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IVF से जन्मे बच्चे के जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए पिता की जानकारी मांगना अनुचित : अदालत

केरल उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि आईवीएफ जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों से अकेली महिला के गर्भधारण को मान्यता दी गई है. ऐसे में इन पद्धति से जन्मे बच्चों के जन्म-मृत्यु पंजीकरण में पिता की जानकारी मांगना निश्चित तौर पर मां के साथ-साथ उस बच्चे के सम्मान के अधिकार को भी प्रभावित करता है.

Bhasha
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Published : Aug 16, 2021, 5:27 PM IST

Updated : Aug 16, 2021, 7:51 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य को आईवीएफ प्रक्रिया से जन्मे बच्चों के जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के लिए उचित फार्म मुहैया कराना चाहिए. उच्च न्यायालय ने फैसले में कहा कि एकल अभिभावक या एआरटी से मां बनी अविवाहित महिला के अधिकार को स्वीकार किया गया है, ऐसे में पिता के नाम के उल्लेख की जरूरत, जिसे गुप्त रखा जाना चाहिए, उसकी निजता, स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है.

यह फैसला अदालत ने एक तलाकशुदा महिला की याचिका पर सुनाया जिन्होंने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया से गर्भधारण किया था और केरल जन्म-मृत्यु पंजीकरण नियमावली 1970 में पिता की जानकारी देने संबंधी नियम को चुनौती दी थी.

महिला ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि पिता के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि शुक्राणु दानकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है और यहां तक उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं दी गई है. इसके अलावा पिता की जानकारी देने की जरूरत उनकी निजता, स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है.

महिला ने पिता के नाम का कॉलम खाली रखकर प्रमाण पत्र जारी करने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि यह भी उनके सम्मान, निजता और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है.

यह भी पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार काे दिए और चार सप्ताह, जानें क्या है मामला

अदालत ने महिला के दावे को स्वीकार करते हुए कहा कि एकल महिला द्वारा एआरटी प्रक्रिया से गर्भधारण करने को देश भर में स्वीकार किया गया है और शुक्राणु दान करने वाले की पहचान विशेष परिस्थितियों में और कानूनी रूप से जरूरी नहीं होने तक जाहिर नहीं की जा सकती.

(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य को आईवीएफ प्रक्रिया से जन्मे बच्चों के जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के लिए उचित फार्म मुहैया कराना चाहिए. उच्च न्यायालय ने फैसले में कहा कि एकल अभिभावक या एआरटी से मां बनी अविवाहित महिला के अधिकार को स्वीकार किया गया है, ऐसे में पिता के नाम के उल्लेख की जरूरत, जिसे गुप्त रखा जाना चाहिए, उसकी निजता, स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है.

यह फैसला अदालत ने एक तलाकशुदा महिला की याचिका पर सुनाया जिन्होंने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया से गर्भधारण किया था और केरल जन्म-मृत्यु पंजीकरण नियमावली 1970 में पिता की जानकारी देने संबंधी नियम को चुनौती दी थी.

महिला ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि पिता के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि शुक्राणु दानकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है और यहां तक उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं दी गई है. इसके अलावा पिता की जानकारी देने की जरूरत उनकी निजता, स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है.

महिला ने पिता के नाम का कॉलम खाली रखकर प्रमाण पत्र जारी करने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि यह भी उनके सम्मान, निजता और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है.

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अदालत ने महिला के दावे को स्वीकार करते हुए कहा कि एकल महिला द्वारा एआरटी प्रक्रिया से गर्भधारण करने को देश भर में स्वीकार किया गया है और शुक्राणु दान करने वाले की पहचान विशेष परिस्थितियों में और कानूनी रूप से जरूरी नहीं होने तक जाहिर नहीं की जा सकती.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 16, 2021, 7:51 PM IST
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