बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को घोषणा की है कि उसके पहले सौर मिशन - आदित्य-एल1 - ने ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 इंसर्शन (टीएल1आई) पर एक बार फिर से सफलता पूर्वक अपनी कक्षा बदल ली है. अंतरिक्ष यान अब एक प्रक्षेपवक्र पर है जो इसे सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु ले जाएगा.
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Aditya-L1 Mission:
— ISRO (@isro) September 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
The fourth Earth-bound maneuvre (EBN#4) is performed successfully.
ISRO's ground stations at Mauritius, Bengaluru, SDSC-SHAR and Port Blair tracked the satellite during this operation, while a transportable terminal currently stationed in the Fiji islands for… pic.twitter.com/cPfsF5GIk5
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ISRO's ground stations at Mauritius, Bengaluru, SDSC-SHAR and Port Blair tracked the satellite during this operation, while a transportable terminal currently stationed in the Fiji islands for… pic.twitter.com/cPfsF5GIk5Aditya-L1 Mission:
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The fourth Earth-bound maneuvre (EBN#4) is performed successfully.
ISRO's ground stations at Mauritius, Bengaluru, SDSC-SHAR and Port Blair tracked the satellite during this operation, while a transportable terminal currently stationed in the Fiji islands for… pic.twitter.com/cPfsF5GIk5
इसरो ने यह भी बताया कि यह लगातार पांचवीं बार है कि इसरो ने किसी वस्तु को किसी अन्य खगोलीय पिंड या अंतरिक्ष में स्थान की ओर सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसरो के आधिकारिक हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा है कि आदित्य-एल1 मिशन : सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु की ओर प्रस्थान कर गया है... ट्रांस-लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (टीएल1आई) सफलतापूर्वक कक्षा बदल लिया.
अंतरिक्ष यान अब एक प्रक्षेप पथ पर है जो इसे सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु पर ले जाएगा. इसे लगभग 110 दिनों के बाद एक प्रक्रिया के माध्यम से L1 के आसपास की कक्षा में स्थापित किया जाएगा. यह लगातार पांचवीं बार है जब इसरो ने किसी वस्तु को किसी अन्य खगोलीय पिंड या अंतरिक्ष में स्थान की ओर सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है.
आदित्य-एल1 पहली भारतीय अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करती है, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग एक प्रतिशत है.
इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा. यह न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के और करीब आएगा. इसरो की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अपने प्रक्षेपण के बाद से, आदित्य-एल1, पृथ्वी के चारों ओर अपनी यात्रा के दौरान, क्रमशः 3, 5,10 और 15 सितंबर को चार बार पृथ्वी की संबंधी कक्षाओं से गुजरा. जिसके दौरान इसने एल1 की अपनी आगे की यात्रा के लिए आवश्यक वेग प्राप्त किया. इसरो की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, L1 बिंदु पर पहुंचने पर, एक अन्य युक्ति आदित्य-L1 को L1 के चारों ओर एक कक्षा में बांध देगी.
उपग्रह अपना पूरा मिशन जीवन पृथ्वी और सूर्य को जोड़ने वाली रेखा के लगभग लंबवत समतल में अनियमित आकार की कक्षा में L1 के चारों ओर परिक्रमा करते हुए बिताताने वाला है. लॉन्च के तुरंत बाद इसरो ने कहा था कि लगभग 127 दिनों के बाद आदित्य-एल1 के एल1 बिंदु पर इच्छित कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है.
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#AdityaL1 has commenced collecting #scientificdata: #ISRO
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https://t.co/3M3XyXEsAE
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इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. उस दिन 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान अवधि के बाद, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के चारों ओर 235x19500 किमी की अण्डाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था.
इसरो के अनुसार, L1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए एक अंतरिक्ष यान बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देख सकते हैं. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने का मौका मिलेगा.
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आदित्य-एल1 इसरो और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए), बेंगलुरु और इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए), पुणे सहित राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित सात वैज्ञानिक पेलोड ले गया है. पेलोड को विद्युत चुम्बकीय और कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करना है.