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IT ने महाराष्ट्र के समूहों पर छापेमारी के बाद करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता लगाया - व्यापारिक समूहों में तलाशी

आईटी विभाग ने महाराष्ट्र में दो व्यापारिक समूहों में तलाशी ली (IT Dept conducted searches) है. आय से अधिक संपत्ति और बेहिसाब लेनदेन के चलते ईडी ने ये रेड की है.

आईटी विभाग
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Published : Dec 28, 2021, 3:04 PM IST

Updated : Dec 28, 2021, 6:42 PM IST

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने हाल ही में निर्माण और भूमि विकास के कारोबार में लगे महाराष्ट्र के दो समूहों पर छापेमारी के बाद करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता लगाया है. सीबीडीटी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

राज्य के नंदुरबार, धुले और नासिक जिलों में अज्ञात समूहों के 25 से अधिक परिसरों में 22 दिसंबर को छापेमारी की गई थी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि पहले समूह से संबंधित संस्थाओं के मामले में पाया गया कि उन्होंने अपने खर्चों को बढ़ाकर असल आय को छुपाने का काम किया है.

कर विभाग के लिए नीति बनाने वाली संस्था ने कहा कि ये उप-ठेके उन परिवार के सदस्यों और उनके कर्मचारियों को दिए गए, जिन्होंने इस संबंध में सेवाएं नहीं दी हैं.

बयान में कहा गया है, 'नकदी में बिना दर्ज किए गए खर्चों के बारे में भी साक्ष्य एकत्र किए गए हैं. प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि इस समूह ने उपरोक्त कदाचार के कारण 150 करोड़ रुपये की आय नहीं दिखाई है.'

भूमि मामले में, विभाग ने पाया कि भूमि लेन-देन का एक बड़ा हिस्सा नकदी में किया गया है जिसका लेखा की नियमित पुस्तकों में कोई हिसाब नहीं है.

पढ़ें- ईडी ने तमिलनाडु मर्सेनटाइल बैंक के पूर्व चेयरमैन की 293.91 करोड़ की संपत्ति जब्त की

बयान में कहा गया है, 'भूमि लेन-देन पर नकद की प्राप्ति और 52 करोड़ रुपये से अधिक के नकद ऋण की प्राप्ति के सबूत वाले दस्तावेज जब्त किए गए हैं.'

सीबीडीटी ने कहा कि विभाग ने दोनों समूहों पर छापेमारी के दौरान पांच करोड़ रुपये की नकदी और पांच करोड़ रुपये मूल्य के आभूषण भी जब्त किए.

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने हाल ही में निर्माण और भूमि विकास के कारोबार में लगे महाराष्ट्र के दो समूहों पर छापेमारी के बाद करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता लगाया है. सीबीडीटी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

राज्य के नंदुरबार, धुले और नासिक जिलों में अज्ञात समूहों के 25 से अधिक परिसरों में 22 दिसंबर को छापेमारी की गई थी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि पहले समूह से संबंधित संस्थाओं के मामले में पाया गया कि उन्होंने अपने खर्चों को बढ़ाकर असल आय को छुपाने का काम किया है.

कर विभाग के लिए नीति बनाने वाली संस्था ने कहा कि ये उप-ठेके उन परिवार के सदस्यों और उनके कर्मचारियों को दिए गए, जिन्होंने इस संबंध में सेवाएं नहीं दी हैं.

बयान में कहा गया है, 'नकदी में बिना दर्ज किए गए खर्चों के बारे में भी साक्ष्य एकत्र किए गए हैं. प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि इस समूह ने उपरोक्त कदाचार के कारण 150 करोड़ रुपये की आय नहीं दिखाई है.'

भूमि मामले में, विभाग ने पाया कि भूमि लेन-देन का एक बड़ा हिस्सा नकदी में किया गया है जिसका लेखा की नियमित पुस्तकों में कोई हिसाब नहीं है.

पढ़ें- ईडी ने तमिलनाडु मर्सेनटाइल बैंक के पूर्व चेयरमैन की 293.91 करोड़ की संपत्ति जब्त की

बयान में कहा गया है, 'भूमि लेन-देन पर नकद की प्राप्ति और 52 करोड़ रुपये से अधिक के नकद ऋण की प्राप्ति के सबूत वाले दस्तावेज जब्त किए गए हैं.'

सीबीडीटी ने कहा कि विभाग ने दोनों समूहों पर छापेमारी के दौरान पांच करोड़ रुपये की नकदी और पांच करोड़ रुपये मूल्य के आभूषण भी जब्त किए.

Last Updated : Dec 28, 2021, 6:42 PM IST
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