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इसरो ने नासा के साथ मिलकर एसएआर का निर्माण कार्य पूरा किया

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिलकर ‘सिंथेटिक अपर्चर रडार’ (एसएआर) के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया है.इसरो की ओर से कहा गया निसार की सहायता से पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव से लेकर बर्फ के पिघलने और भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी आपदाओं की प्रकिया को समझने में आसानी होगी.

अंतरिक्ष एजेंसी नासा
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Published : Mar 9, 2021, 2:27 PM IST

Updated : Mar 9, 2021, 3:53 PM IST

बेंगलुरु : पृथ्वी के संयुक्त रूप से अवलोकन के लिए उपग्रह अभियान के लिए इसरो ने अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिलकर ‘सिंथेटिक अपर्चर राडार’ (एसएआर) के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया है. एसएआर, पृथ्वी के उच्च गुणवत्ता वाले चित्र प्रस्तुत करने में सक्षम है.

नासा इसरो एसएआर (निसार) पृथ्वी की सतह के निरीक्षण को लेकर एक संयुक्त प्रयास है. नासा के अनुसार निसार, राडार की दो भिन्न आवृत्तियों (एल तथा एस बैंड) का प्रयोग करने वाला पहला उपग्रह अभियान होगा. इससे हमारे ग्रह की सतह पर एक सेंटीमीटर से भी कम दूरी में होने वाले बदलाव को मापा जा सकेगा. इस परियोजना में साझेदारी पर नासा और इसरो के बीच 30 सितंबर 2014 को हस्ताक्षर किए गए थे. अभियान को 2022 की शुरुआत में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में स्थित इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शुरू किया जाएगा.

पढ़ें : मंगल पर रोवर उतराने के बाद अब ड्रोन भेजने की नासा की योजना


इसरो की ओर से कहा गया निसार की सहायता से पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव से लेकर बर्फ के पिघलने और भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी आपदाओं की प्रकिया को समझने में आसानी होगी.

बेंगलुरु : पृथ्वी के संयुक्त रूप से अवलोकन के लिए उपग्रह अभियान के लिए इसरो ने अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिलकर ‘सिंथेटिक अपर्चर राडार’ (एसएआर) के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया है. एसएआर, पृथ्वी के उच्च गुणवत्ता वाले चित्र प्रस्तुत करने में सक्षम है.

नासा इसरो एसएआर (निसार) पृथ्वी की सतह के निरीक्षण को लेकर एक संयुक्त प्रयास है. नासा के अनुसार निसार, राडार की दो भिन्न आवृत्तियों (एल तथा एस बैंड) का प्रयोग करने वाला पहला उपग्रह अभियान होगा. इससे हमारे ग्रह की सतह पर एक सेंटीमीटर से भी कम दूरी में होने वाले बदलाव को मापा जा सकेगा. इस परियोजना में साझेदारी पर नासा और इसरो के बीच 30 सितंबर 2014 को हस्ताक्षर किए गए थे. अभियान को 2022 की शुरुआत में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में स्थित इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शुरू किया जाएगा.

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इसरो की ओर से कहा गया निसार की सहायता से पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव से लेकर बर्फ के पिघलने और भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी आपदाओं की प्रकिया को समझने में आसानी होगी.

Last Updated : Mar 9, 2021, 3:53 PM IST
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