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बर्फीले मौसम में भी चीन सीमा पर डटे हैं जवान, BRO लिपुलेख सड़क खोलने में जुटा - भारी बर्फबारी

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते चीन बॉर्डर लिपुलेख से कालापानी तक का इलाका 4 से 6 फीट बर्फ से ढक गया है. इस मार्ग को खोलने का जिम्मा बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के पास है. लिपुलेख बॉर्डर से कालापानी तक जगह-जगह बीआरओ के कर्मचारी मार्ग को खोलने में जुटे हुए हैं.

बर्फीले मौसम में भी चीन सीमा पर डटे हैं जवान
बर्फीले मौसम में भी चीन सीमा पर डटे हैं जवान
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Published : Jan 12, 2021, 6:09 PM IST

पिथौरागढ़ : उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते लिपुलेख बॉर्डर से कालापानी तक का इलाका कई फीट बर्फ में दब गया है. चीन और नेपाल से सटा ये अतिसंवेदनशील इलाका सामरिक नजरिए से काफी अहम है. 18 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस इलाके में इस बार सेना, आईटीबीपी और एसएसबी के जवान सर्दियों में भी तैनात हैं.

बर्फ के सितम के बीच जवान पूरी मुस्तैदी से दुश्मन पर नजर रखे हुए हैं. बीआरओ स्नोकटर और जेसीबी मशीन से बंद पड़े रास्तों को खोलने में जुटा है. ताकि जवान बॉर्डर की निगहबानी कर सकें. इस बार भारी बर्फबारी से इस इलाके के लोगों को भी दिक्कतें उठानी पड़ रही है.

चीन सीमा पर डटे हैं जवान

पढ़ें : बर्फ की चादर में लिपटा 'जन्नत', तस्वीरों में देखें यह शानदार नजारा

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते चीन बॉर्डर लिपुलेख से कालापानी तक का इलाका 4 से 6 फीट बर्फ से ढक गया है. इस मार्ग को खोलने का जिम्मा बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के पास है. लिपुलेख बॉर्डर से कालापानी तक जगह-जगह बीआरओ के कर्मचारी मार्ग को खोलने में जुटे हुए हैं. वहीं, सीमा पर तैनात जवान विषम परिस्थितियों में भी हर चुनौती का डटकर मुकाबला करने को तैयार हैं.

बता दें कि लिपुलेख तक सड़क जुड़ने से इस बार व्यास घाटी के गांवों में शीतकाल में भी चहल-पहल बनी हुई है. व्यास घाटी के कुटी गांव को छोड़कर बुंदी, गर्ब्यांग, नपलच्यू, गुंजी, नाबी और रोंकांग में भारी बर्फबारी के बाद आम जनजीवन पटरी से उतर गया है. जबकि विद्युत और पेयजल व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो गई है. जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि लिपुलेख बॉर्डर को जोड़ने वाली सड़क को खोलने के लिए बीआरओ के कर्मचारी लगातार प्रयास में जुटे हुए हैं.

पिथौरागढ़ : उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते लिपुलेख बॉर्डर से कालापानी तक का इलाका कई फीट बर्फ में दब गया है. चीन और नेपाल से सटा ये अतिसंवेदनशील इलाका सामरिक नजरिए से काफी अहम है. 18 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस इलाके में इस बार सेना, आईटीबीपी और एसएसबी के जवान सर्दियों में भी तैनात हैं.

बर्फ के सितम के बीच जवान पूरी मुस्तैदी से दुश्मन पर नजर रखे हुए हैं. बीआरओ स्नोकटर और जेसीबी मशीन से बंद पड़े रास्तों को खोलने में जुटा है. ताकि जवान बॉर्डर की निगहबानी कर सकें. इस बार भारी बर्फबारी से इस इलाके के लोगों को भी दिक्कतें उठानी पड़ रही है.

चीन सीमा पर डटे हैं जवान

पढ़ें : बर्फ की चादर में लिपटा 'जन्नत', तस्वीरों में देखें यह शानदार नजारा

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते चीन बॉर्डर लिपुलेख से कालापानी तक का इलाका 4 से 6 फीट बर्फ से ढक गया है. इस मार्ग को खोलने का जिम्मा बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के पास है. लिपुलेख बॉर्डर से कालापानी तक जगह-जगह बीआरओ के कर्मचारी मार्ग को खोलने में जुटे हुए हैं. वहीं, सीमा पर तैनात जवान विषम परिस्थितियों में भी हर चुनौती का डटकर मुकाबला करने को तैयार हैं.

बता दें कि लिपुलेख तक सड़क जुड़ने से इस बार व्यास घाटी के गांवों में शीतकाल में भी चहल-पहल बनी हुई है. व्यास घाटी के कुटी गांव को छोड़कर बुंदी, गर्ब्यांग, नपलच्यू, गुंजी, नाबी और रोंकांग में भारी बर्फबारी के बाद आम जनजीवन पटरी से उतर गया है. जबकि विद्युत और पेयजल व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो गई है. जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि लिपुलेख बॉर्डर को जोड़ने वाली सड़क को खोलने के लिए बीआरओ के कर्मचारी लगातार प्रयास में जुटे हुए हैं.

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