जबलपुर। जिला न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश अभिषेक सक्सेना ने एक आरोपी को 110 साल की सजा सुनाई है. आरोपी का नाम पुरुषोत्तम पासी है. वह जबलपुर के बिलहरी इलाके का रहने वाला है. उस पर फर्जी तरीके से हाईकोर्ट में नौकरी लगाने का आरोप सिद्ध हुआ है. बता दें कि बेरोजगारों के साथ आए दिन नौकरी के नाम पर ठगी की घटनाएं घटती हैं. लेकिन सामान्य तौर पर ऐसे मामलों में कोई भी ठग कोर्ट में नौकरी लगाने का झांसा नहीं देता, क्योंकि ऐसे मामलों में फंसने की पूरी संभावना होती है.
15 लोगों को नौकरी के नाम पर ठगा : मामले के अनुसार जबलपुर के बिलहरी में रहने वाले पुरुषोत्तम पासी ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में नौकरी लगवाने का झांसा देकर लोगों को ठगा. लोगों को पता चला कि पुरुषोत्तम पासी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अलग-अलग पोस्ट पर नौकरी लगवा रहा है. 15 लोगों ने पुरुषोत्तम पासी को नौकरी लगवाने के नाम पर लाखों रुपया दिए. जब पुरुषोत्तम को पैसा मिल गया तो उसने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की फर्जी सील बनाकर सभी को नियुक्ति पत्र दे दिया. लेकिन जैसे ही ये लोग नियुक्ति पत्र लेकर हाईकोर्ट पहुंचे तो मामले का खुलासा हो गया. पता चला कि हाईकोर्ट ने तो इस तरह के नियुक्ति पत्र किसी को दिए ही नहीं.
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इस प्रकार मिली सजा : पीड़ित लोगों को इस बात का अंदाजा हो गया कि उनके साथ ठगी हुई है. इसके बाद जबलपुर पुलिस को शिकायत की गई. पुलिस ने पुरुषोत्तम पासी को गिरफ्तार किया और मामला जिला अदालत में पहुंचाया, जहां अपर सत्र न्यायाधीश अभिषेक सक्सेना ने पुरुषोत्तम पासी को अनोखी सजा सुना दी. इस मामले में जस्टिस अभिषेक सक्सेना ने पुरुषोत्तम पासी को धारा 420 के तहत 15 लोगों से ठगी के मामले में 5 साल की सजा यानी कुल मिलाकर 75 साल की सजा सुनाई. वहीं पुरुषोत्तम के खिलाफ फर्जी सील बनवाना फर्जी दस्तावेज तैयार करना का अपराधी सिद्ध हुआ है. इसके तहत उसे 35 साल की सजा दी है. पूरी सजा को जोड़कर यदि देखा जाए तो यह सजा लगभग 110 साल की हो जाती है.