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अपनी सत्ता को बचाने के लिए सियासी संकट को संभालने में लगे रहे. कोरोना की दूसरी लहर के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर फंड से राजस्थान के लिए चार ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) लगाने के लिए पैसे दिए, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया. राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार की हर मदद और सुझाव को नजरअंदाज किया.

पढ़ें- महाराष्ट्र : मुख्यमंत्री पद व लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस-शिवसेना के अलग सुर

सवाल- सचिन पायलट को लेकर आपका क्या मानना है...क्या वो भाजपा में आ रहे हैं? पिछली बार के घटनाक्रम को सब जानते ही हैं, उसके बाद भी कांग्रेस के दोनों खेमों (मतलब गहलोत और सचिन) के बीच बयानबाजी सामने आती रहती है और फोन टैपिंग वाला मामला लेटेस्ट है. क्या रणनीति है भाजपा की?

जवाब- कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व कमजोर है, तो ऐसे में सभी पार्टी में अनुशासनहीनता जबरदस्त है. ​इसका उदाहरण पंजाब सहित अन्य राज्यों में देखा जा सकता है कि सत्ता और कांग्रेस पार्टी के संगठन में रार मची हुई है. कांग्रेस इस समय कमजोर है, तो विपक्ष जरूर लाभ लेगा.

सवाल- गहलोत सरकार जब सत्ता में आई थी तब उसे पूर्ण बहुमत नहीं था, लेकिन अब बीएसपी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेने के बाद वो बाहरी तौर से तो मजबूत दिख रही है, लेकिन उसके अपने ही विधायक पार्टी से रूठ गए. अब मंत्रिमंडल विस्तार की बातें सामने आ रही हैं. शायद ऐसे ही विधायकों को संतुष्ट करने के लिए...भाजपा इन सबका क्या फायदा उठा पा रही है? आपके लोग कहते तो रहते हैं कि गहलोत सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी.

जवाब- आपातकाल से लेकर राज्यों में सबसे ज्यादा राष्ट्रपति शासन लगाने का कार्य कांग्रेस पार्टी ने ही किया है. साफ शब्दों में कहें तो सरकारों को अस्थिर करने और गिराने का कार्य करने वालों की यूनिवर्सिटी कांग्रेस ही है. भाजपा को जनता के फैसले पर विश्वास है, जो समय आने पर ऐसी पार्टियों को आइना दिखाए. राजस्थान में जनहित की अनदेखी हो रही है, जो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. समय आने पर लोकतांत्रिक तरीके से इसका जवाब दिया जाएगा. कांग्रेस में इस समय अस्थिरता का माहौल है, तो भाजपा उसे समेटने और संभालने का काम नहीं करेगी.

पढ़ें-जीएसटी परिषद में बहुमतवाद का बोलबाला दुर्भाग्यपूर्ण : पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री

सवाल- आप कांग्रेस के कुनबे में कलह का आरोप लगाते रहते हैं, पर आपके यहां भी सब ठीक नहीं है. वसुंधरा को पार्टी साइडलाइन करके रखना तो चाहती है, लेकिन इसका खामियाजा आपने हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में भुगता है. क्या तोड़ है आपके पास इस गुटबाजी से बाहर निकलने के लिए? वसुंधरा को लेकर आखिर पार्टी करना क्या चाह रही है?

जवाब- कांग्रेस को खुद के अंदर झांकने की जरूरत है. भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है, कांग्रेस की तरह एक परिवार की पार्टी नहीं है. भाजपा पूरी तरह से मजबूत है, जिसके अंदर कलह मची हुई है, वो अपने आपको संभाले.

सवाल- हाल ही में जयपुर की महापौर सौम्या गुर्जर के पति और संघ के एक बड़े पदाधिकारी के भ्रष्टाचार में लिप्त होने का दावा करने वाला वीडियो वायरल हुआ था. आपका भी इस पर बयान आया था, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में जांच की बात कही है. आपकी पार्टी इस पर क्या स्टैंड ले रही है ? हमने तो ऐसा पहली बार ही सुना है कि जयपुर जैसे किसी शहर का महापौर निलंबित चल रहा हो और उसी महापौर के पति का रिश्वत की बात करते हुए वीडियो वायरल हो रहा हो.

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जवाब- वीडियो को जिस तरह से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और उसकी टाइमिंग संदेह के घेरे में है. इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए. घोटालों का दूसरा नाम बन चुकी कांग्रेस पार्टी ये आरोप लगा रही है. राजनीतिक द्वेष से ये आरोप लगाया गया है. इस मामले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ Exclusive Interview, Part-4

सवाल- कोरोना के चलते आम लोगों का बजट पहले से ही गड़बड़ाया हुआ है, लेकिन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने तो आम आदमी की हालत बद से बदतर कर दी है. लॉकडाउन लगते ही केन्द्र सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाना शुरू कर देती है. पिछले एक साल में पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जो जारी है. ऐसे में सवाल है कि आखिर कब रुकेगा ये सिलसिला?

जवाब- पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में वृद्धि के मामले को राजनीतिक रंग देकर कांग्रेस पार्टी ढोंग कर रही है. राजस्थान सरकार को अगर सच में जनता की चिंता है, तो उसे अपना वैट टैक्स कम कर देना चाहिए. जहां तक बात केंद्र सरकार की है, तो देश के विकास और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कुछ कदम जरूरी होते हैं, जिससे देश में विदेशी निवेश आता है और देशवासियों का विकास होता है.

सवाल- आप सूचना प्रसारण मंत्रालय में तीन साल राज्य मंत्री रहे हैं. यह मंत्रालय हम मतलब मीडिया के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. आप उन आरोपों पर क्या कहेंगे जिसमें कहा जाता है कि मोदी सरकार मीडिया का लगातार गला दबा रही है. न्यूज चैनलों, अखबारों और डिजिटल मीडिया को सरकार अपने हिसाब से चलाना चाहती है. वर्ना उन्हें अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा जाता है. इसी वजह से कई चैनलों पर आज सरकारी तोता बन जाने के आरोप लग रहे हैं...इस पर क्या कहेंगे आप?

जवाब- जनता और मीडिया को देश के अब तक के इतिहास में इस समय सबसे ज्यादा आजादी है. मीडिया पर आपातकाल लगाने वाली पार्टी कांग्रेस, मीडिया पर सबसे ज्यादा दबाव अपने शासनकाल में बनाती रही है. सबको खुली छूट है. सोशल मीडिया (Social Media) पर आइटी एक्ट आसान बनाया गया है. ये झूठा आरोप लगाने वाले चंद लोग हैं और जनता को भ्रमित कर रहे हैं.

Last Updated : Jun 15, 2021, 12:37 PM IST
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