जबलपुर। नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. जिससे बने प्राणियों में सबसे महत्वपूर्ण वन्य प्राणी बिग कैट्स की प्रेगनेंसी का पता एक किट के जरिए लगाया जा सकेगा. भारत सरकार के वन्य प्राणी विभाग द्वारा यह प्रोजेक्ट वेटरनरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को दिया गया था. वैज्ञानिक इस शोध को पेटेंट करवाने की तैयारी कर रहे हैं.
प्रेगनेंसी टेस्ट किट बना रहे साइंटिस्ट: जबलपुर के नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के सीनियर साइंटिस्ट डॉ आदित्य मिश्रा अपनी टीम के साथ एक ऐसे अनुसंधान में लगे हुए हैं. जो मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे भारत में बिग कैट्स की संख्या को बढ़ाने में मददगार साबित होगा. डॉ आदित्य मिश्रा वन्य प्राणियों में खास तौर पर शेर, बाघ, तेंदुआ और चीता जैसे जानवरों के प्रेगनेंसी टेस्ट की किट बना रहे हैं. डॉक्टर आदित्य मिश्रा का कहना है कि "उन्होंने इस मामले में बहुत कुछ सफलता हासिल कर भी ली है. उनकी बनाई किट के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि Big Cats प्रजाति का कोई भी जानवर प्रेग्नेंट है या नहीं है.
सैंपल कलेक्ट करना चुनौती: सरकार ने जब यह प्रोजेक्ट नानाजी देशमुख वेटरनरी यूनिवर्सिटी को दिया, तो सबसे बड़ी चुनौती डॉक्टर आदित्य मिश्रा के सामने यह थी कि आखिर उन्हें बाघ तेंदुआ शेर जैसे मादा जानवर कहां मिलेंगे. इसके लिए मध्य प्रदेश के भोपाल के वन विहार और रीवा की मुकुंदपुर सेंचुरी का चयन किया गया, क्योंकि यहां पर वन्य प्राणी संरक्षण में रहते हैं. प्रेगनेंसी का टेस्ट वन्य प्राणियों के मल और मूत्र से ही किया जा सकता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है की प्रेगनेंसी के दौरान मादा प्राणी के मल और मूत्र में हार्मोन का परिवर्तन हो जाता है. इसके लिए रीवा और भोपाल के वन्य बिहार में सैंपल कलेक्ट किए गए और उन्हें -20 डिग्री पर प्रिजर्व किया गया. इसके बाद इसका अध्ययन शुरू हुआ. डॉ आदित्य मिश्रा के सामने चुनौती थी कि आखिर में कौन से हार्मोन हैं, जो मां बाघिन के शरीर में प्रेगनेंसी के दौरान पाए जाएंगे.
मानव प्रजाति से विपरीत व्यवहार: डॉ आदित्य मिश्रा को अध्ययन के दौरान पता लगा कि बिल्लियां आदमियों से पूरी तरह से विपरीत व्यवहार करती हैं. सामान्य तौर पर मानव प्रजाति में जो हार्मोन प्रेगनेंसी के दौरान मानव शरीर में पाए जाते हैं. एक मादा बाघिन के शरीर में प्रेगनेंसी में वह हार्मोन कम पाए जाते हैं. वहीं दूसरी तरफ मानव प्रजाति में जो हार्मोन डिलीवरी के दौरान जो हार्मोन बड़े हुए होते हैं. वह एक मादा बाघिन के शरीर में प्रेगनेंसी के दौरान बड़े हुए मिलते हैं. वहीं दूसरी तरफ बिल्लियों में PSEOD प्रेगनेंसी भी बहुत ज्यादा होती है और 25 में 26 में दिन अचानक से उनके शरीर में हार्मोन का स्तर कम या ज्यादा हो जाता है. इसलिए उनके अध्ययन के लिए किट बनाना बहुत बारीकी का काम है.
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बिग कैट्स की प्रेगनेंसी: बाघ शेर तेंदुआ लेपर्ड जैसे बिग कैट की प्रेगनेंसी 110 से 120 दिन की होती है. इसमें पहले 25 दिन महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन इन 25 दिनों में यदि PSEOD प्रेगनेंसी होती है तो अचानक से हार्मोन का स्तर बदल जाता है और प्रेगनेंसी कंफर्म नहीं होती, इसलिए वैज्ञानिकों को मल और मूत्र का अध्ययन 25 दिनों के बाद का करना होता है. वहीं दूसरी तरफ जो किट बनाई जा रही है. उसमें भी हार्मोन को नैनो पार्टिकल तक जांचा गया है. तब जाकर वैज्ञानिक इस शोध की बारीक से जानकारी प्राप्त कर पाए हैं और अब सटीकता से दावा करते हैं कि उन्होंने जो शोध विकसित की है, वह एकदम सही रिजल्ट देगी.
वन विभाग को सौंप जाएगी किट: इस प्रेगनेंसी किट के बन जाने के बाद वैज्ञानिक इसे वन विभाग को सौंप देंगे. वन विभाग इसका प्रशिक्षण अपने कर्मचारियों को देगा. इसके बाद इसका इस्तेमाल शुरू किया जाएगा. विश्वविद्यालय की कुलपति डॉक्टर सीपी तिवारी का कहना है कि "इसके इस्तेमाल से बने प्राणियों के प्रेगनेंसी का पता लगने के बाद उनका विशेष ख्याल रखा जा सकता है. उनके खाने-पीने का इंतजाम, जिस तरीके से समाज में मानव प्रजाति की गर्भवती महिलाओं के भजन और पोषण का ध्यान रखा जाता है. उसी तरीके से वन्य प्राणियों की मां गर्भवती जानवरों का ध्यान रखा जा सकता है. इससे स्वस्थ बच्चों के पैदा होने की संभावना बढ़ जाएगी. इस तरीके से लुप्त होती प्रजातियों को बचाया जा सकेगा और मौजूदा जानवरों के सामने लुप्त होने का खतरा नहीं रहेगा. यह प्रोजेक्ट भारत सरकार के वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट ने जबलपुर के नाना जी देशमुख वेटरनरी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को दिया था, फिलहाल इस प्रक्रिया को पेटेंट करवाने की तैयारी की जा रही है. इसलिए इस प्रक्रिया से जुड़े कुछ वैज्ञानिक तथ्य शोध में लगे.